मुख से जो भी निकला है वो पूरा किया है,
पर्वत से भी ऊँचा जिसका हौंसला है ,
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) एक मसीहा है,
बच्चोंं के जीवन में जो उजाला फैलाए,
पिता वो जलता हुआ दीया है ,
* * * *
मैंने आसमान छूने को कहा,
पिता ने मुझे अपने कांधे पर उठा लिया,
मेरे मन में हवा को छूने का ख्याल आया,
पिता ने मुझे झट से हवा में उछाल दिया,
मैं आसमान के सितारों से ,
बातें करना चाहता था,
पिता मुझे घर की छत पर बिठाकर,
हर रात सितारों से बात कराता था,
हर वो चीज हमारी झोली में डाल दी,
मैंने जिस भी चीज को छुआ है,
मुख से जो भी निकला है वो पूरा किया है,
पर्वत से भी ऊँचा जिसका हौंसला है ,
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) एक मसीहा है,
बच्चोंं के जीवन में जो उजाला फैलाए,
पिता वो जलता हुआ दीया है ,
* * * *
उम्र छोटी थी सपने बड़े थे,
लेकिन पिता ने हर सपना पूरा किया है,
मुझे कोयल का कूकना बहुत भाता था,
मोरों का पंख फैलाना बहुत भाता था,
पिता मुझे हर दिन जंगल की ओर,
उंगली पकड़कर घुमाने ले जाता था,
पिता गौर रखता था मेरे पल-पल का,
वो अपने मन की आँखों से जान लेता था,
हाल मेरी मन की हलचल का,
मैंने अपने पिता के पहऱे में,
एक राजकुमार-सा जीवन जिया है ,
मुख से जो भी निकला है वो पूरा किया है,
पर्वत से भी ऊँचा जिसका हौंसला है ,
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) एक मसीहा है,
बच्चोंं के जीवन में जो उजाला फैलाए,
पिता वो जलता हुआ दीया है ,
* * * *
पिता की जेब में हों चाहे लाखों छेद,
कोई नहीं जान सकता उसके दिल का भेद,
कोई जादू है जैसे पिता के हाथों में,
परिवार को कैसे खुश रखना है,
वो सोचता रहता है नींद से उठकर रातों में,
पिता के जैसा मेरे सपनों का,
इस जहां में कोई खरीददार नहीं,
उसके जैसा कोई सेवादार नहीं,
जब भी मांगा है पिता से,
दिल खोलकर दिया है,
मुख से जो भी निकला है वो पूरा किया है,
पर्वत से भी ऊँचा जिसका हौंसला है ,
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) एक मसीहा है,
* * * *
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) : त्याग की प्रतिमा

मै हर छोटी-छोटी बात पर रूठ जाता हूँ,
मुझे पता मेरा मनाने वाला है पीछे,
जब भी कोई बाधा रोके मेरा रास्ता,
मैं परेशान नहीं होता हूँ,
मुझे पता मेरी इस परेशानी को,
मिटाने वाला खड़ा है पीछे,
गुलाब के प्यारे फुलों में,
कांटों का होना है लाजमी,
समंदर के पानी का खारा होना है लाजमी,
पिता का प्यार-दुलार करना तो हक़ है,
लेकिन उसका कड़क होना भी है लाजमी,
पिता है चमकते चाँद की तरह,
जिस ने हमारे अंधियारे जीवन को,
हर घड़ी रौशन किया है,
मुख से जो भी निकला है वो पूरा किया है,
पर्वत से भी ऊँचा जिसका हौंसला है ,
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) एक मसीहा है,
बच्चोंं के जीवन में जो उजाला फैलाए,
पिता वो जलता हुआ दीया है ,
* * * *
मैं अब हवाओं के शोर से नहीं डरता,
बादलों की गरज से भी नहीं डरता,
क्योंकी मुझे अच्छे से पता है
मेरी पीछे एक ऊँची चट्टान है,
मैंने डरना छोड़ दिया है,
पानी की गहराई से,
मैंने लडना सीख लिया है,
अपनी ही चतुराई से,
अंधेरे से लडना,चिंताओं से लडना,
वक्त कैसा भी सदा सच के साथ खडना,
मैं धीरे-धीरे अभी सीख रहा हूँ,
मेरे पीछे है एक विशाल समंदर,
मैंने उसके अंदर उतरना सीख लिया है,
मुख से जो भी निकला है वो पूरा किया है,
पर्वत से भी ऊँचा जिसका हौंसला है ,
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) एक मसीहा है,
बच्चोंं के जीवन में जो उजाला फैलाए,
पिता वो जलता हुआ दीया है ,
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मेरी जीवन की डोर है लोहे के हाथों में,
वो मजबूत हाथ मेरे पिता के है,
जिसकी दोनों आँखों में छाईं हैं लालिमा,
वो प्यारी आँखें मेरे पिता की हैं,
पिता हर पल मुझे उत्साहित करते हैं,
मुझे में हर पल हवा भरते हैं ये बोलकर,
तूं किसी से नहीं है कम,
तूं है लाखों के बराबर एक शिवम्,
वो अपने दिल बात ना बताए किसी और को,
एक मेरे सिवा है,
मुख से जो भी निकला है वो पूरा किया है,
पर्वत से भी ऊँचा जिसका हौंसला है ,
मौन,तपस्वी पिता (moun tapasvi pitah) एक मसीहा है,
बच्चोंं के जीवन में जो उजाला फैलाए,
पिता वो जलता हुआ दीया है ,
* * * *
creation राम सैणी
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