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कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita)

कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) : त्याग की मूरत

 

कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है,
सबसे अलग इन्सान पिता है,
अंत में अकेला क्यों रह जाता है,
सबका पेट भरने वाला मसीहा,
कंई बार खुद भूखा सोता है,
*      *       *        *
जिम्मेदारियां कर देती है बूढ़ा,
आदमी को उम्र से पहले ,
सबको जीताकर रखना पड़ता है,
खुद की हार से पहले,
मैं सबकी सुनता रहता है,
मन ही मन कंई सपने बुनता रहता हूँ,
हकीकत से मैं अनजान नहीं,
मैं बहुत कुछ बोलना चाहता हूँ,
अपने दिल की परतें खोलना चाहता हूँ,
पर चाहकर भी खुलती मेरी जुबान नहीं,
सबको प्यार जताने वाला,
कंई बार मीठे बोल सुनने को तरसता है,
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है,
सबसे अलग इन्सान पिता है,
अंत में अकेला क्यों रह जाता है,
सबका पेट भरने वाला मसीहा,
कंई बार खुद भूखा सोता है,
*      *        *        *
जवानी कब आई बचपन कब बीता,
कंई बार हारा कंई बार जीता,
पर रूके नहीं मेरे क़दम,
सबकी हाँ में हाँ मिलाता रहा,
मैं पत्थर के जैसा हूँ,
ये सबको मैं दिखाता रहा,
आँखों में चमक क़ायम रहती थी हरदम,
परिवार ही ताकत है मेरी,
परिवार ही हौंसला देता है,
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है,
सबसे अलग इन्सान पिता है,
अंत में अकेला क्यों रह जाता है,
सबका पेट भरने वाला मसीहा,
कंई बार खुद भूखा सोता है,
*       *        *       *
एक पिता कैसे रह लेता है,
अपने परिवार से दूर ये सब पूछते हैं,
पत्थर का दिल रखने वाला,
मुंह पर ही सब-कुछ क्यों कह देता है,
ये सब पूछते हैं,
ठोकरें चलना सिखा देती हैं,
तेज हवाएं संभलना सिखा देती हैं,
धीरे-धीरे आ जाता है दर्द छूपाना भी,
किस ने गिरते को उठाया है,
किस ने मझधार में डुबाया है ,
धीरे-धीरे आ जाता है,
सबके चेहरे से पर्दा हटाना भी,
कठोर स्वभाव रखने वाला ,
परिवार को जोड़कर रखने वाला भी,
कभी-कभी खुद को अकेला पाता है,
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है,
सबसे अलग इन्सान पिता है,
अंत में अकेला क्यों रह जाता है,
सबका पेट भरने वाला मसीहा,
कंई बार खुद भूखा सोता है,
*       *       *        *

कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) : परिवार की सबसे बड़ी दौलत

 

कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita)
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita)

छोटे-मोटे इल्जाम लगते रहते हैं,
परिवार के साथ रहेगा तब भी,
कमाने के लिए बाहर रात गुजारेगा तब भी,
पिता का किरदार निभाना आसान नहीं होता,
हर दिन किस्मत आजमाना आसान नहीं होता,
कभी अपनों के सामने हारकर,
कभी उनको प्यार कर,
बीच-मझधार से निकालने वाला,
एक पिता ही सहारा होता है,
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है,
सबसे अलग इन्सान पिता है,
अंत में अकेला क्यों रह जाता है,
सबका पेट भरने वाला मसीहा,
कंई बार खुद भूखा सोता है,
*        *         *        *
अपनों का मिलता रहे साथ सदा हमेशा,
रब का रहे सर पर हाथ हमेशा,
इतनी सी तो उम्मीद कर सकता हूँ ना,
एक पिता मुस्कराता रहता है हमेशा,
अपने पाँव के घाव देखकर,
वो फूला नहीं समाता अपनों के दिल में,
अपने लिए इतना चाव देखकर,
परिवार की खुशी के लिए,
भूल जाएं अपनी खुशियां सारी,
पल में सब-कुछ भूल जाएं,
देखकर बच्चों के चेहरे पर मुस्कान चमत्कारी,
बादल अपने प्यार का,
पिता बे-मौसम बरसाता है,
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है,
सबसे अलग इन्सान पिता है,
अंत में अकेला क्यों रह जाता है,
सबका पेट भरने वाला मसीहा,
कंई बार खुद भूखा सोता है,
*        *        *       *
खुद देखें हैं मुश्किल भरे दौर कंई,
कड़कती बिजली और तेज हवाओं के शोर कंई,
इस लिए सबके सर की छत बनकर रहता है,
रास्ते पथरीले बन जाए फूलों की क्यारी,
हर सवेरा आए खुशियों का पैगाम लेकर,
जगमग-जगमग करती हों रातें अंधियारी,
मेरा परिवार गुरूर है मेरा,
खुशियों का रहे हर घड़ी फेरा,
परिवार से बढ़कर इस दुनिया में,
क्या कोई और भी प्यारा होता है,
कुर्बानी का नाम पिता (qurbani ka Naam Pita) है,
सबसे अलग इन्सान पिता है,
अंत में अकेला क्यों रह जाता है,
सबका पेट भरने वाला मसीहा,
कंई बार खुद भूखा सोता है,
*      *       *        *
creater -राम सैणी
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