सुनकर खाने की बुराई,
एक पिता की आँख है भर आई,
आज मेरी बेटी की विदाई है,
ये मेरी उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) है,
* * * * * * *
ऐडी से चोटी तक का जोर लगाता है,
एक बेटी का पिता जब करता है,
अपनी बेटी के हाथ पीले,
खान-पान सब बढ़-चढ़कर,
अपनी सीमा से आगे बढ़कर,
एक पिता जब करता है बेटी के हाथ पीले,
अपना निभाता है फर्ज,
चाहे उठाना पड़े कर्ज,
ये जिम्मेदारी हर पिता उठाता है,
अपना तन-मन मारकर,
थोड़ा-थोडा रखता है संभालकर,
आँखों से आंसू बह ही जातें हैं,
जब बेटी की शादी की बजती शहनाई है,
सुनकर खाने की बुराई,
एक पिता की आँख है भर आई,
आज मेरी बेटी की विदाई है,
ये मेरी उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) है,
* * * * * * *
एक पिता अपनी हैसियत के हिसाब से,
दिल खोलकर लुटाता है,
बेटी की विदाई का भोजन,
भंडारे का प्रसाद समझकर लें,
तीखा है या फीका है,
ये मुफ्त सलाह ना दें
कुछ लोग आदत से मजबूर हैं,
सच्चाई से बहुत दूर हैं,
कड़वा है पर ये ही सच्चाई है,
सुनकर खाने की बुराई,
एक पिता की आँख है भर आई,
आज मेरी बेटी की विदाई है,
ये मेरी उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) है,
* * * * * * *
बेटी के हाथ पीले करना,
ये एक पिता की सबसे पहली जिम्मेदारी है,
आज एक पिता की तो कल ,
दूसरे पिता की बारी है,
ये रस्म है अनमोल बड़ी,
भीग जाती है हम सबकी आँखें,
जब आती है बेटी की विदाई की घड़ी,
ये कैसी है डोर प्यार की,
ये कैसी है रीत संसार की,
एक पल में हो जाती है जुदा,
जो बचपन से दिल में समाई है,
सुनकर खाने की बुराई,
एक पिता की आँख है भर आई,
आज मेरी बेटी की विदाई है,
ये मेरी उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) है,
* * * * * * *उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) :एक पिता की कहानी
विदाई भोज किसी बेटी का खाकर,
बुराई ना कीजिए किसी के आगे जाकर,
ये आपकी हैसियत दर्शाता है,
जहाँ मिले जैसा भी मिले खाइए सर झुकाकर,
ये आपको महान बनाता है,
कैसा लगेगा उस बाप को,
जिसने भगवान समझा है आपको,
वो आदमी दर्द समझेगा एक बाप का,
जिसने समझा है इस बात को,
दूसरे का आदर करेगा वो ही आदमी,
जिसने आदर करने की शिक्षा पाई है,
सुनकर खाने की बुराई,
एक पिता की आँख है भर आई,
आज मेरी बेटी की विदाई है,
ये मेरी उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) है,
* * * * * * *
बेटी की विदाई का भोज छोटा हो या बड़ा,
पर वो दिल को छूने वाला होता है,
एक बेटी बाप बनना आसान नहीं,
वो हर स्थिति में हौसले से जीने वाला होता है,
उस बाप के हौंसले को प्रणाम,
एक बेटी को परियों के,तरह पालना ,
कोई आसान नहीं,
बेटी घर की इज्जत होती है,
कोई खेलने का सामान नहीं,
उस बाप की हिम्मत को प्रणाम,
बेटी है उस ईश्वर की कृपा,
जिसने ये दुनिया बनाईं है,
सुनकर खाने की बुराई,
एक पिता की आँख है भर आई,
आज मेरी बेटी की विदाई है,
ये मेरी उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) है,
* * * * * * *
बेटी एक बाप की ताकत है,
हर वक्त प्यारी लगती है,
उसके कदमों की आहट है,
एक बाप अपनी बेटी के ,
सपनों को पंख लगाता है,
जीना कैसे हैं सर उठाकर,
ये बेटी को समझाता है,
सच्चाई के लिए खडना है कैसे,
मुश्किलों से लडना है कैसे,
जब भी मुश्किलों से होती लड़ाई है,
सुनकर खाने की बुराई,
एक पिता की आँख है भर आई,
आज मेरी बेटी की विदाई है,
ये मेरी उम्रभर की कमाई (umarbhar ki kamai ) है,
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