श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर ,
हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए ,
मुझे माँ के प्यारे आंचल के साथ,
पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) भी चाहिए,
* * * * * * * * *
श्रवण-सा बेटा हो परिवार में,
फिर और क्या चाहिए इस संसार में,
दौलत से ज्यादा संस्कार जरूरी हैं,
मात-पिता के दिल में है क्या,
ये सर झूठे उनके सामने सदा,
उनके लिए दिल मे प्यार जगाना,
हम सबकी जिम्मेदारी है,
ये दुनिया एक मेला है,
जिनके सीने पर सर रखकर खेला है,
उस मात-पिता के साथ,
दिल से लगाव चाहिए,
श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर ,
हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए ,
मुझे माँ के प्यारे आंचल के साथ,
पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) भी चाहिए,
* * * * * * * * *चाँद की चाँदनी से शीतल,
महकते फूलों से प्यारा,
माँ का आँचल होता है,
ठण्डी हवाओं के झोंके,
जिसे मना लेते हैं हम रो-रो के,
वो माँ का आंचल होता है,
बेटा बनेगा मेरा संसार,
उसके लहू में है मेरे संस्कार,
मुझे हर पल हर घड़ी,
अपने बेटे की जय-जयकार चाहिए,
श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर ,
हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए ,
मुझे माँ के प्यारे आंचल के साथ,
पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) भी चाहिए,
* * * * * * * * *
झील का मीठा पानी माँ,
पिता खारे पानी का है एक समंदर ,
माँ पिता का आधा अंग है,
ये दोनों बसे हैं मेरे दिल के अंदर,
माँ ने झुकना सिखाया है,
बड़े-बुजुर्गों के आगे,
जो पिंगल जाए दूसरों का दूख देखकर,
एक दिन किस्मत के सितारे उसके जागे,
कांटों से घबराना क्या,
बेबस पर जोर दिखलाना क्या,
जो गरजते बादल के जैसा दिखता है,
वो ठण्डा पानी भी बरसाता है,
जो हर पल दौड़ता रहता है,
उसे थोड़ा आराम भी चाहिए,
श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर ,
हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए ,
मुझे माँ के प्यारे आंचल के साथ,
पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) भी चाहिए,
* * * * * * * * *पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) : मेरा आसमान
सूरज के उजाले की पहली किरण,
जब छूती है मेरी माँ के चरण,
शुरू हो जाता है चिड़ियों का चहकना,
बादल करता है मेरी माँ को नमन,
एक मित्र के जैसा है माँ का व्यवहार,
मेरी हाँ में हाँ मिलाने को हर पल तैयार,
मेरी माँ के हाथों में सदा,
मुझे अपने जीवन की नांव चाहिए,
श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर ,
हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए ,
मुझे माँ के प्यारे आंचल के साथ,
पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) भी चाहिए,
* * * * * * * * *
कम बोलना थोड़ा हंसना,
ये पहचान है मेरे आसमां की,
मेरे जीवन की डोर है वो,
खुशियां है वो मेरी प्यारी माँ की,
हमारे आंगन में बिखरे उजाला,
जब पड़ते हैं पिता के कदम,
उसकी छाँव में नीडर होकर,
खुशियां बटोरते रहते हैं हम,
जहां पड़ेंगे तुम्हारे कदम,
मैं बन जाऊंगा तुम्हारे कदमों की माटी,
एक दिन मै बन जाऊंगा,
तुम्हारे बुढ़ापे की लाठी,
मुझे हर पल अपने हाथों में,
तुम्हारा हाथ चाहिए,
श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर ,
हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए ,
मुझे माँ के प्यारे आंचल के साथ,
पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) भी चाहिए,
* * * * * * * * *पिता हर रात मेरे चेहरे को सहलाता है,
मेरे सो जाने के बाद,
वो मन ही मन खिलखिलाता है,
मेरे सो जाने के बाद,
काम ही जीवन काम ही पूजा,
ये हम सबको सिखलाता है,
उम्मीद जगाना रिश्तों को निभाना,
हर वादे को पूरा करके दिखाता है,
ना पिता को रिश्तों में खिंचाव पसंद है,
ना ही कोई उसे मोल-भाव चाहिए,
श्रवण के जैसे जो चले कांधे पर उठाकर ,
हर घर में ऐसे कांधे ऐसे ही पाँव चाहिए ,
मुझे माँ के प्यारे आंचल के साथ,
पिता के प्यार की छाँव (pita ke pyar ki chhanv) भी चाहिए,
* * * * * * * * *createrराम सैनी
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