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सांसों की डोरी (saanson ki dori )

सांसों की डोरी (saanson ki dori ) : माँ के प्यार का राज

जब तक चले माँ तेरे सांसों की डोरी (saanson ki dori ),
तूं मन्द-मन्द मुस्काए,
तेरे पाँव फिसलने से पहले राहों में,
मैं खड़ा हूँ अपने दोनों हाथ फैलाए,
*         *          *           *           *
मैं चलूं सदा तेरा हाथ पकड़ कर,
जैसे तुम चली थी कभी मेरे,
अपनी प्यार की रौशनी से दूर किए,थे,
मेरे जीवन में  छाए थे जो कभी अंधेरे,
माँ के प्यार के साथ तुम  से,
मैंने पिता का प्यार भी पाया है,
सच कहते हैं माँ के आँचल में,
प्यार का समंदर समाया है,
हर सुबह सुनाई दे मुझको,
तेरे प्यारे कदमों की आहट,
गम हों या खुशी के पल,
तेरे चेहरे पर रहे सदा मुस्कराहट,
तेरा चेहरा है भोला-भाला माँ ,
ये चेहरा मन को भाए ,
तूं मन्द-मन्द मुस्काए,
तेरे पाँव फिसलने से पहले राहों में,
मैं खड़ा हूँ अपने दोनों हाथ फैलाए,
*         *          *           *           *
सुख की छाँव में गुजरे,
बाकी बची हैं तेरी जो सांसें,
बराबरी नहीं कर सकता इस जहां में,
कोई भी मेरी माँ से,
तेरे कदमों में शक्ति का वास रहे हरदम,
वो राहें हों उजली साफ सदा,
जिन राहों पर तेरे पड़े कदम,
बाल भी बांका नहीं हो पाए तुम्हारा,
मैं बनूंगा माँ तेरा सहारा,
तेरी प्रार्थना में है चमत्कार,
माँ से ही पूरा होता है,
हम सबका प्यारा घर-संसार,
ये प्यारी-प्यारी सूरत ही,
प्यार की मूरत कहलाए,
जब तक चले माँ तेरे सांसों की डोरी (saanson ki dori ),
तूं मन्द-मन्द मुस्काए,
 तेरे पाँव फिसलने से पहले राहों में, हद्द
मैं खड़ा हूँ अपने दोनों हाथ फैलाए,
*         *          *           *           *
राजा हो या रंक कोई,
अधूरे हैं सब माँ के बिना ,
वो तपती धूप ना सह पाएं,
जिन का जीवन गुजरे माँ की छाँव बिना,
फिसल ना पाए तेरा पाँव कभी,
मैं खड़ा हूँ तेरी राहों में,
जैसे खड़ी थी माँ तुम कभी,
मुझे थामने अपनी बाहों में,
दिन गुजरते रहते हैं,
सुख-दुख भी आते-जाते रहते हैं,
जीना उनका ही सफल हुआ है,
जो सदा जीवनदात्री के गुण गाते रहते हैं,
माँ जीवन देती है हम को जान हथेली पर रखकर ,
खुद भी दूसरा जीवन पाए ,
तूं मन्द-मन्द मुस्काए,
तेरे पाँव फिसलने से पहले राहों में,
मैं खड़ा हूँ अपने दोनों हाथ फैलाए,
*         *          *           *           *
सांसों की डोरी (saanson ki dori ) : एक अनमोल बन्धन 
तेरे नयनों की ज्योत सदा जलती रहे,
जिन नयनों से देखे हैं तुमने इस दुनिया के रंग,
इस सर पर हाथ रहे तेरा,
मेरे दिल में हो हर दिन एक नई उमंग,
इस जीव्हा से हो  गुणगान तेरा,
मां तुम हो भगवान मेरा,
जिस माँ ने बोलना सिखाया है,
मैं भूल जाऊं उसको कैसे,
जिस छाँव में गुजरा है मेरा बचपन,
उसके एहसान चुकाऊं तो कैसे,
मेरे घर के आंगन की मिट्टी,
माँ के पाँवों को छूकर नमन करें,
हर रोज सुबह आकर जल्दी,
माँ को छूकर ठंडी -ठण्डी पवन बहे,
हर रोज सुबह ओस की बुंदे,
माँ के पाँव को धो जाए,
जब तक चले माँ तेरे सांसों की डोरी (saanson ki dori ),
तूं मन्द-मन्द मुस्काए,
तेरे पाँव फिसलने से पहले राहों में,
मैं खड़ा हूँ अपने दोनों हाथ फैलाए,
*         *          *           *           *
वो सूरत मेरी देखकर,
नीँद सुकून की सोती है,
महोबत तो इस जग में,
सिर्फ माँ की ही सच्ची होती है,
धरती अम्बर चाँद-सितारे,
माँ के आगे झूकते हैं सारे,
उसका प्यार है दीपों की लडी ,
प्यार के रंग हैं सबसे न्यारे,
कहाँ मिलेगी तेरी मीठी बोली,
जिसे सुनते ही दिल खुश हो जाए,
तेरा-मेरा बन्धन हो हर जन्म,
काश ये करिश्मा सचमुच हो जाए,
तूं मन्द-मन्द मुस्काए,
तेरे पाँव फिसलने से पहले राहों में,
मैं खड़ा हूँ अपने दोनों हाथ फैलाए,
*         *          *           *           *
तेरे आंचल की खुशबू माँ,
मेरी नस-नस में बसती है,
जो मुझे सूलाकर खुद जागे,
इस जग में माँ ही अकेली वो हस्ती है,
हर रिश्ते में है स्वार्थ छिपा,
वो स्वार्थ तक ही निभाए जाते हैं,
ये वो अकेला रिश्ता है,
जो आख़री सांसों तक निभाया जाता है,
तूम झील हो मीठे पानी की,
तेरी दुआओं में रब बसता है,
झूठ -मूट का ग़ुस्सा होना,
सिर्फ तेरे चेहरे पर ही जंचता है,
हर सुबह सबसे पहले मेरे चेहरे पर माँ,
अपनी छाप छोड़ जाएं,
जब तक चले माँ तेरे सांसों की डोरी (saanson ki dori ),
तूं मन्द-मन्द मुस्काए,
तेरे पाँव फिसलने से पहले राहों में,
मैं खड़ा हूँ अपने दोनों हाथ फैलाए,
*         *          *           *           *
creater -राम सैणी

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