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सूनी कोख(sooni kokh )

सूनी कोख(sooni kokh ) का संघर्ष : एक माँ का दर्द

कोई उसे बांझ बोलता है
औलाद से तरसती उस माँ के अंदर,
लाल लहू दिन-रात खौलता है,
*         *         *          *
  सूनी कोख(sooni kokh ) का संघर्ष : उत्साह और उम्मीद

 

कब किसको दे-दे,
कब किससे ले-ले,
उस ईश्वर के खेल न्यारे हैं,
उस ईश्वर से तुम डरना सदा,
क्योंकि कुछ भी बस में नहीं हमारे है,
देखकर सूनी कोख (sooni kokh ) किसी की,
मत कसीए कभी तंज़,
कब बदल जाएं जीवन में मोहरे,
ये जीवन है एक शतरंज,
*       *       *       *

पता नहीं कब आएंगे वो लम्हे,
जब मेरी सूनी कोख (sooni kokh ) पर,
उस ईश्वर की कृपा बरसे,
सूनी कोख (sooni kokh ) का दर्द क्या है
ये दर्द तो वो ही जाने,
जो माँ औलाद के लिए तरसे,
चेहरे पर आ जाती है रंगत उस माँ के ,
जब बच्चा पहली बार माँ बोलता है ,
कोई उसे बांझ बोलता है,
औलाद से तरसती उस माँ के अंदर,
लाल लहू दिन-रात खौलता है,
*         *         *          *
हर रोज घायल करतें हैं यहाँ,
शब्दों के तीखे बाण,
शायद अभी बाकी है मेरे जीवन के,
क‌ईं और इम्तिहान,
देखकर सूनी कोख (sooni kokh ) को ,
क्यों मोड़ लेते हैं सब मुख यहाँ,
वो माँ होती है सौभाग्यशाली,
जिसको हर पल मिलते हैं सुख यहाँ,
सुनी कोख (sooni kokh )   सुना आंगन,
भला कौन माँ ये चाहे,
उसकी गोद में खेलें एक नन्ही जान,
ताकि उस माँ को भी कोई ठंडी हवा दे,
ईश्वर है रखवाला हम सबका,
वो सबको एक बराबर तोलता है,
जब किसी की सूनी कोख (sooni kokh ) देखकर ,
कोई उसे बांझ बोलता है
औलाद से तरसती उस माँ के अंदर,
लाल लहू, दिन-रात खौलता है,
*         *         *          *
रख लेना हे ईश्वर एक सूनी कोख (sooni kokh ) की लाज,
मुझको भी आदर भरी नजरों से देखे ये सारा समाज,
इन सांसों का साथ छूटने से पहले,
मुझको भी माँ बनने का सुख देना तुम,
मेरे गोद में खेलें एक नन्हा फूल,
बस इतनी कृपा कर देना तुम,
मेरे आस टुटने से पहले,
इन सांसों का साथ छूटने से पहले,
मैं भी जीना चाहती हूँ वो हसीन पल,
मेरे दिल पर लगे हैं ज़ख्म बेशुमार,
तेरे हाथों में मेरी पतवार,
बिन औलाद ये दुनिया है एक दलदल,
ईश्वर ही माँ के दिल के तार ,
एक बच्चे से जोड़ता है ,
कोई उसे बांझ बोलता है
औलाद से तरसती उस माँ के अंदर,
लाल लहू दिन-रात खौलता है,
*         *         *          *
जब सूनती हूँ मैं किसी माँ के ,
आंगन में बच्चों की किलकारी,
जाग उठती है माँ की ममता,
दिल के एक कोने में हमारे,
मैं सूनती हूँ हर दिन दुनिया के ताने,
फिर लगती हूँ अपने दुखी दिल को समझाने,
सब दर्द झेल जाए एक माँ,
औलाद के लिए अपनी जान पर,
खेल जाए एक माँ,
सब दर्द सह जाती है एक औरत,
एक सूनी कोख  (sooni kokh ) के सिवा,
औलाद होती है एक माँ की,
रंग बिरंगी खुशियों का दीया,
उस दीये से एक माँ के दिल में,
उजाला फैलता है,
जब किसी की सूनी कोख (sooni kokh ) देखकर ,
कोई उसे बांझ बोलता है
औलाद से तरसती उस माँ के अंदर,
लाल लहू, दिन-रात खौलता है,
*         *       *       *        *
दिन-रात बहता है इन आँखों से पानी,
मैं किस -किस को सुनाऊं मैं यहाँ,
अपनी सूनी कोख (sooni kokh ) की कहानी,
मरहम लगाए कोई -कोई,
नमक लगाने को सब तैयार,
मुख पर मीठे बोल सभी के,
हर कोई करें पीछे से वार,
*       *         *         *
मेरी झोली में दीजिए एक चांद सा मुखड़ा,
उसे बनाकर रखूं मैं दिल का टुकड़ा,
तरस रही हूँ मैं कब से,
दो नन्हे पाँव की आहट सुनने को,
मैं कब से तरस रही हूँ,
उसकी किलकारी सूनने को,
हर माँ को दीजिए ये उपहार,
मत छिन ना हे ईश्वर किसी औरत से ,
माँ बनने का अधिकार,
बच्चों का प्यारा चेहरा माँ के दिल पर ,
एक ना मिटने वाली छाप छोड़ता है ,
कोई उसे बांझ बोलता है
औलाद से तरसती उस माँ के अंदर,
लाल लहू दिन-रात खौलता है,
*         *         *          *
रातें भी काली हैं मेरी,
दिन में भी उजाला नजर ना आए,
बिन बच्चों को एक माँ को,
कभी सब्र ना आए,
मैं भी चाहती हूँ कोई नन्ही सी जाकन चले,
मेरी उंगली पकड़कर,
मैं भी रखना चाहती हूँ,
उसे अपने सीने में जकड़कर,
मेरे आंगन में भी हो ,
एक माँ के कानों में,
अपनी प्यारी -प्यारी बातों से,रस घोलता है,
जब किसी की सूनी कोख (sooni kokh ) देखकर ,
कोई उसे बांझ बोलता है
औलाद से तरसती उस माँ के अंदर,
लाल लहू, दिन-रात खौलता है,
*         *         *          *

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