कदम चूमती गई कामयाबी उसके,सब मिला गया धूल में वो ,जो मात-पिता के अरमान थे ,* * * * *बूलंदियो पर था सिंतारा आज उसके,सर पर था कामयाबी का ताज उसके,जो बेटा सोता था कभी,माँ के कांधे पर सर रखकर,शायद वो समझाता है,हम हो गए हैं मोहताज उसके,वोह हर दिन छूता रहा कामयाबी के आसमान को,वो बहुत पीछे छोड़ आया,घर के हर पूराने सामान को,सफलता के नशे के आगे ,क्यों कमजोर हो गई ,वो रिश्तों की महक ना जाने कहाँ खो गई ,एक वक्त था कभी जब बेटो को ,याद हमारे एहशान थे ,कदम चूमती गई कामयाबी उसके,सब मिला गया धूल में वो ,जो मात-पिता के अरमान थे ,* * * * * *
मेरी एक आवाज से ,जो बेटा आ जाता था अधूरा खाना छोड़कर,हमें नहीं मालूम था वो एक दिन,यूं चला जाएगा हम से सब रिश्ते तोड़कर,हम झूठी आस लगाए बैठे हैं,गिनते रहते हैं सितारे आसमान के (sitare aasman ke ),एक दिन वो सहारा बनेगा हमारा,हम पाल बैठे दिल में बहुत से अरमान थे,वो बन गया श्याना बहुत ,हम बन बैठे नादान थे,कदम चूमती गई कामयाबी उसके,सब मिला गया धूल में वो ,जो मात-पिता के अरमान थे ,* * * * *बेटा जितना आज मशहूर हो गया,वो हमसे उतना ही दूर हो गया,कुछ ही दिनों में वो हीरा नायाब हो गया,हमारे दिल में रहने वाला हर पल,क्यों हमारे दिल से गायब हो गया,आधी उम्र गुजारी बचपन और पढ़-लिखने में,वो शुरू से मशहूर था सबसे अलग दिखने में,जीत लेता था दिल सबका,वो एक प्यारी-सी मुस्कान से,पाकर एक प्यारा बेटा,हम खुद को समझते धनवान थे,कदम चूमती गई कामयाबी उसके,बेटा छूने लगा सितारे आसमान के (sitare aasman ke ),सब मिला गया धूल में वो ,जो मात-पिता के अरमान थे ,* * * * *
सितारे आसमान के (sitare aasman ke ) : रंग इस जहान के
वो पड़ना- लिखना भी किस काम का,जो आदर ना करें अपने माता-पिता के नाम काईश्वर भी हम सबको पल-पल आज़माता है,इस दुनिया के रंग हैं कैसे,ये हम सबको दिखाता है,माता-पिता है प्यार के भूखे,नहीं मतलब किसी धन-दौलत सेलेकर नाम उस ईश्वर का गुज़र जाता है एक दिन,प्यार मिले थोड़ा सम्मान,क्या करना ऊँची शोहरत का,उस ईश्वर का हाथ हो सर पर,बिन बच्चों के गायब हो जाते हैं रंग इस जहान के,
कदम चूमती गई कामयाबी उसके,बेटा छूने लगा सितारे आसमान के (sitare aasman ke ) ,सब मिला गया धूल में वो ,जो मात-पिता के अरमान थे ,* * * * *
देखें एक नजर उस लाड़ले बेटे को,दिल की बातें कर लें दो -चार,मुख देखकर जिस बेटे का प्यारा,हमारे चेहरे पर आ जाती थी बहार,मैं कानों में पड़ जाएं उसके दो मीठे बोल,मेरा मन उदास होने से पहले,मैं चाहती हूँ माँ-बेटा खाएं एक साथ मिलकर,मेरी सांसों का साथ खोने से पहले,ईश्वर जाने कब बेटे की सूरत देखेंगे ये दो नयन,कब आएगा हमारे तड़फते दिल को चैन,,बेसब्रों के जैसे इस दिल में तड़फ रहे अरमान थे ,कदम चूमती गई कामयाबी उसके,बेटा छूने लगा सितारे आसमान के(sitare aasman ke ) ,सब मिला गया धूल में वो ,जो मात-पिता के अरमान थे ,* * * * *
घर सूना दिल भी सूना,उस बिन सूना लगता है ये संसार,साथ अपने ले गया उजाला हमारे जीवन का,उस बिन लगता है जैसे,चारों ओर छाया हो अंधकार,वो टाल देता है कल-परसों पर,जब भी बोला है घर आने को,बनाता है हर रोज नया बहाना,जब भी बोला है सूरत अपनी दिखलाने को,बेगानों के जैसे वहवार है उसका,बेगानों के जैसे प्यार है उसका,सुख भी हो गए हैं ऐसे आजकल ,जैसे कभी इस घर में मेहमान थेकदम चूमती गई कामयाबी उसके,बेटा छूने लगा सितारे आसमान के (sitare aasman ke ) ,सब मिला गया धूल में वो ,जो मात-पिता के अरमान थे ,