मेरे पापा हैं सबसे धनवान,
बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान,
मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka ),
मेरे हाथ हैं कोमल नरम-नरम,
मुझे चुल्हे-चौंके से आए शर्म,
* * * * *
चुल्हा-चौंका करना भी एक कला है,
तेरी बड़ी माँ की तुझको ये सलाह है,
चुल्हा-चौंका जानना हर बेटी का काम है,
मात-पिता का होता इससे बडा नाम है,
मैं मानती हूँ पढ़ाई-लिखाई का ,
बोझ है तुम्हारे सर पर,
लेकिन तुम्हें जाना है एक दिन पराए घर,
धीरे-धीरे ही सही पर मेरे पीछे सीख ले चलना,
ज्यादा नहीं थोड़ा ही सही पर,
तूं चूल्हा-चौका सीख ले करना ,
तुम्हें याद आएंगी बड़ी माँ की ये बातें,
जब तूं खाना खाएगी गर्मा-गर्म,
मेरे पापा हैं सबसे धनवान,
बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान,
मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka ) ,
मेरे हाथ हैं कोमल नरम-नरम,
मुझे चुल्हे-चौंके से आए शर्म,
* * * * *
सारी उम्र अपनी बड़ी माँ को याद करेगी,
चूल्हे-चौंके से कर ले प्यार,
इसके बिना नहीं चलता घर-परिवार,
स्कूल जाना भी जरूरी है,
खाना-पीना भी जरूरी है,
खाने के लिए याद आएगा चूल्हा-चौका,
अपना घर है,ये ही उम्र है,
चूल्हे-चौंके से कैसी है शर्म ,
मेरे पापा हैं सबसे धनवान,
बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान,
मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka ) ,
मेरे हाथ हैं कोमल नरम-नरम,
मुझे चुल्हे-चौंके से आए शर्म,
* * * * *
बस बड़ी माँ आराम दो अपनी जीव्हा को,
चूल्हा-चौका नहीं सीखना है,
पापा की लाडली दिव्य को,
पढ़-लिखना मेरा पहला अधिकार,
मोज-मस्ती से गुजरें दिन चार,
चूल्हे-चौंके के काले धूंए से,
कम हो जाएगी मेरे नयनों की ज्योति,
जब वक्त आएगा सब हो जाएगा,
अभी तो मेरी उम्र है छोटी,
वैसे भी आने वाले कल का क्या है भरोसा,
मेरे पापा हैं सबसे धनवान,
बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान,
मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka ) ,
मेरे हाथ हैं कोमल नरम-नरम,
मुझे चुल्हे-चौंके से आए शर्म,
* * * * *
चूल्हा-चौका ( chulha chounka ) : एक कला की समझ

पापा के राज में ही है मोज-मस्ती,
बेगाने घर में ये नहीं मिलती,
मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ,
मैं दूनिया को देखना चाहतीं हूँ,
मेरी माँ का ये ही कहना है,
मुझे जीना पसंद है बेरोकटोक,
मुझे पूरे करने हैं सारे शौक,
अभी तो खुलकर जीने का है मौका,
मेरे पापा हैं सबसे धनवान,
बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान,
मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka ),
मेरे हाथ हैं कोमल नरम-नरम,
मुझे चुल्हे-चौंके से आए शर्म,
* * * * *
कल से थोड़ा कष्ट दे अपने हाथों को,
ध्यान से सुन बड़ी माँ की बातों को,
चूल्हा-चौका है जीवन का आधार,
चूल्हे-चौंके बिन पेट रहेगा खाली,
सारी उम्र काम आएगी ये कला,
मेरी भी तुझको है ये ही सलाह,
पता नहीं पापा आज किसका मुंह देख लिया है,
घर में मिलकर सब लोगों ने,
मुझे चूल्हा-चौका सिखाने का मन बना लिया है,
मैं आज से हर रोज याद करुंगी रब को,
मैंने ना बोल दिया है बड़ी माँ को,
फिर भी पता नहीं क्या हो गया है आप-सबको,
पापा जैसे अब तक चल रही है,
आगे भी चलेगी मेरे जीवन की नौका,
मेरे पापा हैं सबसे धनवान,
बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान,
मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka ),
मेरे हाथ हैं कोमल नरम-नरम,
मुझे चुल्हे-चौंके से आए शर्म,
* * * * *
पापा आप भी बड़ी माँ की बोल रहे हो बोली,
आज सुबह से मुझे दे रहे हैं मीठी गोली,
गुस्सा मत कर चल पहल कर,
गुस्से में और भी प्यारी लगती है सूरत ये भोली ,
चलो ठीक है पापा मैं कहना मानूंगी बड़ी माँ का,
इस सप्ताह मुझे सोना है जी-भरकर,
अगले सप्ताह मुझे तैयार होना है खा-पीकर,
मेरा मन भी बदल सकता है,
अगर इससे पहले किसी ने मुझे रोका,
मेरे पापा हैं सबसे धनवान,
बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान,
मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka ) ,
मेरे हाथ हैं कोमल नरम-नरम,
मुझे चुल्हे-चौंके से आए शर्म,
* * * * *
creation-राम सैणी
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