बेटी बनकर आए या बहन ,
या पत्नी बनकर फर्ज निभाना,
एक औरत के हैं किरदार अनेक,
सबसे मुश्किल है माँ का किरदार (maa ka kirdar ) निभाना,
* * * * * *
एक रिश्ता है बेटी संग मेरा,
मेरे दिल में उसका बसेरा,
मैं धड़कन सुनकर पहचान लूं,
क्यों उदास है उसका चेहरा,
उसके चेहरे पर जब थिरके मुस्कान,
आँखों में लाज मीठी जुबान,
वो हम सबको प्यारी लगती है,
शुभ काम में है उसकी पहल लाजमी,
हर अच्छे काम की करें नक़ल लाजमी,
किसे आँख दिखाकर रखना है,
किसे प्यार से समझाना है,
बेटी बनकर आए या बहन ,
या पत्नी बनकर फर्ज निभाना,
एक औरत के हैं किरदार अनेक,
सबसे मुश्किल है माँ का किरदार (maa ka kirdar ) निभाना,
* * * * * *
बेटी की सूरत चमत्कारी लगती है,
माँ की दिखती है उसमें छवि,
माँ के जैसे करें व्यहवार वो कभी -कभी,
बाप-बेटी का रिश्ता है प्यारा,
ये बाप बनकर ही समझ आता है,
बेटी करें दो घरों में उजियारा,
अकल है छोटी उस इन्सान की,
जो बेटी को बोझ बताता है ,
बेटी जाने बड़े अच्छे से,
सबको कैसे हंसाना है,
कैसे अपना दर्द छूपाना है,
बेटी बनकर आए या बहन ,
या पत्नी बनकर फर्ज निभाना,
एक औरत के हैं किरदार अनेक,
सबसे मुश्किल है माँ का किरदार (maa ka kirdar ) निभाना,
* * * * * *
हर रिश्ते में डाले जान,
माँ का रिश्ता है महान,
वो प्यार करे बंद आँखों से,
उसके प्यार का कोई छोर नहीं,
उसकी ममता है एक जादू की पुड़िया,
वो माँ के सिवा कोई और नहीं,
उस ईश्वर की सबसे प्यारी खोज,
मैंने हवाओं को बोला एक रोज,
वो राहें आसान बना देना,
माँ के पाँव पड़े जिन राहों में,
बस इतनी कृपा बनाए रखना,
ये जीवन गुजरे माँ की बांहों में,
उसके आँचल में है होश संभाला ,
माँ के चरणों में है मेरा ठिकाना ,
बेटी बनकर आए या बहन ,
या पत्नी बनकर फर्ज निभाना,
एक औरत के हैं किरदार अनेक,
सबसे मुश्किल है माँ का किरदार (maa ka kirdar ) निभाना,
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माँ का किरदार (maa ka kirdar ) : सबके ऊपर
वो ईश्वर रहे मेहरबान,
हंसती हुई माँ है जिस घर की शान्
जो जीती है अब तक मेरे लिए,
जिस माँ के चेहरे पर मुस्कान गुलाबी रहती है,
मेरे जीवन में दीप जलते है खुशियों के,
जिसके हाथों में मेरे जीवन की चाबी रहती है,
उसके आंचल में मिलते हैं सुख सारे,
जिस माँ के दिल में छुपा है प्यार का खजाना,
बेटी बनकर आए या बहन ,
या पत्नी बनकर फर्ज निभाना,
एक औरत के हैं किरदार अनेक,
सबसे मुश्किल है माँ का किरदार (maa ka kirdar ) निभाना,
* * * * * *
माँ धूप में निकले जब भी बाहर,
वो हमारे सर पर अपना ,
आंचल डालकर रखती है,
वो काँच के सामान के जैसे हर पल,
हमको संभालकर रखती है,
ना गुस्सा ना अंहकार,
सबसे प्यारा है माँ का किरदार,
पूरी उम्र दे गुजार,बचपन से डाले ,
हम सब में अच्छे संस्कार,
उस ईश्वर को मेरा प्रणाम,
जो माँ के रूप में धरती पर रहता है,
उस माँ को मेरा प्रणाम,
प्रणाम करूं मैं हर सुबह -शाम,
माँ के खाने के बाद है खाना,
बेटी बनकर आए या बहन ,
या पत्नी बनकर फर्ज निभाना,
एक औरत के हैं किरदार अनेक,
सबसे मुश्किल है माँ का किरदार (maa ka kirdar ) निभाना,
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जिसके आंचल में प्यार का झरना बहता है ,
मैं नदियां के पानी जैसा,
वो एक विशाल समंदर है,
मै भटक रहा जिसकी तलाश में,
वो तो मेरे अंदर है,
जहाँ माँ बोले उस घर में,
एक अलग ही संगीत बजता है,
स्वर्ग है उसका इस धरती पर ही,
जो माला माँ के नाम की जपता है,
माँ के गुस्से में भी प्यार छुपा है,
गुस्सा तो है एक बहाना,
बेटी बनकर आए या बहन ,
या पत्नी बनकर फर्ज निभाना,
एक औरत के हैं किरदार अनेक,
सबसे मुश्किल है माँ का किरदार (maa ka kirdar ) निभाना,
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creater – राम सैनी
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