papa aapki ladli

पापा आपकी लाडली ( papa aapki ladli ) : लौट आओ पापा

पापा आपकी लाडली ( papa aapki ladli ) ,
आपकों ढूंढने है निकली,
आप बैठ ग‌ए हो कहाँ छूपकर,
मैं रोना चाहती हूँ आपसे लिपटकर,
एक कौआ बोलता है घर की मुंडेर पर,
शायद घर में है कोई आने वाला,
उसे कौए को क्या पता है,
जिसे ढूंढ रही मेरी निगाहें,
कब से तरस रही है मेरी बांहें,
हमें बहुत तडफा रहा है,
इस घर का रखवाला,
आ भी जाओ ना पापा,
इससे पहले मुरझा ना जाए,
इस आंगन की कोमल कली,
पापा आपकी लाडली ( papa aapki ladli ) , 
आपकों ढूंढने है निकली,
*        *        *        *
बड़ी माँ से पूछा था एक बार,
वो छोड गई है बीच मझधार,
मुझे लगा बड़ी माँ लटका रहीं हैं,
मुझे प्यारी-प्यारी बातों से भटका रही है,
क‌ईं दिनों से गोल-गोल घूमा रही है,
सच क्या है वो मुझे नहीं बता रही है,
बड़ी माँ बोलती है टुटते तारे,
दोबारा नहीं जाते आसमान में,
वो फूल मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो उखड़ गए हैं फूलदान से,
आपके बिना लगता है पापा,
सारा घर खाली-खाली,
पापा आपकी लाडली( papa aapki ladli ) ,       
आपकों ढूंढने है निकली,
आप बैठ ग‌ए हो कहाँ छूपकर,
मैं रोना चाहती हूँ आपसे लिपटकर,
*        *        *         *        *
बड़ी माँ हर रोज कहानियां सुनातीं है,
जो मेरे समझ में नहीं आती हैं,
सीधे-सीधे बोल बड़ी माँ,
पापा कब तक आएंगे,
अपने मन की परतें खोल,
मुझे बताओ बड़ी माँ,
पापा कब खिलोने दिलाएंगे,
नींद कब आती है कब जाती है,
मेरी आँखों में लाली रहती है,
मुझसे हर रोज कहतीं हैं,
कब तक आएंगे पापा,
मुझसे पूछ रही है मेरी आँखोँ की लाली,
पापा आपकी लाडली( papa aapki ladli ) ,       
आपकों ढूंढने है निकली,
आप बैठ ग‌ए हो कहाँ छूपकर,
मैं रोना चाहती हूँ आपसे लिपटकर,
*        *        *         *        *
मुझसे कुछ रही हो छूपा,
मुझे भी बताओ ना माँ,
जब ये जिंदगी सताती है,
पापा की बहुत याद आती है माँ,
तुम्हारे मन की बेचैनी को,
मैं तुम्हारे चेहरे पर देख रहीं हूँ,
तुम्हारे मन का सूनापन,
तुम्हारी आँखों में देख रही हूँ,
बस कर अब कुछ ना बोल,
मेरी आँखों का समंदर,
कब से हो रहा है डांवाडोल,
मेरी नज़रें नहीं हटती है उनकी तस्वीर से,
जो मैंने अपने मन-मंदिर में है बसाली,
पापा आपकी लाडली( papa aapki ladli ) ,       
आपकों ढूंढने है निकली,
आप बैठ ग‌ए हो कहाँ छूपकर,
मैं रोना चाहती हूँ आपसे लिपटकर,
*        *        *         *        *

पापा आपकी लाडली ( papa aapki ladli ) :  लाडली की तड़फ

 

papa aapki ladli
papa aapki ladli

तुम्हारे सवालों का जवाब,
मेरे भी पास नहीं है,
ये मुझे भी पूछना है तुम्हारे पापा से,
वो क्यों हमारे साथ नहीं है,
तेरा दोष है ना मेरा दोष है,
ये किस्मत का खेल निराला है,
हमारी कितनी परीक्षा अभी बाकी है,
बस ये जानता ऊपरवाला है,
इसी का नाम जिंदगी है,
कभी धूप कभी छाँव,
कभी सवेरा तो कभी रातें हैं काली,
पापा आपकी लाडली( papa aapki ladli ) ,    
आपकों ढूंढने है निकली,
आप बैठ ग‌ए हो कहाँ छूपकर,
मैं रोना चाहती हूँ आपसे लिपटकर,
*        *         *        *        *
घर सूना-सूना लगता है,ना जाने क्यों,
सब-कुछ बेगाना सा लगता है ना जाने क्यों,
मन बेचैन है,रस्ते पर नयन हैं,
अभी भी बची है उम्मीद आखिरी,
चेहरे का हंसना गायब है,
पेट की भूख-प्यास गायब है,
शरीर है गया है सुख कर लकड़ी,
आँखों के नीचे काले घेरे हो ग‌एं हैं
चेहरे का रंग पीला हो गया है,
जिस चेहरे का रंग था कभी गुलाबी,
पापा आपकी लाडली( papa aapki ladli ) , 
आपकों ढूंढने है निकली,
आप बैठ ग‌ए हो कहाँ छूपकर,
मैं रोना चाहती हूँ आपसे लिपटकर,
*        *        *         *        *
घर में सब परेशान हैं,
सबके चेहरे पर सवालों के निशान हैं,
सच सबको पता है पर मुझसे जुदा है,
पापा बिन मुश्किल बड़ी है,
खुशियां राहें रोकें खड़ी हैं,
घर से अकेले निकल पडी है,
पापा अब आपकी लाडली है,
सूना है घर का आंगन पापा,
सूनी है मुस्कराती वो गली है,
पापा आपकी लाडली( papa aapki ladli ) ,    
आपकों ढूंढने है निकली,
आप बैठ ग‌ए हो कहाँ छूपकर,
मैं रोना चाहती हूँ आपसे लिपटकर,
creation – राम सैणी
read more sweet poetry
click here —> कैसे बाँटोगे बलिदानी माँ ( kaise bantoge balidani maa )
click here —> बेटा कहकर पुकारा (beta kahkar pukara ): कुदरत का चमत्कार

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top