संजीवनी बूटी (sanjivini booti) : माँ की ममता
अगले महीने आऊंगा मैं, एक लंबी लेकर छुट्टी माँ, तुम्हारी जादुई सूरत देखकर यूं लगे, जैसे तुम हो मेरी संजीवनी […]
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एक चंचल -सी गुडिया, एक प्यारी-सी परी (ek pyari si pari), भगवान को लिख बैठी है, वो एक चिठ्ठी प्यार
एक आँख से देखा करती थी, माँ इस दुनिया के रंग (Duniya ke rang) सारे, माँ को देखकर सब ताने
पिता ज्यादा पढ़ा-लिखा तो नहीं था, पर तजुर्बा बेमिसाल (tajurba bemisal) था, कोई क्या बराबरी करेगा उसकी, अरे वो तो
माँ चली गई कहीं बादलों के पार (badlon ke paar) वो सूना हो गया घर का मंदिर, सूना हो गया
समाज की धरोहर ( samaj ki dharohar ) है, प्यार का सरोवर है , दिल का टुकड़ा बना लेती है
चाँद की रौशनी भी शर्माए, सूरज का उजाला भी फीका पड़ जाए मेरी बेटी गुड़िया (beti gudiya ) के जैसे
मैंने माथा रगडा हर चौखट पर, मात-पिता के चरणों को छोड़कर, वो तड़पते रहे पर मैं खुश था, मात-पिता से
जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar ) , मुझको ये जीवन दान दिया, पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जब तक चले माँ तेरे सांसों की डोरी (saanson ki dori ), तूं मन्द-मन्द मुस्काए, तेरे पाँव फिसलने से पहले