बेटी की शान (beti ki shan ) : दुपट्टे का सम्मान
एक बेटी का है अभिमान, सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) , खानदान से संस्कार मिलें […]
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एक बेटी का है अभिमान, सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) , खानदान से संस्कार मिलें […]
क्यों लेकर गए हो माँ को अपने द्वार, हे ईश्वर लौटा दो मेरी माँ ( meri maa) को तुम एक
मै कैसे मान लूं माँ अनपढ़ हैं, दिन-रात एक किया है मुझे पढ़ाने के लिए, कौन कहे माँ कुछ जानती
हर बेटी में नजर आए यदि अपनी बेटी, फिर बेटियों को कैसा डर है, पराई बेटी ( praai beti )
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है, सबसे अलग इन्सान पिता है, अंत में अकेला क्यों रह
मेरे सातों जन्म न्योछावर (saton janm nyochhaver ) हैं, मुझे प्यार करे जो हद से ज्यादा,उस माँ के लिए, मेरे
सच को झूठ कैसे बना लेती हो, क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ, पेट की भूख (pet ki
नया दौर (nya daur) है नया शोर है , आँखें दिखाना,जुबान लड़ाना, अब हर रोज का काम है, पिता जो
खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली , मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी, रब हर
पिछले जन्म का जिसका कर्ज है बाकी, उस मात-पिता को ही बेटियां मिलती हैं, जागना पड़ता है रात-रात भर, ऐसे