पेट की भूख ( pate ki bhookh ) और माँ का प्यार : माँ का स्पर्श
माँ तेरे हाथों की बनाई रोटी, अब कहाँ मिलती है, खा लेते हैं भूख मिटाने करने के लिए, पर पेट […]
माँ तेरे हाथों की बनाई रोटी, अब कहाँ मिलती है, खा लेते हैं भूख मिटाने करने के लिए, पर पेट […]
सुनकर खाने की बुराई, एक पिता की आँख है भर आई, आज मेरी बेटी की विदाई है, ये मेरी उम्रभर
मैंने मान लिया है अपनी बहू को बेटी, यदि बहू भी मुझे माँ मान लें, हर घर में बहेगा सुख
माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है, क्यों गुमसुम बनकर रह रही है, आँखों में नींद नहीं
वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है, चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
एक बेटी का है अभिमान, सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) , खानदान से संस्कार मिलें
क्यों लेकर गए हो माँ को अपने द्वार, हे ईश्वर लौटा दो मेरी माँ ( meri maa) को तुम एक
मै कैसे मान लूं माँ अनपढ़ हैं, दिन-रात एक किया है मुझे पढ़ाने के लिए, कौन कहे माँ कुछ जानती
हर बेटी में नजर आए यदि अपनी बेटी, फिर बेटियों को कैसा डर है, पराई बेटी ( praai beti )
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है, सबसे अलग इन्सान पिता है, अंत में अकेला क्यों रह