मुझे जी-भरकर सोना है पापा,
मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा,
मैं अलग हूँ (main alag hoon )
मेरे सपने हैं नए जमाने के,
माँ को कोई एतराज़ नहीं है
वो मुझसे होती कभी नाराज़ नहीं है,
मुझे ना ही रोकती है कहीं आने-जाने से,
* * * * *
मुझे ऊँची आवाज में मत बुलाना पापा,
सुबह-सुबह जल्दी मत जगाना पापा,
सुबह की नींद बड़ी सुहानी होती है,
रात को देर से सोना
दिनभर इधर-उधर घूमना,
ये ही तो एक राजकुमार की निशानी होती है,
ज्ञान देना हर छोटी-छोटी बात पर,
ध्यान देना हर छोटी-छोटी बात पर,
शायद आपको मेरी सूरत भाती नहीं है,
हर दिन फटकार लगाना,
फिर बाद में गले लगाना,
ये बात मुझे समझ आती नहीं है,
जल्दी सोना जल्दी जागना,
कोई फायदा नहीं होगा पापा,
हर दिन मुझे ये बताने से,
मुझे जी-भरकर सोना है पापा,
मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा,
मैं अलग हूँ (main alag hoon )
मेरे सपने हैं नए जमाने के,
माँ को कोई एतराज़ नहीं है
वो मुझसे होती कभी नाराज़ नहीं है,
मुझे ना ही रोकती है कहीं आने-जाने से,
* * * * *
मैं कोई दूध पीता बच्चा नहीं हूँ,
मैं कोई अक्ल का कच्चा नहीं हूँ,
मैं गिन लेता हूँ उड़ती चिड़ियों के पर,
मेरे सर पर ज्यादा बोझ ना डालो,
मुझे अपनी बांहों के घेरे से बाहर निकालो,
अभी आपकी बातों का,
मुझ पर होता नहीं कोई असर,
आप सदा डांटते ही रहते हो,
मुझे किसी ना किसी बहाने से,
मुझे जी-भरकर सोना है पापा,
मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा,
मैं अलग हूँ (main alag hoon )
मेरे सपने हैं नए जमाने के,
माँ को कोई एतराज़ नहीं है
वो मुझसे होती कभी नाराज़ नहीं है,
मुझे ना ही रोकती है कहीं आने-जाने से,
* * * * *
मैं तुम्हें डांटता हूँ तुम्हारे भले के लिए,
मुझे बहुत फिक्र रहती इस मनचले के लिए,
एक पिता के जैसे प्यार,
शायद ही कोई कर सकता है,
तुम पढ़-लिखकर कुछ बन जाओ,
कभी मेरा भी काम में हाथ बंटाओ,
एक पिता के जितना इस जहान में,
शायद ही कोई कर सकता है,
मुझे तुम्हारे आने वाले कल की चिंता रहती है,
तुम्हारे हर पल की चिंता रहती है,
कुछ हाथ नहीं आएगा वक्त यूं गंवाने से,
मुझे जी-भरकर सोना है पापा,
मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा,
मैं अलग हूँ (main alag hoon )
मेरे सपने हैं नए जमाने के,
माँ को कोई एतराज़ नहीं है
वो मुझसे होती कभी नाराज़ नहीं है,
मुझे ना ही रोकती है कहीं आने-जाने से,
* * * * *
पापा,मैं अलग हूँ (main alag hoon ) : आज़ाद ख्यालों की उड़ान

ये वक्त सोने में मत गंवा,
वरना वक्त है गवाह,
टूटते तारों का कोई साथी नहीं होता है,
वक्त है रेत की तरह जो हर घड़ी फिसल रहा है,
जिंदगी का हर एक पल,
धीरे-धीरे करके निकल रहा है,
जो संभल गया वो आगे निकल गया,
ये वक्त है गवाह,
वक्त नहीं ठहरता कभी किसी के ठहर जाने से,
मुझे जी-भरकर सोना है पापा,
मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा,
मैं अलग हूँ (main alag hoon )
मेरे सपने हैं नए जमाने के,
माँ को कोई एतराज़ नहीं है
वो मुझसे होती कभी नाराज़ नहीं है,
मुझे ना ही रोकती है कहीं आने-जाने से,
* * * * *
तुम ने उसे अपने रंग में रंग डाला है,
मुझे पता ये बृजबाला का लल्ला है,
तुम ही उसे थोड़ा समझाओ ना,
मैं जब उसे कुछ बोलता हूँ,
तुम बिठा लेती हो अपनी पनाह में,
उसे तेज धूप में चलना सीखना है,
वो कब तक रहेगा मात-पिता की छाँव में,
दर्द कितना होता है ठोकर खाने से,
उसे पता होना चाहिए हरदम,
कहाँ मिलेगा कब लगाना है,
उसे पता होना चाहिए इस दर्द का मरहम,
ये दर्द कितना कम होगा,
इस मरहम को लगाने से,
मुझे जी-भरकर सोना है पापा,
मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा,
मैं अलग हूँ (main alag hoon )
मेरे सपने हैं नए जमाने के,
माँ को कोई एतराज़ नहीं है
वो मुझसे होती कभी नाराज़ नहीं है,
मुझे ना ही रोकती है कहीं आने-जाने से,
* * * * *
मैं माँ हूँ मुझको पता है,
वो मेरा राजा बेटा है,
वक्त के साथ-साथ समझ जाएगा,
उस पर है मेरे प्यार का साया,
उसने दिमाग आपके जैसा है पाया,
वक्त के साथ-साथ समझ जाएगा
उसे मित्र बनकर समझाओ आप,
ज्यादा आँखें ना दिखाओ आप,
अभी उसके चेहरे का रंग लाल है,
कुछ दिन सब्र करो वो मान जाएगा,
थोड़ा-सा प्यार दिखाने से,
मुझे जी-भरकर सोना है पापा,
मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा,
मैं अलग हूँ (main alag hoon )
मेरे सपने हैं नए जमाने के,
माँ को कोई एतराज़ नहीं है
वो मुझसे होती कभी नाराज़ नहीं है,
मुझे ना ही रोकती है कहीं आने-जाने से,
* * * *
creation-राम सैणी
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