प्रणाम माँ के नाम (prnam maa ke nam )
जिस मिट्टी पर तेरे पाँव पड़े माँ, मैं उस मिट्टी को छूकर करता हूँ नमस्कार, आराम करें तूं जिस […]
जिस मिट्टी पर तेरे पाँव पड़े माँ, मैं उस मिट्टी को छूकर करता हूँ नमस्कार, आराम करें तूं जिस […]
Welcome to WordPress. This is your first post. Edit or delete it, then start writing!
बेटी की किस्मत (beti ki kismat ) : एक बाप का सपना काश बेटी की किस्मत (beti ki kismat )
मैंने जब भी मांगें हैं खेल- खिलोने , वो तोड़कर ले आता था चाँद-सितारे, स्नेह और सहारा (sneh aur sahara
मुझे आंखों से ना ओझल होने दिया, जिस माँ की गोद में होश संभाला है, सच में माँ की ममता
माता-पिता बुढ़ापे में, ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं, अगर मेरे देश के हर घर में, एक श्रवण-सा बेटा
मैं चूम लेता हूँ हर सुबह, अपने पिता के हाथों कों, उसकी आँखें रहती है लाल हर पल, शायद वो
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर , समाज में ये चलेगा कब तक , दहेज
सच्चा साथी माँ (sachha saathi maa ) के जैसा , क्या कोई हो सकता है दूसरा ऐसा , माँ करती
बोझ पिता के कांधे का, मैं अपने कांधे पर उठाऊं, गहरा प्रेम पिता संग (gahra prem pita sang ) है