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माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun )

माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) : मीठी नींद

मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर,
मेरी आँखों के आगे काले घेरे देखकर,
माँ मेरे मन की बेचैनी जान लेती है,
मेरी आँखों में एक जुनून मिलेगा,
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) मिलेगा,
मैं जब करने लगता हूँ बातें कम,
मेरी हो जाती है जब आँखे नम,
मैं परेशान हूँ माँ ये मान लेती है,
*       *        *       *         *
मेरे चेहरे पर चमकते हैं,
जब खुशियों के लाखों सितारे,
माँ को ऐसे लगता है जैसे गले मिल रहें हों,
बहते समंदर के दो किनारे ,
जब मेरा चेहरा खुशी से हो जाता है लाल,
माँ को लगता है जैसे उस सच्चे रब का ,
कोई हो गया हो क़माल,
माँ रब से विनती करें हर पल,
अपनी दो आँखे बंद कर के,
ऐसे पल हों गायब मेरे जीवन से,
जो रखते हैं मुझे तंग कर के,
हर रोज सिखाएं नया सबक माँ,
मैं मांगता हूँ दो पल
मेरा कहा कभी ना मोड़ा है,
मैंने मांगा जब भी थोड़ा है,
वो पूरा आसमान देती है,
मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर,
मेरी आँखों के आगे काले घेरे देखकर,
माँ मेरे मन की बेचैनी जान लेती है,
मेरी आँखों में एक जुनून मिलेगा,
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) मिलेगा,                                   
मैं जब करने लगता हूँ बातें कम,
मेरी हो जाती है जब आँखे नम,
मैं परेशान हूँ माँ ये मान लेती है,
*         *         *        *        *
कंई बार मैं अपनी बाते मनवा लेता हूँ,
माँ से जिद्द कर के,
वो कहीं से भी ले आती है,
मेरे लिए खुशियां खरीद कर के,
कोई कहे माँ सुख-दुख का साथी,
कोई कहे सर की छाया,
कोई कहे माँ बहती नदियां,
कोई कहे मां शीतल छाया,
मेरे सर को छूए जब तेज धूप,
माँ अपना आंचल तान देती है,
मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर,
मेरी आँखों के आगे काले घेरे देखकर,
माँ मेरे मन की बेचैनी जान लेती है,
मेरी आँखों में एक जुनून मिलेगा,
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) मिलेगा,                
मैं जब करने लगता हूँ बातें कम,
मेरी हो जाती है जब आँखे नम,
मैं परेशान हूँ माँ ये मान लेती है,
*         *         *        *       *
मैं कितना भी छूपाऊं नहीं छिपा सकती,
मेरे मन की बेचैनी,
वो बिन सोचे, बिन देर लगाए करती है,
मुझ पर मेहरबानी,
माँ के लिए ब‌च्चे कभी बूढ़े नहीं होते,
ना उसकी नजर में कभी कसूरवार,
माँ के हाथों में रहती हैं हमेशा,
मेरे जीवन की पतवार,
वो झील है मीठे पानी की,
बड़े शांत स्वभाव से बहती है,
मैं दौड़कर लग जाता हूँ गले उसके,
जब मुझे आँखों का तारा माँ कहती हैं,
माँ मांगतीं है मेरे लिए हजारों दुआएं,
वो आँखें बंद करके जब भी,
उस सच्चे रब का नाम लेती है,
मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर,
मेरी आँखों के आगे काले घेरे देखकर,
माँ मेरे मन की बेचैनी जान लेती है,
मेरी आँखों में एक जुनून मिलेगा,
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) मिलेगा,
मैं जब करने लगता हूँ बातें कम,
मेरी हो जाती है जब आँखे नम,
मैं परेशान हूँ माँ ये मान लेती है,
*         *         *        *        *

माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) : मेरा ईश्वर
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun )
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun )

माँ समझाती है मुझे एक मार्गदर्शक बनकर,
लेकर मेरा अपने हाथों में हाथ,
माँ रहती है ब‌च्चों संग ऐसे,
जैसे डोर रहती है पतंग के साथ,
माँ जीवन को माने एक खेल -तमाशा,
वो पड़ लेती है मेरी आँखों की भाषा,
माँ हर ले मेरे मन की पीड़ा,
जब पीड़ा मेरा इम्तिहान लेती है,
मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर,
मेरी आँखों के आगे काले घेरे देखकर,
माँ मेरे मन की बेचैनी जान लेती है,
मेरी आँखों में एक जुनून मिलेगा,
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) मिलेगा,
मैं जब करने लगता हूँ बातें कम,
मेरी हो जाती है जब आँखे नम,
मैं परेशान हूँ माँ ये मान लेती है,
*         *         *        *        *
कुछ मीठे सपने हैं मेरे नाम,
कुछ मेरे अपने हैं मेरे गाँव,
सब रोगों की है एक दवा,
और कौन हो सकती है मेरी माँ के सिवा ,
जिम्मेदारियों को निभाना है कैसे,
बेवजह खर्च ना हों पैसे,
माँ अपने अनुभव से मुझे सिखाती है,
मुश्किलों से जूझना है कैसे
उस रब को पूजना है कैसे,
माँ हर घड़ी मुझे बताती है,
वो सौ-बार वारती है मेरे सर से,
जब भी किसी संत -फकीर को दान देती है,
मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर,
मेरी आँखों के आगे काले घेरे देखकर,
माँ मेरे मन की बेचैनी जान लेती है,
मेरी आँखों में एक जुनून मिलेगा,
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) मिलेगा,
मैं जब करने लगता हूँ बातें कम,
मेरी हो जाती है जब आँखे नम,
मैं परेशान हूँ माँ ये मान लेती है,
*         *         *        *        *
कभी दिल ना दुखे किसी बेबस का,
ख्याल हो हर पल उस रब का,
नेक काम में खर्च हो कुछ हिस्सा,
जो दौलत कमाई है,
माँ एक चमकता नगीना है,
औलाद के लिए धड़कता जिसका सीना है ,
सब सत्कर्मों का फल मिले,
माँ की सेवा जिसके हिस्से में आई है,
माँ मेरी छोटी से छोटी हर चीज पर,
बहुत ध्यान देती है,
मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर,
मेरी आँखों के आगे काले घेरे देखकर,
माँ मेरे मन की बेचैनी जान लेती है,
मेरी आँखों में एक जुनून मिलेगा,
माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) मिलेगा,
मैं जब करने लगता हूँ बातें कम,
मेरी हो जाती है जब आँखे नम,
मैं परेशान हूँ माँ ये मान लेती है,
*         *         *        *        *

creater – राम सैनी

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