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घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti)

घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का फर्ज :एक ज़िम्मेदारी

 

ऊँचा लंबा कद मिला है,
जो चाहिए था वो सब मिला है,
हाथों में धागा रंग स्लेटी का,
सबके साथ रहे हंस-बोलकर,
हर बात करें नाप-तोल कर,
ये ही फर्ज है घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का,
*             *             *            *             *
वो समझे दुनियादारी भी,
थोड़ी सर पर हो जिम्मेदारी भी,
हर काम में हाथ बंटाए,
सर पर दुपट्टा हो सितारों वाला,
चेहरे पर हो चमकता उजाला,
जो भी मिला हो प्यार से,
वो सदा मुस्कराकर खाएं,
धीरे बोले ज्यादा सुने,
मन में प्यार का भाव हो,
ना हर बात पर चीखे-चिल्लाए,
गुस्से पर अपने काबू पाए,
शांत उसका स्वभाव हो,
माथे पर हर दिन तिलक करें,
अपने आंगन की मिट्टी का,
ऊँचा लंबा कद मिला है,
जो चाहिए था वो सब मिला है,
हाथों में धागा रंग स्लेटी का,
सबके साथ रहे हंस-बोलकर,
हर बात करें नाप-तोल कर,
ये ही फर्ज है घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का,
*             *             *            *         *
पहली पसंद हो लिखाई-पडाई,
चुल्हा-चौंका भी जानती हो,
दिल का टुकडा हो मात-पिता के,
उनको भी ईश्वर के जैसे मानती हो,
दिल में रहती हो फूल बनकर,
कलियों के जैसे चहकती हो,
हर पल हर घड़ी ख्याल रखते हों,
सब घर की चहेती का,
ऊँचा लंबा कद मिला है,
जो चाहिए था वो सब मिला है,
हाथों में धागा रंग स्लेटी का,
सबके साथ रहे हंस-बोलकर,
हर बात करें नाप-तोल कर,
ये ही फर्ज है घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का,
*             *             *            *           *
चाय मीठी थोड़ी जुबां की तीखी,
छोटी बहन है थोड़ी तेज-तर्रार,
शांत स्वभाव की लगती है निक्की,
सर पर जिम्मेदारी लेना पसंद है ,
दिन चडने तक सोना पसंद है,
भाई-बहन आँखों के तारे,
बड़ी माँ के चहेते हैं सारे,
ना कहती हूँ ना सहती हूँ,
मैं अपनी धून में चलती हूँ,
नाम लेकर मैं ईश्वर का,
अपने घर से निकलती हूँ,
घर में रहती हूँ मिलजुल कर,
छोटे भाई-बहन मानते मेरा कहना,
नहीं तो फिर उनको डर दिखाती हूँ,
मैं लकड़ी की सोटी का,
ऊँचा लंबा कद मिला है,
जो चाहिए था वो सब मिला है,
हाथों में धागा रंग स्लेटी का,
सबके साथ रहे हंस-बोलकर,
हर बात करें नाप-तोल कर,
ये ही फर्ज है घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का,
*             *             *            *            *

 घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का फर्ज :  गहरी समझ

 

घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti)
घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti)

संतों के जैसे बडी माँ के वचन,
हाथ जोड़कर करती हूँ नमन,
संस्कार हैं दिल में भारती,
माँ के दिल के पास हूँ,
मैं करती जब उपवास हूँ,
माँ मुझे मीठी जुबां से पुकारती,
पढ़ाई का बोझ रहता है हर रोज,
सो जाने का मन करता है,
चारपाई पर लेटी-लेटी का,
ऊँचा लंबा कद मिला है,
जो चाहिए था वो सब मिला है,
हाथों में धागा रंग स्लेटी का,
सबके साथ रहे हंस-बोलकर,
हर बात करें नाप-तोल कर,
ये ही फर्ज है घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का,
*             *             *            *           *
घर में एक छोटा सा कोहिनूर हैं,
जो शिवम के नाम से मशहूर है,
उसे लाढ-चाव से पाला है,
थोड़ा-सा नखरे वाला है,
मेरी हर चीज पर हक जताए,
बात-बात पर मुझे चिढाए,
मैं माफ करूं उसे छोटा समझकर,
ठंडे पानी का लौटा समझकर,
मैं मिल-बांटकर खानेवाली हूँ,
छोटे भाई-बहन को डांटने वाली हूँ,
उनको बताती हूँ कीमत मर्यादा की,
एक ख़ूबसूरत सा माहोल है घर का,
माँ सबका ख्याल रखती है पल-पल का,
घर में सब जीवन जीते हैं सादा ही,
गोमाता का हक होता है,
घर में सबसे पहली रोटी का,
ऊँचा लंबा कद मिला है,
जो चाहिए था वो सब मिला है,
हाथों में धागा रंग स्लेटी का,
सबके साथ रहे हंस-बोलकर,
हर बात करें नाप-तोल कर,
ये ही फर्ज है घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का,
*             *             *            *           *
हर वक्त रहती है चेहरे पर,
मुस्कान थोड़ी -थोडी है,
घर में निक्की और दिव्य की मशहूर जोड़ी है,
हम दोनों का रिश्ता थोड़ा मिस्री के जैसा मीठा है,
थोड़ा जैसे स्वाद हो इमली खट्टी का,
ऊँचा लंबा कद मिला है,
जो चाहिए था वो सब मिला है,
हाथों में धागा रंग स्लेटी का,
सबके साथ रहे हंस-बोलकर,
हर बात करें नाप-तोल कर,
ये ही फर्ज है घर की बड़ी बेटी (ghar ki badi beti) का,
*             *             *            *         *
creater-राम सैणी
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