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प्रेम और प्रार्थना (prem aur prarthana )

प्रेम और प्रार्थना (prem aur prarthana ):बलिदानी माँ के लिए

हे ईश्वर, अगले जन्म भेजना माँ को,
मेरे घर बेटी बनाकर,
मैं रखुंगा उसे अपने सर का ताज बनाकर,
*      *         *         *       *      *

प्रेम और प्रार्थना (prem aur prarthana )
प्रेम और प्रार्थना (prem aur prarthana
हे ईश्वर,एहसान हैं कितने माँ के मेरे जीवन पर,
अरमान कितने जुड़े हैं माँ के मेरे जीवन से,
हर वक्त रहता छाया रहता हूँ मैं ,
माँ का नाम शामिल रहता है मेरी हर आराधना में ,
माँ के एहसानों का,
कैसे चुकाऊं मोल मैं,
हर सुबह सुनता हूँ माँ के प्यारे मुख से,
मिस्री से मीठी बोल मैं,
माँ की प्यारी -सी मूरत को ,
मैं रखूंगा अपने दिल से लगाकर ,
हे ईश्वर, अगले जन्म भेजना माँ को,
मेरे घर बेटी बनाकर,
मैं रखुंगा उसे अपने सर का ताज बनाकर,
*       *        *         *        *         *
माँ ने मेरे लिए कितने कष्ट सहे हैं,
वो जब भी देखती है परेशान मुझे ,
हर पल उसकी आँखों से आंसू बहे हैं ,
माँ की महानता के किस्से ,
हर हवा में शामिल मिलेंगे ,
माँ जब भी मुँह खोलेगी ,
उस के मुँह से मीठे बोल ही निकलेंगे ,
मैं मानता हूँ चरणों में ‌तुम्हारे ,
स्वर्ग के जैसा आनंद मिलता है,
तुम्हारा मान-सम्मान मेरे जीवन का अरमान,
संवर जाएगा हर काम उनका जो रहते हैं,
माँ के चरणों में सर झुकाकर,
हे ईश्वर,अगले जन्म भेजना माँ को,
मेरे घर बेटी बनाकर,
*     *      *        *        *        *

प्रेम और प्रार्थना (prem aur prarthana ) : एक बेटे का विश्वास

हे ईश्वर,बेटी में देखुं माँ का रूप मैं,
लगने ना दूं उसको गमों की धूप मैं,
हर पल करता रहूँ माँ की जय -जयकार ,
वो शामिल रहती मेरी हर दुआओं में,
उसके प्यार की महक,फैली रहती है,
इन बहती हवाओं में,
वो है मीठे पानी की झील के जैसी ,
वो है पीपल की घनी छाँव के जैसे ,
बड़ा अलबेला है ये ईश्वर का ,
मनमोहक प्यारा उपहार ,
तनाव मेरे सर का माँ दूर कर देती है ,
अपने प्यारे दो हाथ लगाकर ,
हे ईश्वर, अगले जन्म भेजना माँ को,
मेरे घर बेटी बनाकर,
मैं रखुंगा उसे अपने सर का ताज बनाकर,
*       *        *         *        *         *
इस जग में मशहूर है ,
वो जब भी मांगे हाथ जोड़कर ,
ईश्वर उसकी सुनता जरूर है ,
माँ बेटी बनकर जब घर में आए हमारे,
मैं समझुंगा हे ईश्वर आपने,
सोए भाग (भाग्य) जगाए हमारे,
जितना हो सके कर्ज माँ के दूध का,
उतारूंगा इस जन्म,
जब आएगी वो घर बेटी बनकर,
मैं उसके साथ खड़ा रहूंगा हर क़दम,
जीवन के हर मोड़ पर रखना मुझे,
उसकी आवाज बनाकर,
हे ईश्वर,अगले जन्म भेजना माँ को,
मेरे घर बेटी बनाकर,
मैं रखुंगा उसे अपने सर का ताज बनाकर,
*       *         *         *         *
हे ईश्वर,वो जिस रूप में भी रहे हमारे घर,
सदा उसका चेहरा मुस्कराता मिले,
मुस्कराते माँ के चेहरे में,
सुना है ईश्वर का वास रहता है,
उसके मुस्कराने से घर में,
खुशियों का आगाज रहता है
हर लेती है सब दुःख मेरे ,
माँ बनाकर रखती है मेरे चारों ओर,
अपनी दुआओं के घेरे ,
मैं भी अपने दिल में रखता हूँ सदा ,
माँ के प्यार की ज्योत जलाकर ,
हे ईश्वर, अगले जन्म भेजना माँ को,
मेरे घर बेटी बनाकर,
मैं रखुंगा उसे अपने सर का ताज बनाकर,
*       *        *         *        *         *

माँ का प्रेम और प्रार्थना (prem aur prarthana ) ,

इस जग में सबसे न्यारा है ,
इसलिए माँ को पूजता ये जग सारा है ,
मैं सदा पूजता रहूं उसके,
हर एक रूप को,
मेरा सर झुक जाता है,
देखकर ईश्वर के इस स्वरूप को,
माँ महान है,वो हमारी जान है,
मन में बरसते हैं खुशियों के बादल,
माँ रखेंगे तुम को ,
अपनी आँखों का बनाकर काजल ,
माँ तुम्हारी दुआओं की शक्ति,
मुझको रखती है हर पल जांबाज बनाकर,
हे ईश्वर, अगले जन्म भेजना माँ को,
मेरे घर बेटी बनाकर,
मैं रखुंगा उसे अपने सर का ताज बनाकर,
*       *        *         *        *         *

1 thought on “प्रेम और प्रार्थना (prem aur prarthana ):बलिदानी माँ के लिए”

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