खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली ,
मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी,
रब हर माँ की सुनता है प्रार्थनाएं,
क्या प्रार्थनाओं में नहीं है असर तेरी,
* * * * *
वर्षों से है नाता खालीपन से,
अब मैं इसकी शिकायत नहीं करती,
हर चीज का होता है एक वक्त तय,
उससे पहले किसी की झोलियां नहीं भरती,
क्यों इतना इंतजार लिखा है,
क्यों रब को तुम्हारा दर्द नहीं दिखा है,
ये पूछ रही है तुम्हारे घर की चौखट,
शायद रब डाल दें इस बार एक कोमल फ़ूल,
तुम्हारी झोली में झटपट,
खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली ,
मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी,
रब हर माँ की सुनता है प्रार्थनाएं,
क्या प्रार्थनाओं में नहीं है असर तेरी,
* * * * * ,
रब डाल दें एक कोमल फ़ूल,
सब करते हैं शब्दों के बाणों से घायल,
एक बाण तेरा भी सही,
काश इस माँ की भी प्रार्थनाएं सच हों जाए,
फिर छूपाए ना छूपेगी एक माँ की खुशी,
उस रब की दया बिन कुछ नहीं ,
उस रब से बड़ा कोई सच नहीं,
एतराज नहीं है मुझे उस रब के दिए ,
ये कड़वे घूंट पीने में,
यहाँ जितने मुंह उतनी बातें,
जब तक चलेंगी मेरी सांसें,
एक आस का दीपक जलता है मेरे सीने में,
उसकी दया से ही हो रही है जिंदगी बसर मेरी,
खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली ,
मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी,
रब हर माँ की सुनता है प्रार्थनाएं,
क्या प्रार्थनाओं में नहीं है असर तेरी,
* * * * *
मै हर घड़ी प्रार्थनाएं करती रहती हूँ,
तिल-तिल करके हर दिन मरती रहती हूँ,
शायद बैठा है आँखें बंद कर के रब भी,
मैं जब गहरी नींद में सोती हूँ,
जब मीठे सपनों में खोई रहती हूँ,
मैं प्रार्थनाएं करती रहती हूँ तब भी,
पूछ रही है तुम से तुम्हारे घर की चौखट,
क्या खेलेगा इस आंगन में भी,
कभी कोई एक प्यारा सा नटखट,
खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली ,
मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी,
रब हर माँ की सुनता है प्रार्थनाएं,
क्या प्रार्थनाओं में नहीं है असर तेरी,
* * * * *खाली आंगन (khali aangan ) का दर्द : माँ का मौन संवाद
मेरी आँखों से हर रोज,
आंसुओ का समंदर बहता है,
कंई अनसुलझे सवालों का सैलाब,
मेरे दिल के अंदर रहता है,
तुम देख सको तो देख लो,
मेरे दिल पर लगें हैं लाखों ज़ख्म,
जिनका नहीं है कोई मरहम,
तुम देख सको तो देख लो,
थक चुकी हूँ सबको मै जवाब देते-देते,
मेरा दिन गुजर जाता है सबको हिसाब देते-देते
खाली आंगन देखकर अपना,
झूक जाती है नज़र मेरी,
खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली ,
मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी,
रब हर माँ की सुनता है प्रार्थनाएं,
क्या प्रार्थनाओं में नहीं है असर तेरी,
* * * * *
जिस घर की चौखट सूनी रहती है,
जहाँ आंगन में गूंजे ना कोई किलकारी,
अपशगुन मानते हैं लोग उस घर को,
बुरी नीयत से देखती हैं हर घड़ी नजरें सारी,
शायद कुछ किस्मत का दोष है,
कुछ उस रब के न्याय में है देरी,
एक दिन जलेगा दीपक इस चौखट पर भी,
उस दिन से रौशन हो जाएंगी रातें तेरी,
तेरे मुख पर विराजे सरस्वती माँ,
कोई बोलेगा मुझको भी एक दिन माँ,
ये भरोसा दिल में है मेरे,
कहता है मेरे नयनों का काजल,
बरसेंगे मेरे आंगन में भी एक दिन बादल,
ये भरोसा दिल में है मेरे,
बच्चे को झूले में झूलाने की,
पूरी होगी एक दिन रस्म मेरी,
खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली ,
मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी,
रब हर माँ की सुनता है प्रार्थनाएं,
क्या प्रार्थनाओं में नहीं है असर तेरी,
* * * * *
बोल मिले जब मीठे सुनने को,
दिल करे रंग -बिरंगे सपने बुनने को,
यूं लगे जैसे उस रब ने बांह पकड़ ली हो,
शीतल लगे धूप से तपती राहें भी,
यदि होने लगे हम दिल से चाहें भी,
यूं लगता है जैसे जीवन की गाड़ी ने,
सही राह पकड़ ली हो,
यूं लगने लगा है अब तो,
जैसे जय-जयकार होने वाली है,
हर तरफ मेरी,खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली ,
मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी,
रब हर माँ की सुनता है प्रार्थनाएं,
क्या प्रार्थनाओं में नहीं है असर तेरी,
* * * * *creater – राम सैनी
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