मैं उन्हें धन्यवाद पापा नहीं कहता हूँ,
पापा भी माफ करना बेटा नहीं कहते हैं,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
उनके गुस्से से डर लगता है,
लेकिन पापा के आने से ही,
हमारा घर,घर लगता है,
रूखा व्यवहार आँखें मोटी-मोटी हैं,
उनके सपने बड़े हैं लेकिन,
इच्छाएं छोटी-छोटी हैं,
मुझसे कोई भी बात कहनी हो,
वो सदा माँ को ही बोलते हैं,
मैं उन्हें धन्यवाद पापा नहीं कहता हूँ,
पापा भी माफ करना बेटा नहीं कहते हैं,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
* * * *
पापा कभी सर पर हाथ नहीं रखते,
वो कभी हंसते हुए नहीं दिखते हैं,
पापा ज्यादा बात भी नहीं करते,
हाल-ए-दिल अपना एक डायरी में लिखते हैं,
मुझे कभी ज्यादा खर्च करने से नहीं रोकते हैं,
लेकिन खुद एक-एक क़दम,
नाप-तोल कर रखते हैं,
मुझे हर काम आँखों की घूर से कहते हैं,
मैं उन्हें धन्यवाद पापा नहीं कहता हूँ,
पापा भी माफ करना बेटा नहीं कहते हैं,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
* * * *
वो मुख से कम आँखों से ज्यादा बोलते हैं,
पापा हम-सब को एक ही तराजू में तोलते हैं,
कभी कोई बात पूछनी या बतानी हो,
मुझे लेना पड़ता है माँ का सहारा,
उनके आगे कोई नहीं बोलता,
ऐसा है संस्कारी परिवार हमारा,
माँ ही शायद सबसे ज्यादा मुझे प्यार करती है ,
वो ही मुझे स्कूल के लिए तैयार करती है,
मैं पापा से खिलोनों की मांग नहीं करता,
पापा बिन मांगे ही सब-कुछ ले आते हैं,
मैं उन्हें धन्यवाद पापा नहीं कहता हूँ,
पापा भी माफ करना बेटा नहीं कहते हैं,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
* * * *
पापा सुबह ही काम पर निकल जाते हैं,
वो दूर से ही हाथ हिलाते हैं,
मैं कभी-पापा को किसी त्यौहार पर,
उसका मनपसंद कोई तोहफा दे देता हूँ,
बस वो थोड़ा-सा मुसकरा देते हैं,
पता नहीं व़ो क्या सोचते रहते हैं,
वो सब की खुशी का ख्याल रखतें हैं,
घर में सबको खुशियों से मालामाल रखते हैं,
शायद अपने चेहरे पर खुशी लाना भूल जाते हैं,
मैं उन्हें धन्यवाद पापा नहीं कहता हूँ,
पापा भी माफ करना बेटा नहीं कहते हैं,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
* * * *
हमेशा चुप ( Hamesha Chup ) : पापा का मौन संवाद

वो मुझे कभी भी स्कूल से लेकर नहीं आते हैं,
हमेशा माँ को ही कह देते हैं,
माँ के आगे हमारे सब गिले-शिकवे,
बिन बोले ही कबूल हो जातें हैं,
वो चलते हैं हमेशा सीना तान के,
घर में कहते हैं बड़ी शान से,
सबके मुस्कराते चेहरे मिल जाते हैं,
मुझे ईश्वर से कुछ और नहीं चाहिए,
मैं पापा के साथ कभी नहीं खेलता,
क्योंकि पापा काम से आते ही सो जाते हैं,
मैं उन्हें धन्यवाद पापा नहीं कहता हूँ,
पापा भी माफ करना बेटा नहीं कहते हैं,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
* * * *
माँ बोलती है पापा मुझे बहुत प्यार करतें हैं,
लेकिन उनको जताना नहीं आता है,
वो फिक्र करते हैं दिन-रात,
समय भी कम बिताते हैं हमारे साथ,
उनको अपने दिल का हाल,
बताना भी नहीं आता है,
उन्हें चुप रहना पसंद है,
उन्हें शांत महोल पसंद है,
वो सदा अपनी ही मस्ती में रहते हैं,
मैं उन्हें धन्यवाद पापा नहीं कहता हूँ,
पापा भी माफ करना बेटा नहीं कहते हैं,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
* * * *
तुम्हारे पापा को अभिमान नहीं है,
तुम अभी नादान हो,
तुम को अभी कुछ ज्ञान नहीं है,
तुम्हारे शिकवे-शिकायत पूरे करते-करते,
वो खुद शिकायत करना भूल गए हैं,
उनकी मेहनत की कमाई से,
हमारे घर के भाग खुल गए हैं,
पापा का जीवन जलते हुए दीए के जैसा होता है,
जो सबको रौशन करता है,
लेकिन खुद के नीचे अंधेरा रहता है,
वो हमेशा शांत होकर पानी के जैसे बहते है,
आज के बाद मत बोलना,
ना जाने क्यों पापा हमेशा चुप ( Hamesha Chup ),
हमेशा सबसे अलग रहते हैं,
* * * *
creation – राम सैणी
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