अपने से छोटों को प्यार जताकर,
गले मिलती हूँ मुस्कराकर,
स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार, घर में मंझली बेटी (manjhali beti) का है मेरा किरदार,
* * * * *
एक पल का आराम नहीं मेरी जीव्हा को,
चीं-चीं,चूं-चूं किसी की बर्दाश्त नहीं,
घर की मंझली बेटी दिव्य को,
जी-भरकर सोती हूँ मैं रातभर,
गुस्सा रहता है मेरी नाक पर,
जितनी सीधी हूँ उतनी जिद्दी हूँ,
वादे की पक्की हूँ दिल की अच्छी हूँ,
माँ मुझे हर पल याद दिलाए,
समय से सोना समय से जगाना,
शैर के लिए सुबह-शाम भागना,
ये आदत मुझ में जोश जगाए,
जीवन जीती हूँ सीधा-सीधा,
किस के दिल में क्या है छूपा,
मैं देख लेती हूँ आर-पार,
अपने से छोटों को प्यार जताकर,
गले मिलती हूँ मुस्कराकर,
स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार, घर में मंझली बेटी (manjhali beti) का है मेरा किरदार,
* * * * *
समय से खाना समय से स्कूल जाना,
मैंने सबकी बनाकर रखी एक सूची है,
स्कूल के साथ-साथ घर के काम करना,
इन सब में मेरी बचपन से रुचि है,
माँ के सुर के साथ सुर मिलाकर रखती हूँ,
भुले से भी यदि मुझे आ जाए गुस्सा,
मैं सबको हिलाकर रखती हूँ,
बड़ी-बड़ी फेंकना मुझे आता नहीं,
मैं बातें करती हूँ वजनदार,
अपने से छोटों को प्यार जताकर,
गले मिलती हूँ मुस्कराकर,
स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार, घर में मंझली बेटी (manjhali beti) का है मेरा किरदार,
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मेरे ज्यादा बड़े कोई शौक नहीं,
छोटा-सा ताना-बाना है,
जो मिल जाए जितना मिल जाए,
सब मिल-बांटकर खाना है,
माँ की राज दुलारी हूँ बचपन से संस्कारी हूँ,
बड़ी दीदी बोले मुझे आज्ञाकारी,
माँ बोले फूलों की क्यारी हूँ,
माँ से सीख रही हूँ दुनियादारी,
पापा ने दी है मुझे बड़ी माँ की जिम्मेदारी,
बड़ी माँ मुझे पर करती है विश्वास,
अपने दिल की करती है हर बात,
बड़ी माँ से जुड़े हैं मेरे दिल के तार,
अपने से छोटों को प्यार जताकर,
गले मिलती हूँ मुस्कराकर,
स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार,
घर में मंझली बेटी (manjhali beti) का है मेरा किरदार,
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मंझली बेटी (manjhali beti) का किरदार : मंझली की दुनिया
मंझली बेटी (manjhali beti)
बड़ी माँ का खाना -पीना, बिस्तर लगाना,
मेरा हर रोज का काम है,
प्यार जताकर बड़ी माँ से,
जेब खर्ची चलाना मेरा काम है,
बड़ी माँ मुझे शयानी बोल-बोल कर,
घर में लकड़ी का पिटारा रख देती है खोलकर,
जो मुझे समेटना पड़ता है,
घर में बिखर जाता है सामान इधर-उधर,
फिर मुझे उलझे धागों के जैसे,
एक -एक सामान लपेटना पड़ता है,
जो बोलती हूँ वो ही करती हूँ,
मैं जुबान की हूँ ईमानदार,
अपने से छोटों को प्यार जताकर,
गले मिलती हूँ मुस्कराकर,
स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार, घर में मंझली बेटी (manjhali beti) का है मेरा किरदार,
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मेरी पहली पसंद पढ़ाई है,
घर में एक छोटा सलोना सा भाई है,
मेरी ज्यादा नहीं उस से जमती,
हर बात में रहती हूँ उस से आगे,
किसी बात में नहीं उस से कम थी,
हर बात में चीं-चीं करता है,
खुद को ज्यादा शयाना समझता है,
जो मुझको कभी मंजूर नहीं,
मैं उससे प्यार भी ज्यादा करती हूँ,
तकरार भी ज्यादा करती हूँ,
मैं बाहर से गुस्सा दिखाती हूँ,
पर मेरे दिल से वो दूर नहीं,
वो मीठी बोली बोलता है,
बोलने से पहले तोलता है ,
वो सबको अपना बना लेता है,
प्यार से देख ले जो एक बार,
अपने से छोटों को प्यार जताकर,
गले मिलती हूँ मुस्कराकर,
स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार,
घर में मंझली बेटी (manjhali beti) का है मेरा किरदार,
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मेरी एक प्यारी सी दीदी है जो बिल्कुल सीधी है,
हर बात पर वो अकडती है,
जब वो घर में होती है,
वो पड़ती है देर रात तक,
आँख दिखाए बात -बात पर,
वो सूरज उगने तक सोती है,
मैं हूँ अपनी मर्जी की मालिक,
मैं करती नहीं कभी कोई लालच,
हम सबको बराबर मिलता है,
मात-पिता का प्यार,
अपने से छोटों को प्यार जताकर,
गले मिलती हूँ मुस्कराकर,
स्वभाव से हूँ मैं तेज-तर्रार,
घर में मंझली बेटी (manjhali beti) का है मेरा किरदार,
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