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शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara )

शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) : पापा का इंतजार

दिल छोटा ना कर माँ,
छोटी-छोटी खुशियों को,
हाथों से ना जाने दो,
मैं खोल दूंगी शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) ,
एक बार पापा को आने दो,
*         *          *         *
मैं रातभर पापा से शिकायतें करूंगी हजार,
क्यों मेरी माँ को रुलाते हो बार-बार,
पापा ये अच्छी बात नहीं है,
पहले तो घर से दूर कभी-कभी जाते थे,
माँ को जाने से पहले हर बात बताते थे,
पापा ये अच्छी बात नहीं है,
माँ रात-रात भर जागती है,
जब होती है कदमों की आहट,
माँ दरवाजे की ओर भागती हैं,
वो दिन में भी गुम-सुम सी रहती है,
मैं जब भी पूछती हूँ माँ क्या हुआ,
सब-कुछ ठीक है वो ऐसा कहती हैं,
ना जाने कहाँ छूपकर बैठ ग‌ए हो,
पापा कब आओगे अपनी गुड़िया को,
रंग-बिरंगे खिलोने दिलाने को ,
दिल छोटा ना कर माँ,
छोटी-छोटी खुशियों को,
हाथों से ना जाने दो,
मैं खोल दूंगी शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) ,
एक बार पापा को आने दो,
*         *          *         *
माँ की आँखें लाल रहती हैं,
जैसे वो कुछ कहना चाहती हैं,
मैं बहुत बोलती हूँ पर वो चुप रहती है,
जैसे अब वो अकेले रहना चाहती है,
माँ बार-बार अपना चेहरा धोती है,
मुझे समझ नहीं आता पापा,
माँ छुप-छुपकर क्यों रोती है,
पापा आप को क्या खुशी मिलती है,
मेरी जान से प्यारी माँ को रूलाने को,
दिल छोटा ना कर माँ,
छोटी-छोटी खुशियों को,
हाथों से ना जाने दो,
मैं खोल दूंगी शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) ,
एक बार पापा को आने दो,
*         *          *         *
पापा तेरी गुड़िया खिलोनों का ,
कब से इंतजार कर रही है,
थोड़ा-थोड़ा मेरा भी दिल बेचैन है,
कुछ -कुछ तेरी गुड़िया भी डर रही है,
माँ हर दिन बोलती है की आप कल आएंगे,
आप आते वक्त मेरे लिए फल लाएंगे,
पापा मुझे मीठे फल बहुत भाते हैं,
माँ हर दिन देती है मुझको दिलाशा,
पर कुछ और ही कहती हैं,
उसकी आँखों की भाषा,
दिन -रात बहते हैं उसकी आँखों से आंसू,
मैं बहुत बोलती हूँ पर वो सुनतीं नहीं,
बार-बार बोलती है मुझे भूख नहीं है,
मैं जब भी माँ को बोलती हूँ खाने को,
दिल छोटा ना कर माँ,
छोटी-छोटी खुशियों को,
हाथों से ना जाने दो,
मैं खोल दूंगी शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) ,
एक बार पापा को आने दो,
*         *          *         *
शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) : पापा को आने दो

 

बेटी मां के सीने से लगती हुई
शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara )

 

आ जाओ ना पापा आप बहुत याद आते हो,
आपके पास ऐसा भी क्या काम है,
आपकी जुबान पर रहता था ,
हर पल मेरा ही नाम है,
पापा अबऔर देर लगाओ ना,
मेरी उम्मीद की डोरी टूट रही है,
ऐसे लगता है जैसे मेरे हाथों से,
कोई प्यारी चीज छूट रही है,
मैं कब से तड़प रही हूँ पापा,
तुम्हारी गोद में आने को,
दिल छोटा ना कर माँ,
छोटी-छोटी खुशियों को,
हाथों से ना जाने दो,
मैं खोल दूंगी शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) ,
एक बार पापा को आने दो,
*         *          *         *
मैं इस भोली-सी गुड़िया की बातों का,
क्या जवाब दूं तुम बताओ जरा,
मैं कौन सा रास्ता दिखाऊं इसे,
जहाँ से तुम आओगे ये बताओ जरा,
ये तो मासूम है नादान है,
इसे क्या पता कैसे बताऊं,
हम से रूठ गया हमारा भगवान है,
ये पापा पापा बोलकर,
मुझको भी रुलाने लगी है,
अब तो पापा भी भूल गए गुड़िया को,
ये सबको बताने लगी है,
मुझसे ऐसे सवाल करती है,
जिसका मेरे पास कोई जवाब नहीं,
हर रोज जिद्द करती है बहुत तंग करती है,
पूरा दिन निकल जाता है उसको मनाने को,
दिल छोटा ना कर माँ,
छोटी-छोटी खुशियों को,
हाथों से ना जाने दो,
मैं खोल दूंगी शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) ,
एक बार पापा को आने दो,
*         *          *         *
वो भगवान से बातें करती है,
अपने हाथों को जोड़कर,
अब तुम ही लेकर आओगे,
मेरे पापा को मोड़कर,
माँ तो कुछ बताती नहीं है,
आँखें मुझ से मिलाती नहीं है,
आप ही बोल दो भगवान,
मेरे पापा को लौट आने को,
दिल छोटा ना कर माँ,
छोटी-छोटी खुशियों को,
हाथों से ना जाने दो,
मैं खोल दूंगी शिकायतों का पिटारा (shikayaton ka pitara ) ,
एक बार पापा को आने दो,
*         *          *         *
creater – राम सैनी

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