अपने सपनों को त्याग देती है,
अपनी सब इच्छाएं को मार देती है,
इतना त्याग भी कोई करता है क्या,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
अपनी प्यारी नींद से मुंह मोड़कर,
हर रिश्ते को पीछे छोड़कर,
तब बनती है एक प्यारी माँ,
* * * *
माँ कम कर देती है खाना -पीना,
समय से करती है जागना-सोना,
एक औलाद का सुख पाने के लिए,
वो फूंक -फूंक कर रखे कदम,
औलाद की चिंता करें हरदम,
माँ ईश्वर से हर पल करें प्रार्थना,
ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए,
हर पल,हर दिन,हर महीना,
ये ही सोच-सोच कर जीना,
कैसा होगा वो पल जीवन का,
जब बोलेगा मुझको कोई माँ,
ये कैसा इम्तिहान है एक औरत का,
हर दिन अनजान है एक औरत का,
अपनी जान हथेली पर रखकर तब सुनतीं है,
एक नन्ही सी जान की किलकारी माँ,
अपने सपनों को त्याग देती है,
अपनी सब इच्छाएं को मार देती है,
इतना त्याग भी कोई करता है क्या,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
अपनी प्यारी नींद से मुंह मोड़कर,
हर रिश्ते को पीछे छोड़कर,
तब बनती है एक प्यारी माँ,
* * * *
हर घड़ी देनी पड़ती है उसको परीक्षा,
भूख-नींद सब मीलों दूर है,
वहीं होगा जो ईश्वर को मंजूर है,
सूना है एक पत्ता भी नहीं हिलता,
उस ईश्वर की मर्जी के बिना,
छोटी सी मुस्कान देखकर,
एक नन्ही सी जान देखकर,
चौड़ा हो जाता है हर माँ का सीना,
अपने दुख को एक पल में भूलकर,
अपनी औलाद का माथा चूमकर,
तब बनती है एक चमत्कारी माँ,
अपने सपनों को त्याग देती है,
अपनी सब इच्छाएं को मार देती है,
इतना त्याग भी कोई करता है क्या,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
अपनी प्यारी नींद से मुंह मोड़कर,
हर रिश्ते को पीछे छोड़कर,
तब बनती है एक प्यारी माँ,
* * * *
इच्छाएं अपने मन में दबाकर,
दिन गुजारे रूखी-सूखी खाकर,
समाज में त्याग की मूरत है माँ,
माँ प्यार करे हमें बिन स्वार्थ के,
माँ की सेवा जैसे दर्शन तीर्थ के,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
वो रूखी-सूखी खाकर भी,
दिल में राज छूपाकर भी,
चेहरे पर मुस्कान सजाकर रखती है,
वो धीरे चले या तेज-तेज ,
माँ की गोद फुलों की सेज,
वो माला है रंग-बिरंगे फूलों की,
ईश्वर की खूबसूरत फूलकारी है माँ,
अपने सपनों को त्याग देती है,
अपनी सब इच्छाएं को मार देती है,
इतना त्याग भी कोई करता है क्या,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
अपनी प्यारी नींद से मुंह मोड़कर,
हर रिश्ते को पीछे छोड़कर,
तब बनती है एक प्यारी माँ,
* * * *हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa) : ममता का उजाला
अपनी औलाद को माँ ,
अपने प्राण बनाकर रखती है,
माँ कच्ची नींद में भी उठ जाती है,
थपकी देकर बच्चों को सुलाती है,
खुद सोए उनके सोने के बाद,
माँ बेचैन हो जाए बच्चों को रोता देखकर,
उसे चैन आए अपने बच्चों को,
गहरी नींद में सोता देखकर,
माँ और भी प्यार जताए उनके रोने के बाद,
वो सुखमय कल हैं मीठा जल है,
सबसे कीमती सबसे न्यारी है माँ,
अपने सपनों को त्याग देती है,
अपनी सब इच्छाएं को मार देती है,
इतना त्याग भी कोई करता है क्या,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
अपनी प्यारी नींद से मुंह मोड़कर,
हर रिश्ते को पीछे छोड़कर,
तब बनती है एक प्यारी माँ,
* * * *
सब रिश्ते हैं एक तरफ,
औलाद का रिश्ता एक तरफ,
माँ जीवन की नांव हैं एक शीतल छाँव है,
हमें सच की राह दिखाती है,
समाज में कैसे रहना है,
कहाँ बोलना कहाँ चुप रहना है,
माँ ही हमें सिखाती है,
एक चमकता दर्पण है माँ,
औलाद के लिए सारा जीवन करती अर्पण है माँ
प्रार्थनाओं के काबिल है प्यारी माँ,
अराधना के काबिल है प्यारी माँ,
गर्म हवाएं भी दूर-दूर होकर बहती हैं,
जब साथ चलती है हमारी माँ ,
अपने सपनों को त्याग देती है,
अपनी सब इच्छाएं को मार देती है,
इतना त्याग भी कोई करता है क्या,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
अपनी प्यारी नींद से मुंह मोड़कर,
हर रिश्ते को पीछे छोड़कर,
तब बनती है एक प्यारी माँ,
* * * *
काले घने बादल जब भी बच्चों के ऊपर आते हैं,
तेज हवाएं जब भी उनके सर से होकर जाती हैं,
माँ अपनी प्रार्थनाओं की ताकत से,
बच्चों को बचा लेती है हर आफ़त से,
माँ जीवन दायिनी है माँ ज्ञानी है,
वो दया का सागर है वो ईश्वर की निशानी है,
दीवानों के जैसे प्यार जताती है माँ,
फूलों के जैसे महकातीं है माँ,
माँ जान हमारी है फूलों की एक क्यारी माँ,
अपने सपनों को त्याग देती है,
अपनी सब इच्छाएं को मार देती है,
इतना त्याग भी कोई करता है क्या,
हर रिश्ते से ऊपर माँ (Har rishte se uper maa),
अपनी प्यारी नींद से मुंह मोड़कर,
हर रिश्ते को पीछे छोड़कर,
तब बनती है एक प्यारी माँ,
* * * *
creater -राम सैणी
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