संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर ,
समाज में ये चलेगा कब तक ,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
* * * *
बिस्तर बर्तन और कीमती गहने,
हम खरीद कर भी ला सकते हैं,
पर इन सब चीजों से परिवार में,
सच्चा सुख नहीं पा सकते हैं,
दहेज बिन शादी नहीं
ये ही आजकल बहुत लोगों की है मनसा,
कुछ स्वार्थी लोग सोचते हैं,
दहेज है सब रोगों की दवा,
बीज दहेज़ का हम सब में पनपता है ,
दिल में हर कोई इसकी माला जपता है ,
कौन मांगेगा यहां बेटी के लिए इंसाफ ,
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर ,
समाज में ये चलेगा कब तक ,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप,
* * * *
बिन दहेज शादी करने की,
कौन करेगा पहल यहाँ,
बिन दहेज की बहु आएगी ये सुनकर,
कंई लोगों का दिल जाता है दहल यहाँ,
दहेज की भला को दिल से भूलाकर,
नई बहू को रखिए दिल से लगाकर,
दहेज के लिए दिल में ना पालें ग़म,
दहेज के ताने मारकर,
ना कीजिए नई बहु की आँखों को नम,
किसी की बेटी को रूलाना,
इस दुनिया में सबसे बड़ा है पाप,
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर ,
समाज में ये चलेगा कब तक ,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
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संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) : बेटी का सम्मान
मैंने अपनी बेटी को दिए हैं अच्छे संस्कार,
विद्या धन है पास उसके,
जो बनकर रहेगा सदा उसका पहरेदार,
परिवार को रखेगी सदा जोड़कर,
हर छोटे-बड़े का करती है आदर-सत्कार
दिल से करती है मेहमानों का स्वागत,
व्यवहार है सबसे उसका मिलनसार,
मैंने अपनी बेटी को लडना सिखाया है,
अच्छे -बुरे हालातों से,
सबका मन मोह लेती है,
वो अपनी मीठी बातों से,
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परिवार के साथ चलेगी,
कदम से कदम मिलाकर,
बचपन से सिखाया है उसको,
घर को मानती है वो एक मंदिर
ये सब बार -बार समझाया है उसको,
मन में नहीं रखती कोई रंजिश,
सबको कर देती है वो एक पल में माफ़,
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर ,
समाज में ये चलेगा कब तक ,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप,
* * * *
धन-दौलत से मत तोलिए,
किसी की प्यारी बेटी को,
कैसा महसूस होगा हमको,
जब कोई रूलाए हमारी बेटी को,
बहु को रखिए बेटी बनाकर,
कीजिए उसका सम्मान सदा,
मुस्करा कर रहेगी जो बहु घर में,
उस घर पर मेहरबान रहेगा भगवान सदा,
एक बाप ने सौंप दिया है आपको,
अपने जीवन का सबसे कीमती गहना,
वो बनकर दिखाएगी बेटी आपको,
आप भी उसके माता-पिता बनकर रहना,
अपनी समझदारी से छोड़े सब के दिल पर छाप ,
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर ,
समाज में ये चलेगा कब तक ,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप
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दहेज है एक बूरी भला ,
ये जान लेंगे जिस दिन,
बहु है बेटी हमारी ये मान लेंगे जिस दिन,
खुशियों भरा होगा घर हमारा,
बिन दहेज के शादी करने की,
पहल कीजिए खुद आप,
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर ,
समाज में ये चलेगा कब तक ,
दहेज हैं समाज में सबसे बड़ा अभिशाप,
जिस बाप ने जान से प्यारी बेटी दी है आपको,
इससे बढ़कर क्या दे सकता है,
एक संस्कारी बेटी का बाप
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