अपने आँचल में छिपा ले मुझको(apne aanchal me chhipa le mujhko )माँ अपने गले से लगाले मुझको ,सुबह-श्याम लगाऊं माथे पर,माँ तेरे चरणों की धूल को,अपनी पलकों से हटाऊं मैं,तेरी राहों के शूल को,* * * *जब चले तुं राहों में तेरे संग चलें ठण्डी हवाए,मुझे बहुत आनन्द आता है,जब तुम प्यार करती हो,फैलाकर अपनी बांहें,तुम लगती हो बरसते बादल के पानी के जैसे,जैसे बारीश के बादल सब पर,एक समान बरसते हैं,वैसे ही तुम्हारा प्यार भी माँ,सबको एक समान मिलता है,माँ तुम हो दया एक मूरत ,माफ कर देती हो मेरी हर भूल को ,(apne aanchal me chhipa le mujhko )माँ अपने गले से लगाले मुझको ,सुबह-श्याम लगाऊं माथे पर,माँ तेरे चरणों की धूल को,अपनी पलकों से हटाऊं मैं,तेरी राहों के शूल को,* * * *तुम को ना हो कोई तकलीफ़ कभी,हंसी तुम्हारी गुलाम रहे,तुम हर पल जीयो शान से,इस जहां के सुख तुम्हें तमाम मिले,बन्द आँखों से भी तुम्हारा चेहरा दिखे मुझे,ऐसा मेरा असूल हो,(apne aanchal me chhipa le mujhko )माँ अपने गले से लगाले मुझको ,सुबह-श्याम लगाऊं माथे पर,माँ तेरे चरणों की धूल को,अपनी पलकों से हटाऊं मैं,तेरी राहों के शूल को,* * *तुम्हारी सेवा में गुजरे जीवन मेरा,ये ही मेरा अरमान है ,जो ना पड़ सके माँ के माथे की लकीरों को,वो बिल्कुल नादान है,माँ तेरे कदमों की धूल,जिस आँगन में रहती हैं,उस घर में प्यार की नदियां सदा बहतीं है,माँ तेरी आँखें में चमक हो खुशियों की ,तेरे कदमों में महकते फूल हों ,अपने आँचल में छिपा ले मुझको(apne aanchal me chhipa le mujhko )माँ अपने गले से लगाले मुझको ,सुबह-श्याम लगाऊं माथे पर,माँ तेरे चरणों की धूल को,अपनी पलकों से हटाऊं मैं,तेरी राहों के शूल को,* * * *अपने आँचल में छिपा ले मुझको (apne aanchal me chhipa le mujhko ) : एक बेटे की पुकार
दौलत-शोहरत चूमे दहलीज उस घर की,कृपा राम जी की उस घर पर सदा रहतीं हैंहे राम जी,हर ग़म से रखना उसे अनजान ,वो है मेरा भगवान,मेरे माँ मांगे जब तुम से कोई दुआ,उसकी मांगी हुई हर दुआ कबूल हो,(apne aanchal me chhipa le mujhko )माँ अपने गले से लगाले मुझको ,सुबह-श्याम लगाऊं माथे पर,माँ तेरे चरणों की धूल को,अपनी पलकों से हटाऊं मैं,तेरी राहों के शूल को,* * * *कवच बनकर रहती है,मेरे सर पर तेरी दुआ माँ ,पल में हो जाएं गायब सब तकलीफें मेरी,जब भी तुम ने मुझे प्यार से छूआ माँ ,मैं उस बेल का पत्ता हूँ,जो रहती है सदा हरी-भरी,मैं फूल हूँ उस बाग का जिसकी खुशबू,चारों ओर है बिखरी पड़ी,माँ तुम हो खिलता फूल कमल का ,तू ही मेरा आसमान हो ,(apne aanchal me chhipa le mujhko )माँ अपने गले से लगाले मुझको ,सुबह-श्याम लगाऊं माथे पर,माँ तेरे चरणों की धूल को,अपनी पलकों से हटाऊं मैं,तेरी राहों के शूल को,* * * *मैं विनती करूं ये राम से,
बाकी दिन गुजरें तेरे आराम से,तुम रहो हमारे घर का फूल बनकर,हम रहें तुम्हारे चरणों की धूल बनकर,इस जीवन पर दूध का कर्ज है तेरा,हाथ तुम्हारा थामना ये फर्ज है मेरा,मैं अपने गले का हार बनाकर रखुं,बगीचे के इस प्यारे फूल को,(apne aanchal me chhipa le mujhko )माँ अपने गले से लगाले मुझको ,सुबह-श्याम लगाऊं माथे पर,माँ तेरे चरणों की धूल को,अपनी पलकों से हटाऊं मैं,तेरी राहों के शूल को,* * * *creater-राम सैणी
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