आसमानी परी नहीं बेटी तूं मर्दानी है,
शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) है तूं,
फूल नहीं तूं झांसी वाली रानी है,
अपना शीश झुकाकर प्रणाम करो,
ये हिंदुस्तानी मिट्टी बलिदानी है,
* * * *
इस देश में बेटी परी नहीं,
शेरनी बनकर पैदा होती है,
जो हर काम में निपुण हर काम में जांबाज,
हद से ज्यादा होती हैं,
तुम्हें खेलना नहीं खेल-खिलौने से,
नंगें पाँव कांटों पर चलना है,
आँखें झुकाकर नहीं आँखों में आँखें डालकर,
ग़लत को ग़लत,सही को सही बोलना है,
यहाँ देश चलाती है बेटी,
यहाँ संतो का भेष बनाती है बेटी,
वो जुड़कर रहती है मिट्टी से,
उसकी सोच आसमानी है,
आसमानी परी नहीं तूं मर्दानी है,
शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) है तूं,
फूल नहीं तूं झांसी वाली रानी है,
अपना शीश झुकाकर प्रणाम करो,
ये हिंदुस्तानी मिट्टी बलिदानी है,
* * * *
एक नज़र डालकर देख जरा अपने इतिहास पर,
देश का नाम लिखा होता था,
बेटियों की हर सांस पर,
कदम से कदम मिलाकर चलना,
बुराई के आगे डटकर खड़ना,
ये हूनर हर बेटी के लहू में है शामिल ,
जीवन की रफ्तार हो या जंग हो,
अपने हक के लिए लड़ने की,
घर की बागडोर संभालना हो या,
बात हो सबसे आगे चलने की,
ये हूनर हर बेटी के लहू में है शामिल,
बेटी कोई मोम की गुड़िया नहीं है,
वो समंदर की एक लहर तुफानी है,
आसमानी परी नहीं तूं मर्दानी है,
शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) है तूं,
फूल नहीं तूं झांसी वाली रानी है,
अपना शीश झुकाकर प्रणाम करो,
ये मिट्टी बलिदानी है,
* * * *
शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) : वीरता की नई परिभाषा

बेटी को तुफानों से खेलना,
यहाँ बचपन से सिखाया जाता है,
यहाँ वीर-शहीदों की गाथा का पाठ,
हर दिन पढ़ाया जाता है,
इस देश की धरती पर हर दिन बेटियां,
अपनी मेहनत का पसीना बहाती हैं,
इस देश में माँ अपनी बेटी को,
हर पल संस्कारों का पाठ पढ़ाती है,
जिम्मेदारी हो या काम में हाथ बंटाना,
वो कदम से कदम मिलाकर चलती है ,
कभी आँख झुकाकर चलती है,
कभी आँखों में ज्वाला लेकर चलती है,
ये परम्परा वर्षो पुरानी है,
आसमानी परी नहीं तूं मर्दानी है,
शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) है तूं,
फूल नहीं तूं झांसी वाली रानी है,
अपना शीश झुकाकर प्रणाम करो,
ये हिंदुस्तानी मिट्टी बलिदानी है,
* * * *
इस देश में हर दिन बेटीयों को,
शूरवीरों की कहानियां सुनाई जाती है,
उनको बहादुर बेटीयों की,
निशानियां दिखाई जाती हैं,
हर काम शुरू किया जाता है,
मिट्टी को प्रणाम करने के बाद,
वो दोगुने जोश से उठ खडती हैं,
थोडा आराम करने के बाद,
यहाँ बेटीयों का स्थान है ऊँचा,
बेटियां भी बनकर रहती हैं पहरेदार ,
यहाँ माला भी जपती हैं बेटियां,
हाथों में रखतीं हैं तलवार,
बेटी है शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ),
देश सेवा की बात आए तो,
फिर लाभ देखें ना हानी हैं,
आसमानी परी नहीं तूं मर्दानी है,
शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) है तूं,
फूल नहीं तूं झांसी वाली रानी है,
अपना शीश झुकाकर प्रणाम करो,
ये हिंदुस्तानी मिट्टी बलिदानी है,
* * * *
यहाँ बेटियों के लिए मर्यादा की,
एक होती है लकीर भी ,
वक्त पडने पर इस मिट्टी की बहादुर बेटियां,
दुश्मन का देती है सीना चीर भी,
यहाँ बेटियां आत्म रक्षा के लिए,
तीर-तलवार चलाना भी जानती हैं,
वो मात-पिता को ईश्वर के जैसे मानती हैं,
जीवन की रफ्तार में हर घड़ी,
यहाँ बेटियां सबसे आगे मिलती हैं,
झूठ-फरेब से कोसों दूर रहती हैं,
हर घर में बेटियां होती साफ दिल की हैं,
नीडर,जांबाज,अक्ल से शयानी हैं,
आसमानी परी नहीं तूं मर्दानी है,
शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) है तूं,
फूल नहीं तूं झांसी वाली रानी है,
अपना शीश झुकाकर प्रणाम करो,
ये मिट्टी बलिदानी है,
* * * *
creation- राम सैणी
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