कैसे कटते है एक-एक दिन,
किस हाल में हम जीते हैं,
दुनिया के सब रंग गायब हो जाते हैं उनके, जो जीते हैं माँ-बाप के बिन जीवन (maa-bap ke bin jeevan ),
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जीवन में हर चीज की कमी सह लेते हैं हम,
माँ-बाप को छोड़कर,
कांटों भरी हो जाती है जिन्दगी,
खुशियाँ चली जाती हैं हमसे मुह मोड़कर,
हर खुशी के लिए तरसते हैं, जहर गमों का पीते हैं हम सारा जीवन , कैसे कटते हैं एक-एक दिन, किस हाल में हम जीते हैं, दुनिया के सब रंग गायब हो जाते हैं उनके, जो जीते हैं माँ-बाप के बिन जीवन (maa-bap ke bin jeevan ),
अपने बच्चों को जब प्यार करे कोई,
दिल खुश हो जाता है ये मंजर देखकर,
सोचते हैं काश हमारा भी होता कोई,
पीड पराई कौन जाने जिसका लगे वो ही जाने,
अन्धियरा छा जाता है उन बच्चों के आगे , जिन बच्चों के मात-पिता जाते हैं छीन , कैसे कटते हैं एक-एक दिन, किस हाल में हम जीते हैं, दुनिया के सब रंग गायब हो जाते हैं उनके, जो जीते हैं माँ-बाप के बिन जीवन (maa-bap ke bin jeevan ), * * * * * *
माँ शब्द सुनने को तरस जाते हैं कान हमारे,
कहने को तो पूरा जमाना है अपना,
हमे भी प्यार करेगा कोई,
ये सोचना हमारे लिए एक सपना है,
दिन गुजर जाता है ठोकरें खाते-खाते,
रात गूजर जाती है तारे गिन-गिन, कैसे कटते हैं एक-एक दिन, किस हाल में हम जीते हैं, दुनिया के सब रंग गायब हो जाते हैं उनके, जो जीते हैं माँ-बाप के बिन जीवन (maa-bap ke bin jeevan ), * * * * * *
माँ-बाप के बिन जीवन (maa-bap ke bin jeevan ) : हर दिन बेरंग
प्यार देने वाले तो बहुत मिलते हैं,
पर माँ के जैसा कोई ना,
शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता है,
जिस दिन हमारी आँखें माँ के लिए हों रोई ना,
अब कुछ समझ आने लगी है इस दुनिया की,
रातें गुजार दी हैं हमने जागकर,
हमारे रो-रोकर बीते हैं दिन , कैसे कटते हैं एक-एक दिन, किस हाल में हम जीते हैं, दुनिया के सब रंग गायब हो जाते हैं उनके, जो जीते हैं माँ-बाप के बिन जीवन (maa-bap ke bin jeevan ),
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पिता का साया होना भी , एक अलग ही जोश जगाता है ,
creater- राम सैणी
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