सूर्य अस्त होकर रहता है,
हवाएं मस्त होकर बहती हैं,
मेरी माँ के सामने,
माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) भी,
पर्वत हाथ जोड़कर खड़ा है,
मेरी माँ का हाथ थामने,
* * * *
सूर्य की किरणें जब आती है आंगन में,
माँ को झुककर प्रणाम करती हैं,
सुर्य छुपा रहता है बादलों में,
माँ जब तक आराम करती है,
वो जब उठकर जाने लगती है,
पिपल की घनी छाँव में,
सुर्य की किरणें भी वापिस जाने लगती है,
जो अब तक बैठी थी माँ के पाँव में,
वो किरणें रात को चमक उठती है,
आसमान के तारे बनकर,
ऐसा लगता है उन तारों को एक झुंड में देखकर,
जैसे वो सब खुशी मना रहे हों मिलकर,
ये आसमान के तारे ये सूरज किरणें,
जैसे मेरी माँ को लगे हों अपनी माँ मानने,
सूर्य अस्त होकर रहता है,
हवाएं मस्त होकर बहती हैं,
मेरी माँ के सामने,
माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) भी,
पर्वत हाथ जोड़कर खड़ा है,
मेरी माँ का हाथ थामने,
* * * *
माँ के आंचल का सुख क्या होता है
उनसे बिछड़ने का दुख क्या होता है,
वो किरणें बता रही थी आँखें नम करती हुई,
इस दुनिया के सब नाम छोटे पड़ जाते हैं,
मेरी माँ के नाम के सामने,
सूर्य अस्त होकर रहता है,
हवाएं मस्त होकर बहती हैं,
मेरी माँ के सामने,
माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) भी,
पर्वत हाथ जोड़कर खड़ा है,
मेरी माँ का हाथ थामने,
* * * *
जैसे ही आंगन में माँ के पाँव पड़ते हैं,
आंगन की मिट्टी और हवाएं आपस में लडते है,
जैसे एक-दूसरे से कह रहीं हों,
मुझे करनें हैं सबसे पहले दीदार माँ के,
कब से बैठें है हम नजरें उठाएं,
बिन दीदार के वापिस ना जाएं,
जब तक ना हों दीदार माँ के,
ठंडी हवाएं बह रही थी,
मानो मिट्टी से कुछ कह रही थी,
मिट्टी खुशी से उछल पड़ी,
जब मिट्टी को छुआ माँ के पाँव ने,सूर्य अस्त होकर रहता है,
हवाएं मस्त होकर बहती हैं,
मेरी माँ के सामने,
माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) भी,
पर्वत हाथ जोड़कर खड़ा है,
मेरी माँ का हाथ थामने,
* * * *माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) : माँ की शक्ति
कुछ बारिश की बूंदें भी,
ठंडी हवाओं के साथ आती हैं,
मेरी माँ के प्यारे पाँव को,
बारी-बारी से धोकर जाती हैं,
मेरी माँ का पसीना गिरता है जहां,
वहाँ महकते फूल खिलने लगते हैं,
जब छूती है माँ फूलों को,
सब फूल खुशी से गले मिलने लगते हैं,
सब दौलत -शोहरत फीकी है ,
मेरी माँ की खुशियों के सामने,
सूर्य अस्त होकर रहता है,
हवाएं मस्त होकर बहती हैं,
मेरी माँ के सामने,
माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) भी,
पर्वत हाथ जोड़कर खड़ा है,
मेरी माँ का हाथ थामने,
* * * *
ये रिश्तों की डोर है कैसी,
क्या माँ के सिवा कोई और है ऐसी,
माँ की गोद में सर रखकर सोने का,
उसे देखकर झूठ-मूठ रोने का,
एक अलग ही आनंद होता है,
माँ के पीछे -पीछे चलना,
उसके सीने पर सर रखना,
हम सबको पसंद होता है,
माँ सामने हो तो खुशियों में मगन रहते हैं,
वो दिखे ना एक पल के लिए तो,
बच्चे माँ-माँ लगते हैं पुकारने,
सूर्य अस्त होकर रहता है,
हवाएं मस्त होकर बहती हैं,
मेरी माँ के सामने,
माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) भी,
पर्वत हाथ जोड़कर खड़ा है,
मेरी माँ का हाथ थामने,
* * * *
सितारे उस नीले आसमान के,
माँ को देखकर जैसे मुस्करा रहें हों,
आसमान में उड़ते परिंदे,
जैसे खुशी के गीत गा रहे हों,
वफादारी का नाम है माँ,
हर घर की पहचान है माँ,
माँ का हाथ है जब तक काधें पर,
अपनी जमीं अपना आसमां है,
ईश्वर को भी धरती पर आना पड़ा था,
माँ की ममता को जानने,
सूर्य अस्त होकर रहता है,
हवाएं मस्त होकर बहती हैं,
मेरी माँ के सामने,
माँ के कदमों में झुका आसमान (jhooka aasman ) भी,
पर्वत हाथ जोड़कर खड़ा है,
मेरी माँ का हाथ थामने,
* * * *
creater –must read : एक ही रास्ता (ek hi rasta ) : जीवन की जननी
must read :चैन की नींद (chain ki neend ) की शुरुआत : सुख की लौ