तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक,
माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको,
तेरी बेटी करेगी खुद अपनी हिफाजत,
झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह बना मुझको ,
* * * * * * * *
मुझे अपने आंचल में तुम ने पनाह दी,
माँ तुम ने खुशियां दी इस सारे जहां की,
कैसे करूं मैं उसके लिए तुम्हारा शुक्रिया,
तुम्हारे पहरे में नहीं मुझे कोई डर था,
माँ तुम्हारी कोख ही मेरा पहला घर था,
उसके लिए माँ तुम्हारा दिल से शुक्रिया,
माँ कितना दर्द सहा होगा,
कितना लहू बहा होगा,
मुझे ये प्यारी दुनिया दिखाने के लिए,
एक गुरु बनकर तुम ने मुझे ज्ञान दिया,
मेरी हर छोटी से छोटी चीज पर ध्यान दिया,
हर दिन पढ़ाती थी दुनियादारी का पाठ मुझको,
क्या सही है क्या ग़लत है ये बताने के लिए,
मैं मोरनी नहीं शेरनी बनना चाहती हूँ,
माँ शेरनी के जैसे गरजना सिखा मुझको,
तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक,
माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको,
तेरी बेटी करेगी खुद अपनी हिफाजत,
झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह बना मुझको ,
* * * * * * * *
मुझको भी प्यार जताया होगा,
गोद में अपनी उठाया होगा,
मुझे उस कर्ज की कसम है माँ,
मैं बनकर नहीं रहना चाहती एक छोटी गुड़िया,
मैं बदल दुंगी दुनिया की जो सोच है घटिया,
बेटी नहीं है कोई खेलने का खिलोना,
मैं तोड़ डालूंगी ये जो रस्म है माँ,
अकेले चलने की दे आजादी,
मेरे पाँव के तलवें हैं फौलादी,
माँ तीखे कांटों पर चलना सिखा मुझको,
तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक,
माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको,
तेरी बेटी करेगी खुद अपनी हिफाजत,
झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह बना मुझको ,
* * * * * * * *
मैं बनुंगी तेज धार से बहता,शोर मचाता पानी,
मैं बनुंगी अपनी और दुसरों की,
रक्षा करने वाले झांसी की रानी,
कोई हाथ लगाने से पहले,
कोई गंदी नजर उठाने से पहले ,
मुझे सोचेगा सौ-बार माँ,
मैं नहीं रहना चाहती बनकर,
कोई छुई-मुई सी गुड़िया,
मैं बनुंगी एक तीखी तलवार माँ,
रानी बनकर राज चलाए,
एक अच्छी माँ का किरदार निभाए,
वो बनकर रहीं हैं जैसे हो दो धारी तलवार,
मुझे नहीं रहना कोई कठपुतली बनकर,
मैं दलेर बनकर जाऊंगी अंदर-बाहर,
अपने तीखे नाखूनों से,
माँ दुश्मन का कलेजा निकालना सिखा मुझको,
तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक,
माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको,
तेरी बेटी करेगी खुद अपनी हिफाजत,
झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह बना मुझको ,
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जो अकेले दुश्मनों से लड़ जाए,
पीछे ना हटे जहाँ एक बार खड जाए,
मैं बचपन में बहुत खेली हूँ,गुड्डे-गुड़ियों से,
हर बार मन बहलाया है रंग -बिरंगी चूड़ियों से,
बस माँ अब और नहीं,
अब खेलना चाहती है माँ तेरी बेटी,
तीखी चमचमाती तलवारें के साथ,
एक अकेली लड जाए जो हजारों के साथ,
माँ अब तलवारें से लडना सिखा मुझको,
तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक,
माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको,
तेरी बेटी करेगी खुद अपनी हिफाजत,
झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह बना मुझको ,
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झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह : शक्ति का संचार
हर चीज की एक सीमा होती है,
माँ बस अब और नहीं,
जहाँ घूंघट में रहती थी बेटियां,
वो पुराना अब दौर नहीं,
सर पर बांध लिया बहादुरी का सेहरा,
मैं गुरूर बनुगी माँ तेरा,
ये रस्म करने दो शुरू अब तो,
मान लिया है मैने गुरु अब तो,
माँ झांसी वाली रानी को,
निर्मल मेरा तन-मन है,
एक बेटी के पास इज्जत ही धन है,
जो इसे छूने की सोचेगा कभी,
वो तरसेगा एक बूंद पानी को,
मैं चलूंगी रास्ते पर निडर बनकर,
चाहे रास्ता हो वीरान कोई,
जो सब कुछ उड़ा ले जाए अपने साथ,
ऐसा बना मुझे तुफान कोई,
माँ तुफानों से खेलना सिखा मुझको,
तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक,
माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको,
तेरी बेटी करेगी खुद अपनी हिफाजत,
झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह बना मुझको ,
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माँ बेटी अब लाचार नहीं,
जहाँ बेटी का सत्कार नहीं,
वो जगह हैं एक अंधियारा जंगल,
उस जगह से क्या प्यार करना,
जहाँ चाहता नहीं कोई बेटी का मंगल,
मुझे मर-मर कर नहीं जीना माँ,
मुझे चलना है आँख झूकाए बिना माँ,
मुझे जरूरत है तेरी शाबाशी की,
तेरे बेटी है रानी झांसी की,
उसकी हर कला सिखा मुझको,
माँ उसके जैसी मर्दानी बना मुझको ,
तेरा आंचल थामकर चली हूँ अब तक,
माँ अब और ना आँचल में छूपा मुझको,
तेरी बेटी करेगी खुद अपनी हिफाजत,
झांसी की रानी ( Jhansi ki Rani ) की तरह बना मुझको ,
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creater- राम सैणी
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