माँ बिन जीवन है तमाशा,
कोई ना जाने माँ की परिभाषा (maa ki paribhasha)
माँ का काम बस वो ही जाने,
उसकी जगह लेना है मुश्किल,
माँ को भुलाना आसान है ,
माँ का किरदार निभाना है मुश्किल,
* * * * *
माँ हर घड़ी भागती-दौडती है,
एक काम भी अधूरा नहीं छोडती है,
माँ बिन कौन संभाले परिवार,
छोटे-बड़े का रखती है ध्यान,
परिवार की संभाले अकेले कमान,
माँ बिन कौन पाले परिवार,
सबकी पसंद का खाना बनाए,
सबको भरपेट खिलाएं,
उसके कांधों पर जिम्मेदारी है ज्यादा,
माँ का रिश्ता बाखुबी निभाए,
सबको अपने आंचल में छुपाए,
माँ जीवन जीती है सादा,
माँ को कोई समझ ना पाए,
माँ को जानने की हर दिल में है जिज्ञासा,
माँ बिन जीवन है तमाशा,
कोई ना जाने माँ की परिभाषा (maa ki paribhasha)
माँ का काम बस वो ही जाने,
उसकी जगह लेना है मुश्किल,
माँ को भुलाना आसान है ,
माँ का किरदार निभाना है मुश्किल,
* * * * *
माँ अमृत वेले में उठकर,
सबसे पहले रब के आगे वो झूककर,
इंतज़ाम करें सबके लिए दाने-पानी का,
माँ हाथों का जादू दिखाए हर रोज,
सबको खिलाए ताजा भोज,
फिर शुक्र करें रब की मेहरबानी का,
वो अपनी प्रार्थनाओं के बल पर,
हमारी सब विपदाएं हर लेती है,
वो बच्चों की खुशी के लिए,
कुछ भी कर लेती है,
प्यार निभाना जाने हर कोई,
पर माँ जैसा प्यार निभाना है मुश्किल,
माँ बिन जीवन है तमाशा,
कोई ना जाने माँ की परिभाषा (maa ki paribhasha)
माँ का काम बस वो ही जाने,
उसकी जगह लेना है मुश्किल,
माँ को भुलाना आसान है ,
माँ का किरदार निभाना है मुश्किल,
* * * * *
ना समय-सारणी ना कोई छुट्टी,
सब-कुछ थम जाएगा माँ जो रूठी,
माँ रूप है रब का वो रूठना ना जाने,
चैन-आराम वो नहीं जाने,
ये सब हैं बच्चों के खिलोने,
माँ मनाकर छोड़े यदि कोई ना माने,
हर रिश्ते में वो झुकना जाने,
सबको हंसता देखकर वो झूमना जाने,
किस को कब सोना है कब जागना है,
हर सुबह बिस्तर को कब त्यागना है,
बिन माँ के जीवन की नांव,
पार लगाना है मुश्किल,
माँ का काम बस वो ही जाने,
माँ बिन जीवन है तमाशा,
कोई ना जाने माँ की परिभाषा (maa ki paribhasha)
उसकी जगह लेना है मुश्किल,
माँ को भुलाना आसान है ,
माँ का किरदार निभाना है मुश्किल,
* * * * *माँ की परिभाषा (maa ki paribhasha) : माँ है आशा ,
माँ का अलार्म सही समय पर बजता है,
आँख खुले तो माँ याद आए,
जब बिस्तर पर सोने को जाएं,
बस माँ सिर्फ माँ का ही चेहरा दिखता है,
आधी रोटी आधी नींद,
माँ आँखों में लेकर घूमती है,
हर रात माँ हर दिन ,
अपने बच्चों का माथा चूमती है ,
परिवार बनाना है आसान,
बिन माँ के परिवार चलाना है मुश्किल,
माँ बिन जीवन है तमाशा,
कोई ना जाने माँ की परिभाषा (maa ki paribhasha)
माँ का काम बस वो ही जाने,
उसकी जगह लेना है मुश्किल,
माँ को भुलाना आसान है ,
माँ का किरदार निभाना है मुश्किल,
* * * * *
हर आंगन में खिलता रहे,
माँ रूपी ये फूल सदा,
आँख खुले तो माथे पर लगाएं,
उनके चरणों की धूल सदा,
माँ कीमती मोतियों की माला है ,
इस माला को गले का बनाकर रखें हार सदा,
ये ही वो कडी है घर की,
जो जोड़कर रखें परिवार सदा,
जान लिया जिसने माँ को,
फिर और कुछ जानने की नहीं है अभिलाषा,
माँ बिन जीवन है तमाशा,
कोई ना जाने माँ की परिभाषा (maa ki paribhasha)
माँ का काम बस वो ही जाने,
उसकी जगह लेना है मुश्किल,
माँ को भुलाना आसान है ,
माँ का किरदार निभाना है मुश्किल,
* * * * *
छूकर देखिए कभी अपने हाथों से,
माँ के खुरदरे हाथों को,
उसके काम में हाथ बंटाते रहना,
वो देर से ना सोएं रातों में,
कभी अपने हाथों से खिलाएं खाना,
हर दिन खाना खिलाने वाली को,
अपने प्यार के पानी से सींचकर रखिए,
परिवार की हरी-हरी इस डाली को,
माँ पहला प्यार माँ संग परिवार,
हमारे सपनों को माँ करें साकार,
माँ के बिना हर सपने को,
साकार बनाना है मुश्किल,
माँ का काम बस वो ही जाने,
उसकी जगह लेना है मुश्किल,
माँ को भुलाना आसान है ,
माँ का किरदार निभाना है मुश्किल,
* * * * *
creater-राम सैणी
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