फुर्सत के दो पल (fursat ke do pal) : वक्त की मिठास
फुर्सत के दो पल (fursat ke do pal) साथ बिताओ हमारे, ये वादा तुम्हारा हमें सख्त चाहिए, मात-पिता नहीं […]
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फुर्सत के दो पल (fursat ke do pal) साथ बिताओ हमारे, ये वादा तुम्हारा हमें सख्त चाहिए, मात-पिता नहीं […]
टूटते रिश्ते (tootte rishte) माँ कुछ कह रहे हैं, अपने ही घर में हम बेगानें बनकर रह रहे हैं,
इस घर से है मुझे प्यार बहुत, ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani) है, इस घर में
मेरे पैरों में ना डालो बेड़ियां हर बार, मुझ पर भी किया करो , माँ बंद आँखों से एतबार
रात को घर की छत पर बैठकर, आसमान के तारे गिन ना, बड़ा मुश्किल होता है, एक जिम्मेदार पिता (jimmedar
अगले महीने आऊंगा मैं, एक लंबी लेकर छुट्टी माँ, तुम्हारी जादुई सूरत देखकर यूं लगे, जैसे तुम हो मेरी संजीवनी
एक चंचल -सी गुडिया, एक प्यारी-सी परी (ek pyari si pari), भगवान को लिख बैठी है, वो एक चिठ्ठी प्यार
एक आँख से देखा करती थी, माँ इस दुनिया के रंग (Duniya ke rang) सारे, माँ को देखकर सब ताने
पिता ज्यादा पढ़ा-लिखा तो नहीं था, पर तजुर्बा बेमिसाल (tajurba bemisal) था, कोई क्या बराबरी करेगा उसकी, अरे वो तो
माँ चली गई कहीं बादलों के पार (badlon ke paar) वो सूना हो गया घर का मंदिर, सूना हो गया