maa ka naam hi sukun hai

माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai )

माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai )

 

माँ का नाम ही मेरी पहचान है
माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai ) ,
माँ तेरी कमी मुझे हर पल खलती है,
तुम्हारे कदमों की मिट्टी जब आंगन में उड़ती है,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
पिता के जैसा हौसला,माँ के जैसी ममता,
अब कहाँ मिलती है,
* * * *
जब सोकर उठता सुबह-सुबह,
फिर से सोने की आदत है बेवजह,
मुझे पता है माँ का अलार्म,
सही समय पर बजता है,
मुझे खाली चाय पीना पसंद नहीं है,
मुझे घुट-घुट कर जीना पसंद नहीं है,
तुम्हारा साया घूमता है मेरे आस-पास,
ना जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है,
जब सुबह का नाश्ता खुद बनाना पड़ता है,
ठंडे पानी से नहाना पड़ता है ,
तुम्हारी याद आना लाजमी है,
मुझे लगता है शायद माँ का साया घूम रहा है,
जब भी घर की कोई खिड़की हिलती है,
माँ का नाम ही मेरी पहचान है
माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai ) ,
माँ तेरी कमी मुझे हर पल खलती है,
तुम्हारे कदमों की मिट्टी जब आंगन में उड़ती है,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
पिता के जैसा हौसला,माँ के जैसी ममता,
अब कहाँ मिलती है,
* * * *
माँ रोटी जली हुई खाकर,
मैं बहुत खुश हूँ सबको ये बताकर,
जब भी तस्वीर तुम्हारी देखता हूँ नजर उठाकर,
उस वक्त लगता है सच में माँ तुम्हारी कमी है,
माँ सुबह जल्दी उठा देना,
अब भी रात को सोता हूँ ये बोलकर,
माँ घूमती है रात को घर में,
मैं सोता हूँ सारे दरवाजे खोलकर,
मुझे यूं लगता जैसे तुम ने चूमा है माथे को,
जब भी ठंडी-ठंडी हवा खिड़की से गुजरती है,
माँ का नाम ही मेरी पहचान है
माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai ) ,
माँ तेरी कमी मुझे हर पल खलती है,
तुम्हारे कदमों की मिट्टी जब आंगन में उड़ती है,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
पिता के जैसा हौसला,माँ के जैसी ममता,
अब कहाँ मिलती है,
* * * *
सूरज चड गया है आज उठना नहीं है क्या,
खाना ठंडा हो जाएगा खाना नहीं है क्या,
अब कोई नहीं है ये बोलने वाला,
शाम ढलने से पहले आ जाना,
जब भूख लगे तो खा लेना,
अब कोई नहीं है मन का भेद जानने वाला,
क्या होगा तुम्हारा मेरे जानें के बाद,
कौन बनेगा तेरा सहारा मेरे जानें के बाद,
सब-कुछ मिल जाता है इस दुनिया में,
बस माँ की ममता नहीं मिलती है,
माँ का नाम ही मेरी पहचान है
माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai ) ,
माँ तेरी कमी मुझे हर पल खलती है,
तुम्हारे कदमों की मिट्टी जब आंगन में उड़ती है,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
पिता के जैसा हौसला,माँ के जैसी ममता,
अब कहाँ मिलती है,
* * * *

 माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai )  :  माँ, तेरे स्पर्श की तड़प

 

maa ka naam hi sukun hai
maa ka naam hi sukun hai

पिता के जाने के बाद,
माँ तुम ने एक पिता बनकर पाला था,
तुम ने मेरे जीवन में दीया बनकर,
हर घड़ी फैलाया उजाला था,
गरजते बादल को देखकर,
तुम्हारे आंचल में छुप जाना,
मुझे आज भी याद आता है,
तुम्हारे सीने से लगकर सोना,
तुम से पहले उठ जाना,
वो गुजरा हुआ वक्त बहुत तडफाता है ,
वो लम्हे याद कर-करके,
आज भी मेरी आँखें छलक जाती हैं,
माँ का नाम ही मेरी पहचान है
माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai ) ,
माँ तेरी कमी मुझे हर पल खलती है,
तुम्हारे कदमों की मिट्टी जब आंगन में उड़ती है,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
पिता के जैसा हौसला,माँ के जैसी ममता,
अब कहाँ मिलती है,
*     *     *       *      *
मैंने सपनों के शहर में,
माँ तुम्हारी यादों का महल बनाया है,
मैंने तपती शिखर दोपहर में,
बेजूबान परींदों को जल पिलाया है,
माँ तुम्हारी यादों की माला के कुछ मोती,
मेरे आँखों से आंसू बनकर बह जाते हैं,
तुम बिन कौन समझे आंसुओं की भाषा,
ये बिन बोले ही सब-कुछ कह जाते हैं,
मैं रात को आसमान के तारों में,
तुम्हारा चेहरा ढूंढ़ता रहता हूँ,
मैं करता हूँ हर रात अपनी माँ से बातें,
ये मैं सबको कहता रहता हूँ,
एक हवा का झोंका आकर हर सुबह,
माँ आपके जैसे मेरे सर को छूता है,
तब जाकर मेरी आँखें खुलती हैं,
माँ का नाम ही मेरी पहचान है
माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai ) ,
माँ तेरी कमी मुझे हर पल खलती है,
तुम्हारे कदमों की मिट्टी जब आंगन में उड़ती है,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
पिता के जैसा हौसला,माँ के जैसी ममता,
अब कहाँ मिलती है,
* * * *
तुम्हारी हंसतीं हुईं एक तस्वीर,
मेरे सिरहाने के पास रहती है,
अब जीना सीख ले माँ के बिन,
मानो हर घड़ी ये ही कहती हैं,
तुम्हारी प्यारी आवाज सुनने को,
मेरे कान हर दिन तरसते हैं माँ,
अब तुम्हारी ममता के बादल ,
ना जाने किस आंगन में बरसते हैं माँ,
उस घर को लोग मकान कहते हैं,
जो बिन माँ के खाली है,
वो चेहरा हंसना भूल गया है,
जिस चेहरे पर तुम्हारी वजह से छाई थी लाली है,
वो ही तुम्हारी मीठी आवाज माँ हमारे आंगन में,
दिन-रात गूंजती रहती है,
माँ का नाम ही मेरी पहचान है
माँ का नाम ही सुकून है ( maa ka naam hi sukun hai ) ,
माँ तेरी कमी मुझे हर पल खलती है,
तुम्हारे कदमों की मिट्टी जब आंगन में उड़ती है,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
पिता के जैसा हौसला,माँ के जैसी ममता,
अब कहाँ मिलती है,
* * * *
creation -राम सैणी
read more sweet poetry
click here –>    कैसे बाँटोगे बलिदानी माँ ( kaise bantoge balidani maa )       ,
click here –>माँ के चरण (maa ke charan ) : सबसे ऊँचा स्थान

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top