रात को घर की छत पर बैठकर,
आसमान के तारे गिन ना,
बड़ा मुश्किल होता है,
एक जिम्मेदार पिता (jimmedar pita) बनना,
* * * * * *
तारों की कीमत होती है,
वो जब तक चमकते हैं आसमान में,
वैसे ही पिता की कीमत होती है,
जब तक हाथ-पांव चलते हैं इस जहान में ,
जब तक तक रहेगी उसकी ऊँची उड़ान ,
तब तक मिलता रहेगा घर में सम्मान,
एक रोज देखा मैंने टूटते तारे को,
वो शायद आसमान की और देख रहा था,
अपने किसी सहारे को,
हर दिन हर घड़ी एक पिता को,
हालातों के साथ पड़ता है लड़ना,
रात को घर की छत पर बैठकर,
आसमान के तारे गिन ना,
बड़ा मुश्किल होता है,
एक जिम्मेदार पिता (jimmedar pita)। बनना,
* * * * * *
एक पिता का जीवन होता है,
घर की एक छत के जैसे,
जैसे एक घर की छत पूरी उम्र,
आँधी सहे, धूप सहे,बारिश सहे,
वो सहे हर मौसम की मार,
अंत में उसको उतार फेंकते हैं ,
ये बोलकर,अब ये इस घर के लिए है बेकार,
इस छत के जैसे जीवन,
एक पिता का भी होता है,
वो पूरी उम्र घर की जिम्मेदारी,
अपने कांधों पर ढोता है,
बड़ा मुश्किल होता है,
सबकी ताल में ताल मिलाकर चलना,
रात को घर की छत पर बैठकर,
आसमान के तारे गिन ना,
बड़ा मुश्किल होता है,
एक जिम्मेदार पिता (jimmedar pita) बनना,
* * * * * *
इस आसमान का है ये ही असूल,
जो तारा टूट गया तो वो है फिजूल,
पिता और दीया दोनों ,
खुद जलकर दुसरों को रौशन करते हैं,
दोनों जीते हैं एक -सा जीवन,
जब तक रहते हैं घर मे रौनक करते हैं,
अंधीयारा ना आए एक पास कभी,
जब तक दीया जलता रहता है,
घर में रहता है उजाला फैला,
खुद कमाकर खाने वाला
जब तक पिता साथ रहता है
पिता है परिवार की ताकत,
पिता है शीतल प्यार का झरना,
रात को घर की छत पर बैठकर,
आसमान के तारे गिन ना,
बड़ा मुश्किल होता है,
एक जिम्मेदार पिता (jimmedar pita)बनना,
* * * * * *
जिम्मेदार पिता (jimmedar pita) : हौंसला ना टूटने दे
हर दिन हर पल एक नया इम्तिहान,
खुद कमाकर खाने वाला,
एक जिम्मेदार पिता ,
किसी का रखता नहीं कोई एहसान,
तेल की एक बूंद पूछती,
क्या बिन मेरे जल पाओगे,
छूट गया जो साथ मेरा,
फिर कैसे अंधियारा दूर भगाओगे,
जब तक बाती का साथ रहेगा,
ये दीया यूं ही जलता रहेगा,
मुझे साथ चाहिए अपनों का,
गैरों की परवाह नहीं,
राहें कैसी भी हो मैं चलूंगा हंसकर,
राहों की परवाह नहीं,
परिवार से मिलती रहे ताकत मुझे,
फिर कांहे का डरना,
रात को घर की छत पर बैठकर,
आसमान के तारे गिन ना,
बड़ा मुश्किल होता है,
एक जिम्मेदार पिता (jimmedar pita) बनना,
* * * * * *
मैं निकलता हूँ जब घर से,
ईश्वर का नाम लेकर,
एक पिता खुश होता है जिम्मेदारी परीवार की,
अपने काँधों पर उठाकर,
खुद कमाकर खाने वाला
दूर करें परेशानी सबकी,
खुद रहकर परेशान,
कोई गिला -शिकवा नहीं पर,
बदले में चाहिए सम्मान,
खुद से करता है बातें वो,
खुद ही हल निकाले,
बिन सोए जो गुजारी हैं,
याद रखता है सब रातें वो,
हौंसला ना टूटने दे वो किसी का,
चाहे पड़ जाए किसी भी रंग में रंगना,
रात को घर की छत पर बैठकर,
आसमान के तारे गिन ना,
बड़ा मुश्किल होता है,
एक जिम्मेदार पिता (jimmedar pita)। बनना,
* * * * * * *
हर दिन हर पल एक नया इम्तिहान,
खुद कमाकर खाने वाला,
एक जिम्मेदार पिता ,
किसी का रखता नहीं कोई एहसान,
छोटा सही पर घर अपना हो,
इसमें रहने वालों का पूरा हर सपना हो,
दिन-रात बुने वो सपने,
ताकि खुश रहे अपने,
पहली खवाईस दिल में है उसके,
अपने परिवार का पेट भरना,
रात को घर की छत पर बैठकर,
आसमान के तारे गिन ना,
बड़ा मुश्किल होता है,
एक जिम्मेदार पिता (jimmedar pita) बनना,
* * * * * *
creater-ram saini
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