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माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra )

माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) : खुशियों का सवेरा

माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर,
मेरा भी हंसने का मन करता है,
माँ शब्द है ही इतना प्यारा,
जिस को हर कोई नमन करता है,
* * * * *
जब भी हंसती है माँ खिल-खिलाकर,
मैं रब को शुक्रिया करता हूँ सर झुकाकर,
माँ के हंसते हुए चेहरे पर,
रंग-बिरंगे सितारे चमकते हैं ,
इन रंग-बिरंगे सितारों को देखकर,
दिल से हमारे खुशियों की तरंगें निकलती हैं,
वो जब लेती है सांसें सकून की,
मैं ईश्वर को सर झुकाता हूँ,
उसे यूं देख-देख कर मेरा जीवन चलता है,
माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर,
मेरा भी हंसने का मन करता है,
माँ शब्द है ही इतना प्यारा,
जिस को हर कोई नमन करता है,
* * * * *
मैं हर मुमकिन कोशिश करता हूँ,
हर पल सोचा करता हूँ,
मैं अपनी माँ के लिए और क्या कर सकता हूँ,
मैं हर घड़ी हर पल चलता रहूंगा साथ माँ के,
जब तक साथ चल सकता हूँ,
सूरज रोशनी देता है निस्वार्थ भाव से,
चँदा अपनी चाँदनी बिखेरता है निस्वार्थ भाव से,
मैं अपनी जीवनदायिनी को पूजता हूँ,
हर दिन हर घड़ी बड़े चाव से,
माँ और रब की पूजा तो,
इस कायनात का कण-कण करता है,
माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर,
मेरा भी हंसने का मन करता है,
माँ शब्द है ही इतना प्यारा,
जिस को हर कोई नमन करता है,
* * * * *
प्यारे-प्यारे परिंदों की चहचाहट,
इधर-उधर गिलहरी भागती है नटखट,
ये सब मनमोहक झांकियां देखकर,
माँ भाव-विभोर हो उठती है,
बारिश की पहली बूंद का,
उड़ती हुई आंगन की मिट्टी को छूना,
छम-छम करती बूंदों का नजारा देखकर,
माँ का मन खुशी से नाच उठता है,
टिप-टिप करती बारिश की बूंदें,
माँ अपनी दोनों आँखों को मीचें,
मानों सपनों की दुनिया में खो रही हो,
जीना उसका है साकार,
जो माँ से मिले जीवन को,
उसके लिए अर्पण करता है,
माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर,
मेरा भी हंसने का मन करता है,
माँ शब्द है ही इतना प्यारा,
जिस को हर कोई नमन करता है,
* * * *

माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) : मेरी ताकत

 

मेरी माँ को हरे-भरे पौधे लगाना बहुत भाता है,
हर सुबह घर की छत पर जाकर,
उनको पानी से नहलाना बहुत भाता है,
वो उनसे बातें करती है मन ही मन,
माँ तुलसी को हाथ जोड़कर करती है नमन,
वो अमृत वेले में उठकर,
रब का शुक्रिया करती है झूककर,
वो रब पकड़कर रखता है हाथ,
कभी छोड़ता नहीं उसका साथ,
जो अपनी माँ को प्रसन्न रखता है,
माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर,
मेरा भी हंसने का मन करता है,
माँ शब्द है ही इतना प्यारा,
जिस को हर कोई नमन करता है,
* * * * *
वो उठाकर अपनी लकड़ी की छड़ी,
सांसें भरकर बड़ी-बड़ी,
सारे घर में घूम-घूमकर,
हर बच्चे के माथे को चूम कर,
माँ मन ही मन मुस्काए,
हर रोज करें एक माला का जाप,
मैंने बचपन से उसको देखा है,
हर रोज करती है पूजा-पाठ,
ये पेड़ है घनी छाँव वाला,
इस आंगन में छाया है ,
मेरी माँ के नाम का उजाला,
ये नाम सबसे निराला है,
इस नाम में एक अपनापन लगता है,
माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर,
मेरा भी हंसने का मन करता है,
माँ शब्द है ही इतना प्यारा,
जिस को हर कोई नमन करता है,
* * * * *
मैं इस आंगन की मिट्टी को प्रणाम करता हूँ
इस मिट्टी का तिलक अपने माथे पर करता हूँ,
जो हर रोज चूमती है माँ के पाँव को,
मैं इस ठंडी हवा को प्रणाम करता हूँ,
मैं अपनी इस जिव्हा की,
दिल से शुक्रिया करता हूँ,
जो हर पल जपती है माँ के नाम को,
इस पावन नाम की माला,
मेरा तन-मन जपता है
माँ का हंसता चेहरा ( maa ka hansta chehra ) देखकर,
मेरा भी हंसने का मन करता है,
माँ शब्द है ही इतना प्यारा,
जिस को हर कोई नमन करता है,
* * * * *
creater- राम सैणी
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