घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का फर्ज :एक ज़िम्मेदारी
ऊँचा लंबा कद मिला है, जो चाहिए था वो सब मिला है, हाथों में धागा रंग स्लेटी का, सबके […]
google.com, pub-4922214074353243 , DIRECT, f08c47fec0942fa0
Skip to contentऊँचा लंबा कद मिला है, जो चाहिए था वो सब मिला है, हाथों में धागा रंग स्लेटी का, सबके […]
माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर, मेरा भी हंसने का मन करता है, माँ शब्द
मै थोड़ा बोलता हूँ ज्यादा सुनता हूँ, सपने रंग-बिरंगे मन मैं बुनता हूँ, माँ की वजह से मेरा चमका
रोटी में नकल निकालना, पानी को बार-बार उबालना, ये सब चलता था माँ के पहरे में (maa ke pahre
अपने से छोटों को प्यार जताकर, गले मिलती हूँ मुस्कराकर, स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार, घर में मंझली बेटी
एक बार मुझे भी गले से लगा लो माँ ( gale se laga lo maa ), फिर चाहे हर क़दम
मुंह लटकाए नजरें झुकाए, मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ, मैं छोड़ गया था जिस आंचल को, मुझे
शक्ल पिता की अक्ल पिता की, मैंने माँ से संस्कार पाए हैं, हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
खेल-खिलौने प्यारे-प्यारे , मेरे हिस्से में आए सारे, माँ ने मुझे एक प्यारा पैगाम दिया है, मैं चुटकी बजाकर करतीं
पिता बांहों में उठा लेता है, जब भी बादल गरजता है, हमारे जीवन का अंधकार मिटा देता है, वो सदा