माँ कैसी थी (maa kaisi thi ) कब हंसती-मुस्कुराती थी,
मुझे कुछ तो बताओ ना पापा,
हमारे साथ माँ क्यों नहीं रहती,
मुझे मेरी भाषा में समझाओं ना पापा,
* * * * *
मैं क्या-क्या बताऊं बेटे उसकी खूबी,
मेरे जीवन की डोर थी उसके हाथों में,
एक पाँव यहाँ दुजा पाँव वहाँ,
सारा दिन भागती-दौडती थी,
बस कुछ पल आराम करती थी,
काली अंधियारी रातों में,
पापा माँ को कल सवेरे लिखना एक चिट्ठी,
उसको बोलो आप को बहुत याद करती है,
हमारे आंगन की चमकती हुई मिट्टी,
बोलो इस मिट्टी में खेलता है उसका लाल ,
एक बार आकर इस मिट्टी को,
अपने माथे से लगाओ ना, माँ कैसी थी (maa kaisi thi ) कब हंसती-मुस्कुराती थी,
मुझे कुछ तो बताओ ना पापा,
हमारे साथ माँ क्यों नहीं रहती,
मुझे मेरी भाषा में समझाओं ना पापा,
* * * * *
माँ बिन हमारे कैसे रह लेती है,
पापा सच में है ना क़माल,
उसको बोलो दिन-रात माँ-माँ पुकारता है,
घर में उसका छोटा सा लाल,
मत हो उदास आ बैठ मेरे पास,
आओ तुम्हें और बताऊं बातें उसकी कुछ खास
ना तुम्हारी माँ देर तक सोती थी,
ना ही मुझे सोने देती थी,
वो घर की जिम्मेदारीयां मिलकर निभाती थी,
सारा बोझ मुझे नहीं उठाने देती थी,
पापा मैं भी देखना चाहता हूँ,
माँ कैसी होती है,
एक दिन घर पर बुलाओ ना पापा, माँ कैसी थी (maa kaisi thi ) कब हंसती-मुस्कुराती थी,
मुझे कुछ तो बताओ ना पापा,
हमारे साथ माँ क्यों नहीं रहती,
मुझे मेरी भाषा में समझाओं ना पापा,
* * * * *
बेटे वो एक -एक पल गिना करती थी,
हर रोज मीठे-मीठे सपने बुना करती थी,
अपने मन में बसाकर तेरा चेहरा,
उसके पाँव नहीं लगते थे ज़मीन पर,
वो हर घड़ी जीती थी अपने हसीन पल,
तेरे साथ जुड़ा था उसका नाता गहरा,
सारा घर खिलोनों से भर डाला था,
उसके चेहरे पर चमकता उजाला था,
तेरे आने की खुशी में,
वो बहुत मीठा बोलती थी,
बार-बार शीशा देखती थी,
तेरे आने की खुशी में,
माँ इतनी खुश क्यों रहती थी,
मुझे भी बताओ ना पापा, माँ कैसी थी (maa kaisi thi ) कब हंसती-मुस्कुराती थी,
मुझे कुछ तो बताओ ना पापा,
हमारे साथ माँ क्यों नहीं रहती,
मुझे मेरी भाषा में समझाओं ना पापा,
* * * * *
जब से तेरे आने का आभास होने लगा था,
उसका हर दिन ख़ास होने लगा था,
वो मुझसे कम तुझसे ज्यादा बातें करती थी,
उसने सारे घर को ऊपर से नीचे तक,
तुम्हारी तस्वीरों से सजाया हुआ था,
उसने तुम्हारी आने की खुशी में,
घर पर फकीरों को बुलाया हुआ था,
उनके पास बैठकर बोलती थी,
मुझे मेरे बेटे का भविष्य बताओ ना बाबा,
माँ कैसी थी (maa kaisi thi ) कब हंसती-मुस्कुराती थी,
मुझे कुछ तो बताओ ना पापा,
हमारे साथ माँ क्यों नहीं रहती,
मुझे मेरी भाषा में समझाओं ना पापा,
* * * * *
कल रात मेरे सपने में पापा,
कोई मुझे अपनी गोद में लेकर प्यार कर थी,
जैसे वो मेरे बोलने का इंतजार कर रही थी,
कभी हाथ फेरे बालों में,
कभी चूमती थी वो मेरे गालों को,
उसके काले-काले बाल थे,
ज्यादा लम्बी तो नहीं थी,
पर उसकी जुबान पर अनेक सवाल थे,
वो मुझसे बार -बार पूछ रही थी,
तेरे पापा तुझे प्यार तो करते हैं ना,
उंगली पकड़कर तेरे साथ तो चलते हैं ना,
दिन भर मेरे साथ खेलते हैं पापा,
मैं बोलूं दौड़ो तो दौड़ते हैं,
मैं बोलूं रुको तो रुकते हैं,
वो एक पल में मुस्कराने लगते हैं,
जब मैं बोलूं एक बार मुस्कराओ ना पापा,
माँ कैसी थी (maa kaisi thi ) कब हंसती-मुस्कुराती थी,
मुझे कुछ तो बताओ ना पापा,
हमारे साथ माँ क्यों नहीं रहती,
मुझे मेरी भाषा में समझाओं ना पापा,
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रसोई घर के एक कोने में,
तुम्हारे लिए कुछ सिक्के रखें हैं छुपाकर,
मैंने तुम्हारे पापा को भी रखा है बताकर,
जब भी तुम्हें याद मेरी आए,
उन सिक्कों को हवा में उछाल कर देखना,
अपने पीछे खड़ी परछाई को देखना,
तुम्हें मेरी सूरत ना दिखे तो कहना,
पापा कहीं वो माँ तो नहीं थी,
जैसा तुम बताते हो मेरी माँ का चेहरा -मोहरा,
वो बिल्कुल वैसी ही थी,
जब कल फिर आएगी सपने में,
मैं बोलूंगा माँ को मेरे पापा का दिल,
माँ अब बस और दुखाओ ना
माँ कैसी थी (maa kaisi thi ) कब हंसती-मुस्कुराती थी,
मुझे कुछ तो बताओ ना पापा,
हमारे साथ माँ क्यों नहीं रहती,
मुझे मेरी भाषा में समझाओं ना पापा,
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creater – राम सैनी