सब चाव पूरे कर लीजिए,जब तक माता-पिता का पहरा है,इस दुनिया में सब रिश्तों से बढ़कर ,माता-पिता का रिश्ता ही सबसे गहरा है,* * * * * *मैंने अपना सारा जीवन बिन पिता के गुजारा है,ये वो कीमती डोर है जीवन की,जो छूट गईं एक बार फिर ना मिले दोबारा है,पिता है वो हस्ती जो हमारी हर जिद्द पुगाने के काबिल है ,मात-पिता के बिना घर सूनसान,सूनसान है सारा ये ऊँचा आसमान,कौन अपना है कौन पराया है,सब ने अपना रंग दिखाया है,पिता का साथ है बरसते बदल के जैसे ,वो हमें राजा बनाकर रखता है आँखों में काजल के जैसे ,छाँव पिता की जो है सर पर ,तो ये सारा आसमान हमारा है ,सब चाव पूरे कर लीजिए,जब तक माता-पिता का पहरा है,इस दुनिया में सब रिश्तों से बढ़कर ,माता-पिता का रिश्ता ही सबसे गहरा है,* * * * * * *
सच कहते हैं लोग शयाने,जो होते हैं माता-पिता के दीवाने,पिता है तो दुनिया का सब सुख अपना,वो छूते हैं बुलंदी कामयाबी की,जो पिता की हर बात सर झुकाकर माने,अपने जीवन की गाड़ी कैसे बढ़ाएं हम आगे,एक -एक करके टूट रहें थे,जीवन के सब कमजोर धागे,पिता है अभिमान हर घर का,सलामत रहे सांई सबके सर का,पिता से होता है अटूट बंधन मन का,जब पिता नहीं होता है,सबसे ज्यादा अपना मन रोता है,एक झलक पाकर जिसकी,मन खुश हो जाता है वो पिता का चेहरा है,सब चाव पूरे कर लीजिए,इस दुनिया में सब रिश्तों से बढ़कर ,माता-पिता का रिश्ता ही सबसे गहरा है,* * * * * *माता-पिता की धरोहर को,रखिए जरा संभालकर ,माता-पिता हैं मजबूत पेड की डाली,हम बेखोफ होकर बैठे रहते हैं,जिस पेड़ की मज़बूत डाल पर,इनकी बातों का मत मान बुरा,जो हम पर कर देते हैं न्योछावर अपना जीवन पूरा,किस्मत वालों को ही माता-पिता,दोनों का प्यार मिलता है,माता-पिता हों जब साथ अपने,तो ही हरा-भरा संसार लगता है,आज हम ज़माने में उठाकर चलते हैं अपनी नजर हैं ,आसमान से भी ऊँचा मात-पिता के प्यार का दायरा है ,सब चाव पूरे कर लीजिए,जब तक माता-पिता का पहरा है,इस दुनिया में सब रिश्तों से बढ़कर ,माता-पिता का रिश्ता ही सबसे गहरा है,* * * * * *प्रेम की शक्ति (prem ki shakti ) : झुकने ना दे जीवन में
खुशियां हों चाहे ग़म के कांटे,
माता -पिता जब भी हमको डांटे,आँखें झूकाकर रहीए उनके आगे,वो गुस्से में भी प्यार ही बांटे,जन्नत है जिनके पाँव में,हम रहते हैं उस माता-पिता की छाँव में,वो मरहम बन जाते हैं मेरे जख्मों के,जो भी ज़ख्म मेरा गहरा है,सब चाव पूरे कर लीजिए,जब तक माता-पिता का पहरा है,इस दुनिया में सब रिश्तों से बढ़कर,माता-पिता का रिश्ता ही सबसे गहरा है,* * * * * *माता-पिता के विचारों से ,मिलाकर रखिए अपने विचार ,इनके प्रति नरम रखिए सदा अपना व्यवहार,उनके ही प्रेम की शक्ति (prem ki shakti ) से ,हमारे जीवन में उजाला है ,हर पल देखा है मुस्कराते ,जब से होश संभाला है ,पिता के साथ रखिए रिश्ता दोस्ताना,
वो ही हमारी खुशियों का है असली खजाना,माँ के जैसा दुसरा कोई कहाँ होता है,बाल भी बांका ना हो पाए उसका,माता-पिता की राहों में जो सदा,महकते फूल बोता है,सब से ऊँची है इनकी भक्ति ,हर बुरी बला से बचाए इनके प्रेम की शक्ति (prem ki shakti ),सकून मिलता है दिल को बहुत ,जब भी सर पर हाथ फेरा है ,सब चाव पूरे कर लीजिए,जब तक माता-पिता का पहरा है,इस दुनिया में सब रिश्तों से बढ़कर ,माता-पिता का रिश्ता ही सबसे गहरा है,* * * * * *
माँ बिन हम अधूरे पिता बिन परिवार ,जिनके सर पहरा ना इनका,उसकी ना कदर करें ये संसार,जब काम-धन्धे सब छूट जाएं,नजर हो जाए कमजोर,इधर -उधर दौड़ने वाले बैठ जाएं एक ओर,असली पूजा असली भक्ति,उस वक्त दिखाना तुम,जैसे जताते हैं प्यार माता-पिता,अब वैसे ही जताना तुम,सच में मात-पिता की प्रेम की शक्ति (prem ki shakti ) का कोई छोर नहीं ,इनके जैसा प्यारा इस जग में कोई और नहीं ,उस घर की रौनक होती है सबसे अलग,जिस घर में माता-पिता का बसेरा होता है,सब चाव पूरे कर लीजिए,जब तक माता-पिता का पहरा है,इस दुनिया में सब रिश्तों से बढ़कर ,माता-पिता का रिश्ता ही सबसे गहरा है,