ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस,
माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए,
ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर ना कर,
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend),
उसकी आँखों से कहीं भाग ना जाए,
* * * * * *
हम धीरे-धीरे करते हैं सब काम,
माँ जब सोने लगती है,
वो गिर ना जाए कहीं ठोकर खाकर,
हम उसका हाथ थामकर रखते हैं,
रात जब होने लगती है,
थोड़ी कमजोर हो गई है,
माँ की आँखों की ज्योति,
अब वो पहले के जैसे ज्यादा नहीं सोती,
वो धीरे-धीरे चलती है एक छडी पकड़कर,
छड़ी रहती है उसका सहारा बनकर,
मैं शुक्रगुजार हूँ उस छड़ी का,
जो हर पल मेरी माँ का साथ निभाए,
ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस,
माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए,
ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर ना कर,
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend),
उसकी आँखों से कहीं भाग ना जाए,
* * * * * *
उम्र के इस पड़ाव पर माँ का,
बच्चों के जैसे ख्याल रखते हैं,
खाने से लेकर पीने तक,
हम माँ की पूरी संभाल रखते हैं,
दो हीरे थे हमारी किस्मत में ,
हमारे हिस्से में सिर्फ एक ही आया है,
माँ के रूप में मिला है दुसरा हीरा,
जिसने मेरी किस्मत को जगाया है,
ऐ चहकती चिड़ियों,जरा धीरे से चहको,
तुम्हारे चहकने की ज्यादा कहीं आवाज ना आए,
ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस,
माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए,
ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर ना कर,
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend),
उसकी आँखों से कहीं भाग ना जाए
* * * * * *
माँ दिन -रात करें घर में भगवत गीता पाठ,
घर में सुनाई पड़ती है सदा ,
मनभावन घंटीयो की आवाज ,
माँ अमृत वेले उठती,
कुछ पल के लिए थोड़ा रुकती है,
कर रब का ध्यान मन में,
घर से बाहर निकलती है,
वो चलती रहती है बहते पानी के जैसे,
ना बैठे कभी थक-हारकर,
हमारी सब इच्छाएं की है पूरी,
अपनी इच्छाओं को मारकर,
मेरे दिल का हर राज माँ जाने,
पर अपने दिल में लाखों राज छूपाए,
ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस,
माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए,
ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर ना कर,
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend),
उसकी आँखों से कहीं भाग ना जाए,
* * * * * *
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend) : मेरा पहला सपना
घर में है एक छोटा सा आंगन,
उस आंगन में एक प्यारा-सा बगीचा है,
अपने प्यार से हम सब का जीवन,
माँ ने हर पल सींचा है,
हाथ कांपते रहते हैं जुबान भी लडखडाती है,
आज भी माँ गले लगाकर,
हम सबको प्यार जताती है,
माँ ही दौलत माँ ही शौहरत,
माँ है गंगा के पानी जैसी,
माँ ही मेरा गुरूर नहीं दिल से है दूर,
माँ की सरल-सीधी जिंदगानी है,
हर पल मेरी ये ही कोशिश रहती है,
माँ कहीं हो नाराज ना जाए,
ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस,
माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए,
ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर ना कर,
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend),
उसकी आँखों से कहीं भाग ना जाए
* * * * * *
घर की जरूरतें पूरी करने के लिए,
मैंने माँ को देखा है दिन-रात भागते हुए,
दिन में चैन नहीं था एक पल का,
आधी-अधूरी नींदें आँखों में लेकर,
मैंने कंई बार देखा है माँ को जागते हुए
जो बीत गया सो बीत गया,
मैं रब के आगे सर झुकाकर,
अपने दिल की आता हूँ हर रोज़ सुनाकर,
उसे सब खुशियां देना,
जो जीती है मेरी खुशियों के लिए ,
सदा खुशियों से चमकते रहें,
माँ की आँखों के दीये,
उसके संस्कार बसे हैं मेरे तन-मन में,
जो मुझे हर पल सच की राह दिखाए,
ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस,
माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए,
ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर ना कर,
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend),
उसकी आँखों से कहीं भाग ना जाए,
* * * * * *
बच्चों के जैसे हो जाए जब माँ का व्यवहार,
छोटी-छोटी बात पर जिद्द हो जब सर पर सवार,
माँ की हर जिद्द है मेरी सर आँखों पर,
वो नाराज़ ना हो मेरी बातों पर,
वो प्यार के मोती चुन -चुनकर,
दिलों में प्यार ही प्यार जगाए,
ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस,
माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए,
ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर ना कर,
माँ की मीठी नींद (maa ki meethi neend),
उसकी आँखों से कहीं भाग ना जाए
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creater – राम सैनी
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