जब बेटी के हाथ पीले होंगे,
रस्म आएगी विदाई ( vidaai ) की,
नयन मात-पिता के भीगे होगें,
जब बेटी दुल्हन बनकर जाएगी,
* * * * *
बेटी के हाथों में हल्दी लगी होगी,
जब हमारी प्यारी-सी बेटी,
दुल्हन के जोड़े में सजी होगी,
उस वक्त रोकने से भी नहीं रुकेगा,
हमारी आँखो का पानी,
जब उसकी माँ नजर उतारेगी,
वो माँ कहकर पुकारेगी,
नदियां के जैसे बह जाएगा,
उसकी माँ की आँखों से पानी,
मात-पिता भी खुश हो जाते हैं,
अगर सास-ससुर भी प्यारी बेटी को,
मात-पिता के जैसे मिले होंगे,
जब बेटी के हाथ पीले होंगे,
रस्म आएगी विदाई ( vidaai ) की,
नयन मात-पिता के भीगे होगें,
जब बेटी दुल्हन बनकर जाएगी,
* * * * *
बेटी है एक कीमती धन के जैसे,
जिसे संभालकर रखना पड़ता है,
वो मोतियों की एक ख़ूबसूरत माला,
जिसे गले में डालकर रखना पड़ता है,
हमारे घर में बिखरे पड़े हैं,
उसकी यादों के बेसुमार मोती,
हमारे दिल के हर कोने में पड़ी हैं,
उसकी यादें छोटी-छोटी,
जब श्याम का वेला होगा,
घर में खुशियों का मेला होगा,
नयन हम-सब के गीले होंगे,
जब बेटी के हाथ पीले होंगे,
रस्म आएगी विदाई ( vidaai ) की,
नयन मात-पिता के भीगे होगें,
जब बेटी दुल्हन बनकर जाएगी,
* * * * *
माँ का मन तो कोमल होता है,
बेटी की विदाई के वक्त,
खुद को संभालना बहुत मुश्किल होता है,
लाडली बेटी को दिलासा देते-देते ,
मैं कहीं खुद ही ना रोने लग जाऊं,
हम ने उसे अपनी जान बनाकर पाला है,
सही-गलत का ज्ञान देकर पाला है,
जान से प्यारी बेटी को मायुश देखकर,
मैं कहीं खुद ही मायुश ना होने लग जाऊं,
वो खुद रोएगी जाते-जाते,
हम सबको भी रुलाएगी,
जब बेटी के हाथ पीले होंगे,
रस्म आएगी विदाई ( vidaai ) की,
नयन मात-पिता के भीगे होगें,
जब बेटी दुल्हन बनकर जाएगी,
* * * * *
विदाई ( vidaai ) का क्षण : रुहानी अनुभूति

आँखों में है भोलापन,चेहरे पर थोडी शरारत है,
कद-काठी है घर में सबसे अलग,
जैसे कोई आसमान को छूती इमारत है,
उसके बराबर नहीं अकल मे कोई,
खाने में निकाले नकल ना कोई,
अपनी मस्ती में सदा मस्त रहे,
किसी और की जिंदगी मे दे दख़ल ना कोई,
उसका बचपन से एक ही सवाल था,
सवाल भी सबसे कमाल था,
माँ उसके हाथों में देना अपनी बेटी का हाथ ,
जिसकी आँखों के तारे नीले होगें,
जब बेटी के हाथ पीले होंगे,
रस्म आएगी विदाई ( vidaai ) की,
नयन मात-पिता के भीगे होगें,
जब बेटी दुल्हन बनकर जाएगी,
* * * * *
तेरे साथ जाएंगी तेरी बड़ी माँ की दुआएं,
जो हर बुरी बला को दूर भगाएं,
तूं राज करेगी नए घर में जाकर,
गुड़िया के जैसे तुझे रखेंगे,
अपनी पलकों पर बिठाकर,
सास को रखना माँ बनाकर,
अपने से छोटों को रखना गले लगाकर,
नाप-तोल कर हमेशा बोलना,
अपने शब्दों में मिठास घोलना,
जैसे मायके में अच्छी बेटी बनकर दिखाया है,
वैसे ही ससुराल में अच्छी बहू बनकर दिखाएगी,
जब बेटी के हाथ पीले होंगे,
रस्म आएगी विदाई ( vidaai ) की,
नयन मात-पिता के भीगे होगें,
जब बेटी दुल्हन बनकर जाएगी,
* * * * *
नजरअंदाज करना छोटी-छोटी बातों को,
हर बात को दिल पर मत लेना,
फूलों के जैसे लगेगी जिंदगी,
अपनी बड़ी माँ की बात ये लिख लेना,
रिश्तों में दूरियां ज्यादा ना हो,
घर की भंग मर्यादा ना हो,
अपनी सूझ-बूझ से घर को जोड़े रखना,
ख्वाब देखो मगर थोड़े रखना,
अपनी मुस्कान के रंग घर में बिखेरे रखना,
तेरी प्यारी मुस्कान को देखकर,
घर में सबके चेहरे खिले होंगे,
जब बेटी के हाथ पीले होंगे,
रस्म आएगी विदाई ( vidaai ) की,
नयन मात-पिता के भीगे होगें,
जब बेटी दुल्हन बनकर जाएगी,
* * * * *
creation -राम सैणी
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