जिस मिट्टी पर तेरे पाँव पड़े माँ,
आराम करें तूं जिस पीपल की छाँव तले,
उस पीपल को भी मेरा प्रणाम,
* * * * *
मैंने बोला है इन बहती हवाओं को,
जरा तुम भी शीश झुकाओ जरा,
जिन राहों से गुजरे मेरी माँ,
उन राहों के कंकर -पत्थर तो हटाओ जरा,
बहती हवाएं बोली मुस्कराकर,
माँ के आगे सर झुकाकर,
स्वर्ग से भी सुंदर होती है माँ की पनाह,
हम सब का बोझ उठाए ये धरती माँ,
सबसे बड़ा है माँ का नाम,,
सबको शीतल करे माँ सुबह -शाम,
माँ की गोद में मिले ऐसा सुख,
जैसे घूम लिए हों चारों धाम,
मैं बोला कुछ मुस्कराकर,
हवाओं के आगे माँ के गुण गाकर,
प्रणाम माँ के नाम,
जिस माँ ने अपनी खुशियां की है मेरे नाम ,
माँ के पाँव के नीचे हों महकते फूल,
जब चले माँ नंगे पाँव,
ना चुबने पाए उसके पाँव में कोई भी शूल,
जो हवाएं माँ को करे इतना प्यार,
उन हवाओं को भी मेरा नमस्कार,
जिस मिट्टी पर तेरे पाँव पड़े माँ,
आराम करें तूं जिस पीपल की छाँव तले,
उस पीपल को भी मेरा प्रणाम,
* * * *
मेरे कानों में पडा जब गरजती बिजली का शोर,
मैंने आंख उठाकर देखा काले-घने बादल की ओर,
तुम्हारी गरजती बिजली की तेज आवाज,
कहीं परेशान कर दे माँ को आज,
आज अपना जोर दिखाओ तुम,
इस गरजती बिजली को,
कहीं और लेकर जाओ तुम,
बादल भी बोला सर झुकाकर,
माँ के पाँव को हाथ लगाकर,
ये गरजती मेरी बिजली ,
माँ को क्या डराएगी,
माँ होती है सबसे बलवान,
ये बिजली माँ को छू भी ना पाएगी,
जब भी माँ रखेगी धरती पर अपने पाँव,
मैं सूरज को छूपाकर अपने सीने में,
माँ के ऊपर करूंगा ठंडी छाँव,
माँ के लिए देखकर बादल का ये आदर-सत्कार,
बादल को भी मेरा नमस्कार,
जिस मिट्टी पर तेरे पाँव पड़े माँ,
मैं उस मिट्टी को छूकर करता हूँ नमस्कार,
आराम करें तूं जिस पीपल की छाँव तले,
उस पीपल को भी मेरा प्रणाम,
* * * *
सब लोगों को मेरा पैगाम ,
प्रणाम माँ के नाम जो हमारी धड़कन में बसी है ,
मैंने रखा है अपनी माँ को ,
महकते फूलों के जैसे संभालकर,
माँ आज भी करती है प्यार मुझे,
अपनी दोनों बांहें पसारकर ,
मेरी माँ का चेहरा जब भी हो उदास,
तुम अपनी प्यारी महक बिखेरना माँ के आस-पास,
फूलों की महक से माँ के चेहरे पर,
अगर थोड़ी सी मुस्कान भी आ जाए,
मुस्कराते हुए माँ की आँखों में,
अगर थोड़ी सी चमक भी आ जाए ,
मैं समझूंगा मेरे जीवन के,
कुछ पुण्य कर्म जाग गए हैं ,
महकते फूलों को भी मै सर झुकाऊ,
जिनकी वजह से माँ के चेहरे से,
उदासी के निशान भाग गए है,
उन फूलों का भी मैं शुक्रगुजार,
उन फूलों को भी मेरा नमस्कार,
जिस मिट्टी पर तेरे पाँव पड़े माँ,
मैं उस मिट्टी को छूकर करता हूँ नमस्कार,
आराम करें तूं जिस पीपल की छाँव तले,
उस पीपल को भी मेरा प्रणाम,
* * * *
creater-राम सैणी
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