maa ka rinn

माँ का ऋण ( maa ka rinn ) : जीवन का सच

माँ का ऋण ( maa ka rinn ) हम-सब पर हमेशा रहेगा उधार,
कोई गरीब हो,या बड़ा साहुकार,
तुम एक जन्म लो चाहे हजार,
इसे आज तक कोई नहीं पाया उतार,
ये कर्ज यूं ही रहेगा जब तक रहेगा ये संसार,
* * * * *
माँ हमें नौ महीने अपनी कोख में पालती है,
वो काँच के सामान के जैसे,
हमें पल-पल संभालतीं है,
माँ हमें सींचती है नौ महीने,
अपने लहू का एक-एक कतरा देकर ,
वो नौ महीने गिन-गिन कर दिन गुजारती है,
कभी भुखी रहकर कभी आँखों में नींद लेकर,
हर दिन लेती है बुजुर्गों का आशीर्वाद,
हर दिन झुकती है ईश्वर के द्वार,
माँ का ऋण ( maa ka rinn ) हम-सब पर हमेशा रहेगा उधार,
कोई गरीब हो,या बड़ा साहुकार,
तुम एक जन्म लो चाहे हजार,
इसे आज तक कोई नहीं पाया उतार,
ये कर्ज यूं ही रहेगा जब तक रहेगा ये संसार,
* * * * *
माँ का खाना-पीना होता है,
उन दिनों में बस ना के बराबर,
उसका अंदर-बाहर जाना होता है,
उन दिनों में बस ना के बराबर,
वो मुस्कराती है थोड़ा डर-डर कर,
वो अपने पग आगे बढ़ाती थोडा डर-डर कर,
कुछ ग़म के कुछ खुशी के ,
उसके चेहरे पर हाव-भाव रहेंगे,
माँ को घर में बड़े-बुजुर्ग,
अपनी स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए कहेंगे,
उन दिनों में माँ के दिल में,
अच्छे-बुरे ख्याल आते हैं बार-बार,
माँ का ऋण ( maa ka rinn ) हम-सब पर हमेशा रहेगा उधार,
कोई गरीब हो,या बड़ा साहुकार,
तुम एक जन्म लो चाहे हजार,
इसे आज तक कोई नहीं पाया उतार,
* * * * *
बच्चे से बातें करके माँ का गुजरता है दिन,
‌उम्रभर भी नहीं उतार पाएगे,
माँ की कोख का ऋण,
वो मन की आँखों से बच्चे की निगरानी करती है,
वो छोटे से छोटे काम में भी सावधानी करती है,
हर एक दिन लगता है एक साल के जैसे,
यूं लगता देखकर उस वक्त,
माँ हर खुशी से मालामाल हो जैसे,
माँ हर जोखिम उठाने को है तैयार,
वो अपनी जान पर भी खेलने को है तैयार,
माँ का ऋण ( maa ka rinn ) हम-सब पर हमेशा रहेगा उधार,
कोई गरीब हो,या बड़ा साहुकार,
तुम एक जन्म लो चाहे हजार,
इसे आज तक कोई नहीं पाया उतार,
ये कर्ज यूं ही रहेगा जब तक रहेगा ये संसार,
* * * * *

माँ का ऋण ( maa ka rinn ) :  स्नेह और बलिदान की मिसाल
maa ka rinn
maa ka rinn

माँ बच्चे को जन्म देती है,
अपनी जान हथेली पर रखकर,
वो थोड़ा-थोड़ा मुस्कराती है,
बच्चे को जन्म देकर,
मीठी किलकारियां की गूंज सुनकर,
वो अपना हर दर्द भूल जाती है ,
माँ अपने बच्चे को बांहों में भरकर,
अपना हर दर्द भूल जाती है,
वो फुली नहीं समाती देखकर,
कुदरत का अनोखा चमत्कार,
माँ का ऋण ( maa ka rinn ) हम-सब पर हमेशा रहेगा उधार,
कोई गरीब हो,या बड़ा साहुकार,
तुम एक जन्म लो चाहे हजार,
इसे आज तक कोई नहीं पाया उतार,
* * * * *
काश मैं तेरे अमृत समान दूध का ,
कुछ ऋण अदा कर पाऊं माँ,
काश मैं तेरे बलिदान का ,
कुछ मोल चुका पाऊं माँ,
मैं श्रवण कुमार तो नहीं बन सकता हूँ,
लेकिन मैं हमेशा कोशिश करूंगा,
उसके मार्ग पर चलने की,
मैं शायद तेरी कोख का ऋण तो नहीं उतार पाऊं,
लेकिन कोशिश करूंगा कुछ कम करने की,
माँ ही मेरी धड़कन है माँ ही मेरा संसार,
माँ का ऋण ( maa ka rinn ) हम-सब पर हमेशा रहेगा उधार,
कोई गरीब हो,या बड़ा साहुकार,
तुम एक जन्म लो चाहे हजार,
इसे आज तक कोई नहीं पाया उतार,
ये कर्ज यूं ही रहेगा जब तक रहेगा ये संसार,
* * * * *
मुझे ये जहान दिखाने के लिए,
तुम ने अपनी जान का उठाया खतरा माँ,
मेरी धड़कन,मेरा जीवन तेरा ऋणी रहेगा,
मेरे लहू का एक-एक कतरा माँ,
सूरज की पहली किरण से,
माँ तेरा हर सुबह स्वागत हो,
तेरे आंचल में सर रखकर सोऊं हमेशा,
बस मुझे इतनी सी इजाजत हो,
मैं इतना मांगता हूँ ईश्वर से,
इस प्यारे से चेहरे पर,
हर घड़ी खुशियों की हो बहार,
माँ का ऋण ( maa ka rinn ) हम-सब पर हमेशा रहेगा उधार,
कोई गरीब हो,या बड़ा साहुकार,
तुम एक जन्म लो चाहे हजार,
इसे आज तक कोई नहीं पाया उतार,
* * * * *
creation -राम सैणी
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