झूठी मुस्कान (jhoothi muskan) : एक कड़वा सच
भरपेट भी खाया है रूखी-सूखी भी खाई है,
सोया हूँ टुकड़ों में करवटें बदल-बदलकर,
कंई बार मैंने आँखों की नींद भी गंवाईं है,
* * * * *
बाप का रिश्ता ही कुछ ऐसा है,
उससे भी मुश्किल है बाप का फर्ज निभाना,
मेहनत करते-करते जीवन का,
बीत जाता है हर पल,
जो सोचता है कैसे सुनहरा बनाऊं मैं,
अपने परिवार का आने वाला कल,
उस बाप को हर पल क्या आजमाना,
स्कूल के लिए अपना बस्ता,
उठाकर जब चले हो तुम,
निडर बनकर जिसके साये में सदा चले हो तुम,
कभी नहीं हटता अपने वादे से पीछे ,
हर बार पिता ने दरियादिली दिखाई है ,
भरपेट भी खाया है रूखी-सूखी भी खाई है,
सोया हूँ टुकड़ों में करवटें बदल-बदलकर,
कंई बार मैंने आँखों की नींद भी गंवाईं है,
* * * * * *
देखकर तुमको आगे बढ़ता,
जो मन ही मन मुसकाता है,
तुमको आगे बढ़ने के लिए हर पल उकसाता है,
हमारे जीवन में मायने रखता है,
बाप का किरदार बड़ा,
एक बाप को रखना पड़ता,
दिल अपना हर बार बड़ा,
हर पल अपने परिवार की,
पकड़कर रखता कलाई है,
भरपेट भी खाया है रूखी-सूखी भी खाई है,
सोया हूँ टुकड़ों में करवटें बदल-बदलकर,
कंई बार मैंने आँखों की नींद भी गंवाईं है
* * * * *
झूठी मुस्कान (jhoothi muskan) : एक कड़वा सच
एक बाप सफल हो जाता है,
जब उसके बच्चे सफल हो जातें हैं,
बाप का सीना भी चौड़ा हो जाता है,
जब बच्चे अपने पाँव पर खड़े हो जाते हैं,
थोड़ा सख्त हो सकता है,
एक बाप का वहवार,
उसका आँखों से घूरना डराता है कंई बार,
उसकी रग रग में बसता है,
अपने परिवार के लिए प्यार,
वो नंगे पाँव भी चलता है,
जब वक्त की पडती है मार,
ऐसे लगता है जैसे उस ईश्वर की मूरत ,
पिता के रूप में इस धरती पर उतरकर आई है ,
भरपेट भी खाया है रूखी-सूखी भी खाई है,
झूठी मुस्कान (jhoothi muskan) भी कंई बार चेहरे पर सजाई है,
सोया हूँ टुकड़ों में करवटें बदल-बदलकर,
कंई बार मैंने आँखों की नींद भी गंवाईं है,
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परिवार की सुरक्षा ही उसके लिए,
सबसे बड़ी होती है,
एक बाप कवच बनकर खडा हो जाता है,
जब मुश्किल सर पर खडी होती है,
मुंह से चीत्कार निकल पडती है,
जब प्यार से मेरे पांव के छालों पर,
कोई अपना हाथ रखदे एक बार,
रहता है चेहरे पर एक नूर सा छाया,
आँखों में बिजली सी चमक छाई है,
भरपेट भी खाया है रूखी-सूखी भी खाई है,
झूठी मुस्कान (jhoothi muskan) भी कंई बार चेहरे पर सजाई है,
सोया हूँ टुकड़ों में करवटें बदल-बदलकर,
कंई बार मैंने आँखों की नींद भी गंवाईं है,
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अपनी ही मस्ती में रहती हैं खोया,
नींद आती है आँखों में मेहमान के जैसे,
बच्चों का हर सपना पूरा करता है,
चाहे सपने हों ऊंचे आसमान के जैसे,
जेब में उसकी चाहें छेद हों हजार,
बिगड़े काम हमारे एक पल में देता है संवार,
बरसता रहता है हर घड़ी,
सावन की बारिश के जैसे,
हर पल करता है शीतल,
बहती ठंडी हवाओं के जैसे,
इस जग में सबसे निराला है,
हमारे परिवार का जो रखवाला है,
वो हो जाता है सीना तानकर खड़ा ,
जब भी परिवार पर मुश्किल की घडी आई है ,
भरपेट भी खाया है रूखी-सूखी भी खाई है,
झूठी मुस्कान (jhoothi muskan) भी कंई बार चेहरे पर सजाई है,
सोया हूँ टुकड़ों में करवटें बदल-बदलकर,
कंई बार मैंने आँखों की नींद भी गंवाईं है,
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मेहनत है गहना उसका,
परिवार की खुशी में ही है खुशी उसकी,
ये बार-बार कहना उसका,
हमारे चेहरे पर छाई रहे,
हर घर हर दिन नई बहार,
खुशियां खडी रहें दरवाजे पर हमारे,
बनाकर एक लम्बी कतार,
हर दिन बिखरा रहता है घर में उजाला,
उस फ़रिश्ते की वजह से हमारे घर में,
खुशियां ही खुशियां आईं हैं,
भरपेट भी खाया है रूखी-सूखी भी खाई है,
झूठी मुस्कान (jhoothi muskan) भी कंई बार चेहरे पर सजाई है,
सोया हूँ टुकड़ों में करवटें बदल-बदलकर,
कंई बार मैंने आँखों की नींद भी गंवाईं है,
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creater -राम सैणी