pet ki bhookh

माँ और पेट की भूख( pet ki bhookh):माँ जीत गई

  1. माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख( pet ki bhookh) ,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती है पेट की भूख,
    माँ कोई ऐसा उपाय बताओ ना,
    कुछ ऐसा करके दिखलाओ ना,
    ये पेट की भूख हमें सताना छोड़ दें,
    माँ जब जेब हो खाली,पेट हो खाली,
    फिर कुछ ज्यादा ही सताती है पेट की भूख,
    माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती है पेट की भूख( pet ki bhookh),
    * * * * *
    माँ सब लोगों को एक समान,
    क्यों नहीं बनाया है ऊपरवाले ने,
    किसी को छोटा और किसी को बड़ा,
    क्यों बनाया है ऊपरवाले ने,
    कोई पेट भरकर खाता है,
    कोई भूखा ही सो जाता है,
    ये सब खेल क्या उपरवाला ही रचाता है,
    माँ हर रोज क्यों इम्तिहान लेती है पेट की भूख,
    माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती है पेट की भूख( pet ki bhookh),
    * * * * *
    मत होना तुम उदास माँ,
    मेरे लिए हो तुम सबसे खास माँ,
    भूख से हमारा बचपन का नाता है,
    कभी-कभी ये भूखा पेट बहुत शोर मचाता है,
    अब देखना है कब बदलेंगे हमारे हालात,
    कब होगी इस भूखे पेट पर,
    माँ दाने-पानी की बरसात,
    भुखे पेट तो नींद भी माँ,
    इन आँखों में आने से कतराती है ,
    माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती पेट की भूख( pet ki bhookh),
    * * * * *
    एक माँ के रहते पेट की भूख,
    तुम को तडफाना पाएगी,
    माँ बेशक खाए या ना खाए पर,
    बच्चों को जरूर खिलाएगी,
    किसी ना किसी रोटी पर जरूर,
    तुम्हारा नाम लिखा होगा,
    ये भूख से तड़पता चेहरा देखकर,
    किसी ना किसी का दिल तो जरूर पिंगलेगा
    कोई ना कोई जरूर आएगा,
    उस ऊपरवाले का रूप बनकर,
    जो मिटाएगा तुम्हारे पेट की भूख,
    माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख( pet ki bhookh) ,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती है पेट की भूख,
  2. *।     *।        *।         *
  3. माँ और पेट की भूख( pet ki bhookh):माँ और रोटी का रिश्ता
 pet ki bhookh
pet ki bhookh
  1. मैं एक कर दूंगी धरती-गगन,
    मैं बुझाकर रहूंगी तुम्हारे इस खाली पेट की अग्न,
    बोझ उठाऊंगी,हाथ फैलाऊंगी,
    भूखा ना सोने दूंगी अपनी कोख के जाये को,
    मैं प्रार्थना करूंगी,माथा रगडूंगी,
    मीठी लोरी गाकर जल्दी बुलाऊंगी,
    वो आँखों की नींद तुम्हें तड़पाए जो,
    माँ के रहते पास नहीं आ सकती है पेट की भूख,
    माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती पेट की भूख( pet ki bhookh),
    * * * * *
    भूखे पेट प्यारी लगती है माँ रोटी की खुशबू,
    माँ जब खुलते हैं सुबह-सुबह मेरे नयन,
    इस रोटी की खुशबू देखकर,
    मेरा दिल हो जाता है बेचैन,
    मैं चारपाई पर लेटे-लेटे,
    माँ करवटें लेता रहता हूँ,
    अपने दिल को झूठी तसल्ली देते-देते,
    मै ना चाहते हुए भी सोता रहता हूँ,
    हर घड़ी किस्मत न‌ए-न‌ए रंग दिखाती है,
    माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती है पेट की भूख( pet ki bhookh),
    * * * * *
    तुम मत होना माँ ज्यादा परेशान,
    जब तक पैरों के नीचे जमी और,
    सर पर है हमारे आसमान ,
    हम नहीं छोड़ेंगे उम्मीद का दामन,
    जब तक आपका साथ ऊपरवाले का हाथ है,
    हम नहीं छोड़ेंगे उम्मीद का दामन,
    आज से माँ हम दोनों दिखाएंगे जी-कर,
    कुछ दिन रह सकते हैं हम मीठा जल पी-कर,
    भूख से हमारा अजीब सा रिश्ता है,
    माँ इस दुनिया में गरीब आदमी ही क्यों पिसता है,
    ना जाने क्या -क्या रंग दिखाती है पेट की भूख,
    माँ हर रोज तड़फाती है पेट की भूख,
    हर रोज दौड़ाती है पेट की भूख,
    कंई बार बिन खाए सुलाती है,
    हमें भूख से तड़पता देखकर,
    मंद-मंद मुस्कुराती है पेट की भूख( pet ki bhookh),
    * * * * *
    creation -राम सैणी
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