पेट की भूख (pet ki bhookh ) और माँ की सच्चाई
सच को झूठ कैसे बना लेती हो, क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ, पेट की भूख (pet ki […]
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सच को झूठ कैसे बना लेती हो, क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ, पेट की भूख (pet ki […]
नया दौर (nya daur) है नया शोर है , आँखें दिखाना,जुबान लड़ाना, अब हर रोज का काम है, पिता जो
खाली आंगन (khali aangan ) है तेरी गोद भी खाली , मुझसे पूछ रही है घर की चौखट मेरी, रब हर
पिछले जन्म का जिसका कर्ज है बाकी, उस मात-पिता को ही बेटियां मिलती हैं, जागना पड़ता है रात-रात भर, ऐसे
मीठा लगने लगता है घड़े का जल भी, ये प्यार है या माँ के स्पर्श का चमत्कार (maa ke sparsh
खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था, यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई, इन लम्हों को बनाता है खास
तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक, माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको, तेरी बेटी करेगी खुद अपनी
दानवीर नहीं होता कोई, बेटी के पिता से बड़ा, दानवीर पिता (Daanvir Pita) का स्थान होता है, बेटी की नजरों
माँ प्यार करे तूं कितना मुझसे, क्या कोई माँ के प्यार का पैमाना (maa ke pyar ka paimana ) है,
कहाँ गई वो चुल्हे की रोटी (chulhe ki roti ), जिसमें माँ का प्यार छिपा होता था, याद आते हैं