शक्ल पिता की अक्ल पिता की,
मैंने माँ से संस्कार पाए हैं,
हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
मैंने जितने भी किरदार निभाएं हैं,
* * * * *
बीत गया धीरे-धीरे मेरा बचपन,
गाँव की गलियों में खेलते हुए,
बचपन जिया है माँ के साये में,
सूख-दुख हैं धूप और छाँव,
माँ को सूना है सदा ये बोलते हुए,
क्या हुआ जो आज कुछ अंधेरा है,
एक दिन आएगा चमकता हुआ सवेरा है,
माँ हर घड़ी मेरे मन में ये डालती थी,
हर छोटी से छोटी खुशी,
माँ मेरी झोली में डालती रही,
जीतता वो ही है जो रूकता नहीं,
माँ ये ही बोलकर मुझे पालती रही,
लड़कर किया है सामना,
जब भी मुश्किलें भरे हालात आए हैं,
शक्ल पिता की अक्ल पिता की,
मैंने माँ से संस्कार पाए हैं,
हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
मैंने जितने भी किरदार निभाएं हैं,
* * * * *
वक्त के साथ हम चलते रहे,
दीप उम्मीद के मन में जलते रहे,
भरोसा था नीली छतरी वाले का,
माँ की प्रार्थनाओं की शक्ति से,
उसकी अटूट भक्ति से,
इंतजार था हर घड़ी सूरज के उजाले का,
ये उसकी प्रार्थनाओं का कमाल है,
जो आज मेरे चेहरे का रंग लाल है,
माँ की हर प्रार्थना हुई है पूरी,
उसने जब भी अपने दो हाथ उठाएं हैं,
शक्ल पिता की अक्ल पिता की,
मैंने माँ से संस्कार पाए हैं,
हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
मैंने जितने भी किरदार निभाएं हैं,
* * * * *
माँ के कांधों से लेकर जिम्मेदारी,
मैंने अपने कांधों पर डाल दी,
खेल-कूद मित्रों संग बैठक,
ये सब चीजें मैंने एक तरफ निकाल दी,
पैसे कमाना इज्जत कमाना ,
सच्चाई के रास्ते पर चलकर,
सेवा माँ की, जिम्मेदारी हर तरह की,
खुद को दिखाना था एक अच्छा बेटा बनकर,
बेटे का हर फर्ज मैं आज भी निभा रहा हूँ,
धर्म-कर्म के रास्ते पर चलकर,
मेहनत की खुशी-खुशी खा रहा हूँ,
माँ शयानी है हमारे पास,
रब की निशानी है हमारे पास,
वो मुस्कराती है साथ हमारे,
हम जब भी मुस्कराए हैं,
शक्ल पिता की अक्ल पिता की,
मैंने माँ से संस्कार पाए हैं,
हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
मैंने जितने भी किरदार निभाएं हैं,
* * * * *हर किरदार (har kirdar) : उम्रभर के लिए
मुझे जो भी किरदार मिला है,
उसको पूरा किया है आदेश मानकर,
उस नीली छतरी वाले का,
मुझे घर में सबका भरपूर प्यार मिला है,
शायद ये मेरी माँ की खुशियों का फूल खिला है,
मेरे जीवन की एक तमन्ना है,
मुझे एक अच्छा बेटा,अच्छा पिता बनना है,
सबके चेहरे पर खुशियों के बादल,
आज घर में हमारे छाए हैं,
शक्ल पिता की अक्ल पिता की,
मैंने माँ से संस्कार पाए हैं,
हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
मैंने जितने भी किरदार निभाएं हैं,
* * * * *
मैंने सबको खुश रखने का बेड़ा उठाया है,
मेहनत और मन की इच्छाएं और बढ़ गई हैं,
जब से एक पिता का किरदार निभाया है,
मैं सबकी खुशियों में ढूंढता हूँ,
अपनी खुशियों का राज,
धीरे-धीरे चल रही थी जो जीवन की गाड़ी,
तेज रफ्तार से दौड़ रही है आज,
माँ के सपनों को पूरा करना,
बच्चों के साथ-साथ भी चलना,
जोड़कर रखता हूँ पूरा परिवार,
मैं हूँ डोर से बंधी हुई पतंग,
जीवन जीना है जिसके संग,
उसके चेहरे पर मुस्कान रखना है लगातार,
जिसके साथ जीवन के हसीन पल बिताए हैं,
शक्ल पिता की अक्ल पिता की,
मैंने माँ से संस्कार पाए हैं,हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
मैंने जितने भी किरदार निभाएं हैं,
* * * * *
नेकी के रस्ते पर चलते हुए,
हर हालत में हंसते हुए,
सबके दिल में घर बनाना है,
बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर,
परिवार को अपने साथ लेकर,
जीवन को सफल बनाना है,
प्यार करता हूँ उन सबको,
जो दुखों के सताए हैं,
शक्ल पिता की अक्ल पिता की,
मैंने माँ से संस्कार पाए हैं,
हर किरदार (har kirdar) में जान डाल दी,
मैंने जितने भी किरदार निभाएं हैं,
* * * * *
creater- राम सैणी
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