मुझे भी हक दो माँ (mujhe bhi haq do maa)
तेरी कोख को माना है घर अपना, दुनिया में आने का मुझे भी हक दो माँ (mujhe bhi haq do […]
तेरी कोख को माना है घर अपना, दुनिया में आने का मुझे भी हक दो माँ (mujhe bhi haq do […]
घर की बड़ी बेटी होने का अभिमान है, बेटों के जैसे पली हूँ, पाँव जमीं पर हैं मेरे, मैं आसमान
माँ एक प्यारी सौगात (maa ek pyari saugaat ) है, वो ठंडी-ठंडी बरसात है , माँ के प्यार का
खुशियां छाई रहती है जीवन भर, जब पिता का आशीर्वाद (pita ka aashirwad) हो सर पर, हर घड़ी मेरा हौंसला
मैं हूँ मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ), मेरा हर फैंसला है लाजवाब, वो जिसके हाथों
मै ढूंढता नहीं ईश्वर को बाहर, उसकी मूरत मेरे घर में ही रहती है, मैं छू लेता हूँ चरण उस
जिस माँ की होती है कोख सूनी, वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख, माँ बनने का सफर(maa banne
मुझे भेजना घर ऐसे जहाँ, बेटी का सत्कार हो, हर आँख का रहूँ मैं तारा बनकर, घर में सब मुझको
अनाथ-आश्रम और वृद्ध-आश्रम को, यदि एक कर दिया जाए, इसी बहाने बच्चों को माँ और, माँ को बच्चे मिल जाएं,
माँ,मेरे सपनों में पंख लगा दो आज, मै भी पहनना चाहती हूँ कामयाबी का ताज, बेटी समझकर पैरों में ना