हर पल जागती माँ (Har Pal Jagti maa) : हार कहाँ मानती है माँ
कौन कहे माँ के पास काम नहीं है, माँ को तो एक पल का भी आराम नहीं है, हर […]
google.com, pub-4922214074353243 DIRECT, f08c47fec0942fa0
Skip to contentकौन कहे माँ के पास काम नहीं है, माँ को तो एक पल का भी आराम नहीं है, हर […]
दो रोटी बैलों को डालें, एक रोटी चिड़ियों को खिलाता है, रोटी का आदर (roti ka adar ) करे सर
हमारे घर का बादशाह ( ghar ka badsha ) हैं वो, जो पिता प्यार से बोले मुझे राजकुमारी, उसको शायद
रंग सांवला है तो क्या हुआ, मैं पापा की लाडली हूँ , कद छोटा है तो क्या हुआ, मैं अपने
माँ का प्रेम (maa ka prem ) सबके लिए है , दिल में जगते खुशियों के दीये हैं, खुशियां बांटना
सूर्य अस्त होकर रहता है, हवाएं मस्त होकर बहती हैं, मेरी माँ के सामने, माँ के कदमों में झुका आसमान
श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर , हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए , मुझे
मैंने सुना है संत-फकीरों से, माँ हर कोई ये ही बताता है, दुनिया में आने का है एक ही रास्ता
माँ की प्रार्थनाएं हमेशा बचाती हैं, जब भी जीवन में हमारे आपदाएं आती हैं, हमारे चारों ओर माँ ने एक
मैंने देखा नहीं कभी आपको मुस्कराते हुए, मेरे लिए पिता जी एक बार मुस्करा दो (Ek bar muskra do )