मुझे बेटा मिले या बेटी,
माँ को दोनो ही जान से प्यारे हैं,
दोनों की रगों में दौडे मेरा दूध लहु बनकर,
दोनों ही माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) हैं,
* * * * * * * * *
मैं बनुंगी माँ अगर एक बेटे की,
मैं चाहुंगी वो बेटा हो श्रवण की तरह,
मीठी जुबान नजरों में सम्मान हो,
वो हम सबके दिलों में रहे,
एक ठण्डी-शीतल पवन की तरह,
उसके मुख पर चमकता तेज हो,
दो नयन हों उसके प्यारे -प्यारे,
उसकी बातों में हो एक चंचलपन,
उसके दिल में हो एक अपनापन,
ना हाथ उठे किसी बेबस पर,
मैं नदियां में बहाऊं सब सिक्के,
जो उसके सर से वारें हैं,
मुझे बेटा मिले या बेटी,
माँ को दोनो ही जान से प्यारे हैं,
दोनों की रगों में दौडे मेरा दूध लहु बनकर,
दोनों ही माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) हैं,
* * * * * * * * *
अपने व्यवहार से सबका दिल जीते,
दिल जीते नटखट बातों से,
मुझे यूं लगे मेरी वर्षो की तपस्या पूरी हो,
जब छुए वो पहली बार अपने हाथों से,
वो धर्म कर्म को भी माने,
वो पूरा करें जो दिल में ठाने,
हम सबके दिल में उतरने का,
वो हर प्यारा रस्ता जाने,
एक हो चमकते चाँद के जैसे,
भीड़ नहीं चाहीए तारों की,
वो घर का चिराग रहेगा बनकर,
उसमें रहेंगे प्राण हमारे हैं,
मुझे बेटा मिले या बेटी,
माँ को दोनो ही जान से प्यारे हैं,
दोनों की रगों में दौडे मेरा दूध लहु बनकर,
दोनों ही माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) हैं,
* * * * * * * * *
मुझे मिले अगर बेटी की सौगात,
मैं निगरानी करूंगी उसकी दिन-रात,
प्यारी -प्यारी एक गुड़िया के जैसी लगती हो,
मन बस जाएं जो देखे पहली बार,
बिल्कुल परियों के जैसी दिखती हो,
प्यारी हो सदाचारी हों,
थोड़ा नटखटपन,थोड़ी समझदारी हो,
जुबान हो मिस्री की तरह,
हर तरह से गुणकारी हो,
मैं फक्र करूं उस पर हद से ज्यादा,
उसका जीवन गुजरे ईश्वर के सहारे,
मुझे बेटा मिले या बेटी,
माँ को दोनो ही जान से प्यारे हैं,
दोनों की रगों में दौडे मेरा दूध लहु बनकर,
दोनों ही माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) हैं,
* * * * * * * * *
माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) : माँ का अटूट बंधन
उसकी बातों में लगे एक भोलापन,
जब मुंह खोले तो जुबान से फूल गिरें,
उसकी आँखों में दिखे एक अपनापन,
जब चले घर में वो धीरे-धीरे,
उसकी पायल की झन्कार बजे,
उसको चलता देखकर,
हर किसी के चेहरे पर मुस्कान सजे,
झूम उठूंगी मैं खुशी से,
माँ बोलकर जब वो मेरे सीने से लग जाएगी,
सर पर उठाएगी वो घर सारा,
जब कच्ची नींद से जग जाएगी,
उसकी प्यारी सी किलकारियों से,
झूम उठते घर में सारे हैं,
मुझे बेटा मिले या बेटी,
माँ को दोनो ही जान से प्यारे हैं,
दोनों की रगों में दौडे मेरा दूध लहु बनकर,
दोनों ही माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) हैं,
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दोनों को जन्म देते वक्त,
मुझे दर्द भी होगा एक -सा,
मेरी नींद से होंगी आँखें लाल,
दोनों बच्चों में दौड़ेगा मेरा ही रक्त,
मैं बेटे को सुलाऊंगी देकर लोरी,
बेटी भी वैसे ही सोएगी,
रोते बेटे को मैं जैसे चुप कराऊंगी,
चुप कराऊंगी वैसे ही बेटी को,
जब मेरी बेटी रोएगी,
बेटा पियेगा दूध जिस सीने का,
उस पर बेटी का भी हक होगा,
जिस सीने से लिपटकर बेटा,
सुरक्षित महसूस करेगा,
बेटी के लिए भी वो ही सीना सुरक्षित होगा,
एक डाली के फूल हैं दोनों,
दोनों में संस्कार हमारे हैं,
मुझे बेटा मिले या बेटी,
माँ को दोनो ही जान से प्यारे हैं,
दोनों की रगों में दौडे मेरा दूध लहु बनकर,
दोनों ही माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) हैं,
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जिस उंगली को थामकर चलेगा बेटा,
वो उंगली है बेटी के लिए,
जिस गोद में पलेगा मेरा बेटा,
वहीं गोद है मेरी बेटी के लिए,
जब सब-कुछ है एक समान,
फिर बेटा जन्में या बेटी,
ये सोचकर मत रहीए परेशान,
दोनों हैं धड़कन सीने की,
दोनों ही आँखों के तारे हैं,
मुझे बेटा मिले या बेटी,
माँ को दोनो ही जान से प्यारे हैं,
दोनों की रगों में दौडे मेरा दूध लहु बनकर,
दोनों ही माँ की आँखों के तारे (maa ki aankhon ke tare ) हैं,
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