खुशबू जो बचपन ले आए ( khusboo jo bachpan le aaye ) ,
तुम्हारे हाथों की रोटी वो ही स्वाद जगाए
ये जादुई रोटी छप्पन भोग पर भी भारी है,
तेरे हाथों से बनी रोटी की खुशबू ,
माँ इस जग में सबसे न्यारी है,
* * * *
मैं हर रोज देखता हूँ खाकर माँ,
महंगे से महंगे भोजनालय में जाकर माँ,
मैं हर दिन नया-नया पकवान खाता रहता हूँ,
उस मंहगे पकवान का स्वाद,
मैं अपने मित्रों में सबको बताता रहता हूँ ,
मेरे ठिकाने से भोजनालय का,
एक छोटा-सा है रास्ता माँ,
मैं हर रोज वहीं जाकर करता हूँ,
सुबह का स्वादिष्ट नाश्ता माँ,
इस खाने में ना वो स्वाद है,
ना तुम्हारे हाथों की खुशबू प्यारी-प्यारी है ,
खुशबू जो बचपन ले आए ( khusboo jo bachpan le aaye ) ,
तुम्हारे हाथों की रोटी वो ही स्वाद जगाए
ये जादुई रोटी छप्पन भोग पर भी भारी है,
तेरे हाथों से बनी रोटी की खुशबू ,
माँ इस जग में सबसे न्यारी है,
* * * *
मेरा हर रोज का होता है आना-जाना,
आज यहाँ तो कल वहाँ होता है,
माँ दोपहर का खाना,
जब आती है रात को खाने की बारी,
फिर एक नए भोजनालय में,
मेरी जाने की होती है तैयारी,
मैंने एक से बढ़कर एक चीजें खाई हैं,
कभी बाहर से लेकर आता हूँ,
कभी खुद ही बनाई है,
माँ रंग-बिरंगे पकवान भी,
बराबरी नहीं कर सकते तुम्हारी हैं ,
खुशबू जो बचपन ले आए
तुम्हारे हाथों की रोटी वो ही स्वाद जगाए
ये जादुई रोटी छप्पन भोग पर भी भारी है,
तेरे हाथों से बनी रोटी की खुशबू ,
माँ इस जग में सबसे न्यारी है,
* * * *
एक से एक पकवान खाकर भी लगता है,
शायद कोई कमी है माँ,
पेट तो जैसे-तैसे भर जाता है,
लेकिन जीव्हा की भूख वहीं की वहीं है माँ,
ना जाने मन में एक कसक क्यों है माँ,
तेरे हाथों की रोटी की खुशबू,
सबसे अलग क्यों है माँ,
आपके हाथों की रोटी खाकर माँ,
मेरे रोम-रोम में बस गई ईमानदारी हैं ,
खुशबू जो बचपन ले आए ( khusboo jo bachpan le aaye ) ,
तुम्हारे हाथों की रोटी वो ही स्वाद जगाए
ये जादुई रोटी छप्पन भोग पर भी भारी है,
तेरे हाथों से बनी रोटी की खुशबू ,
माँ इस जग में सबसे न्यारी है,
* * * *
खुशबू जो बचपन ले आए ( khusboo jo bachpan le aaye ) : तेरी थाली की रोटी

जब कोई रोटी जल जाती थी,
माँ कभी-कभी तुम्हारे हाथों से,
हम बड़े चटकारें लेकर खाते थे बातों ही बातों में,
काश वो जली हुई रोटी फिर से मिल जाए,
उस रोटी को खाकर हमारे चेहरे,
आज फिर से खिल जाएं,
माँ तुम्हारे हाथों से बनी रोटी तो,
रुखी-सुखी भी अच्छी लगती है,
तुम्हारे हाथों से बनी आटे की चिड़िया,
सबसे स्वादिष्ट,सबसे लाजवाब,
वो चाहे उपर से कच्ची-पक्की ही दिखती है,
माँ आज भी वो चुल्हे की रोटी सबसे न्यारी हैं ,
खुशबू जो बचपन ले आए ( khusboo jo bachpan le aaye ) ,
तुम्हारे हाथों की रोटी वो ही स्वाद जगाए
ये जादुई रोटी छप्पन भोग पर भी भारी है,
तेरे हाथों से बनी रोटी की खुशबू ,
माँ इस जग में सबसे न्यारी है,
* * * *
तुम्हारे हाथ का खाते ही एक निवाला,
मेरे मन में हो जाता है उजाला,
माँ तेरे प्यार की खुशबू,
जब रोटी में मिल जाती है,
एक तरफ है वो रोटी एक तरफ दुनिया सारी,
माँ चाँद से भी गोल है तुम्हारे हाथों की रोटी,
इस प्यारी रोटी में छवि दिखती तुम्हारी हैं ,
खुशबू जो बचपन ले आए ( khusboo jo bachpan le aaye ) ,
तुम्हारे हाथों की रोटी वो ही स्वाद जगाए
ये जादुई रोटी छप्पन भोग पर भी भारी है,
तेरे हाथों से बनी रोटी की खुशबू ,
माँ इस जग में सबसे न्यारी है,
* * * *
माँ तुम्हारे हाथों से बनी रोटी की खुशबू,
मेरे रोम-रोम में बस गई है,
मेरी जिव्हा को इस खुशबू की,
मानों लत सी लग गई है,
मेरी ख्वाहिश है इकलौती,
हर दिन खाऊं मैं तुम्हारे हाथों की रोटी,
मैं इस रोटी की तारीफ में और क्या कहूं,
हर किसी को नसीब नहीं होती है,
इस प्यारी रोटी की खुशबू,
इस प्यारी रोटी को खाते-खाते,
उम्र गुजर जाए सारी हैं ,
खुशबू जो बचपन ले आए ( khusboo jo bachpan le aaye ) ,
तुम्हारे हाथों की रोटी वो ही स्वाद जगाए
ये जादुई रोटी छप्पन भोग पर भी भारी है,
तेरे हाथों से बनी रोटी की खुशबू ,
माँ इस जग में सबसे न्यारी है,
* * * *
creation -राम सैणी
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