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एक प्यारी कली (ek pyari kali )

एक प्यारी कली (ek pyari kali ) : पापा का गर्व

रंग सांवला है तो क्या हुआ,
मैं पापा की लाडली हूँ ,
कद छोटा है तो क्या हुआ,
मैं अपने पापा के बगीचे की,
एक प्यारी कली (ek pyari kali ) हूँ ,
*         *          *          *          *
मुझे हर कोई ताना मारता है,
मेरे रंग सांवले के लिए,
मेरे माँ-पापा तैयार खड़े हैं,
मेरा हाथ थामने के लिए,
रंग सांवला है तो क्या,
मेरा दिल मैला नहीं है,
मेरे दिल में बहती हैं प्यार की नदियां,
नफ़रत का ज़हर फैला नहीं है,
पापा रखते हैं राजकुमारी बनाकर,
इसलिए थोड़ी जिद्दी थोड़ी मनचली हूँ,
रंग सांवला है तो क्या हुआ,
मैं पापा की लाडली हूँ ,
कद छोटा है तो क्या हुआ,
मैं अपने पापा के बगीचे की,
एक प्यारी कली (ek pyari kali ) हूँ ,
*         *          *          *          *
सांवले हैं किशन-कन्हीया,
सांवली रंग की है मेरी म‌ईया,
मुझे रंग सांवले पर नाज है,
बेटी एक प्यारा एहसास है,
पापा आपकी बेटी एक जांबाज है,
उजाले-अंधियारे के बीच,
एक श्याम भी आती है हर रोज,
भोली-भाली सूरत है पाई,
बेटी ईश्वर की एक प्यारी खोज,
माँ-पापा का मिलता है आशिर्वाद,
जब भी उनसे गले मिली हूँ,
रंग सांवला है तो क्या हुआ,
मैं पापा की लाडली हूँ ,
कद छोटा है तो क्या हुआ,
मैं अपने पापा के बगीचे की,
एक प्यारी कली (ek pyari kali ) हूँ ,
*         *          *          *          *
कद छोटा हो या बड़ा कोई फर्क नहीं,
दिल सदा बड़ा होना चाहिए,
अपनों से प्यार हो या खुमार हो,
पर उनके साथ सदा खड़े होना चाहिए,
मैं हर घड़ी हंसने वाली हूँ,
मैं अपनी शर्तों पर जीने वाली हूँ,
अफ़सोस नहीं कद छोटे का,
क्या हुआ जो थोड़ी सी काली हूँ,
मैं बारीश के पानी जैसी,
मै ठण्डी हवा हूँ एक जलता दीया हूँ,
मैं आसमान की एक काली बदली हूँ,
रंग सांवला है तो क्या हुआ,
मैं पापा की लाडली हूँ ,
कद छोटा है तो क्या हुआ,
मैं अपने पापा के बगीचे की,
एक प्यारी कली (ek pyari kali ) हूँ ,
*         *          *          *          *

 

  एक प्यारी कली (ek pyari kali ) : दिल का उजाला

 

एक प्यारी कली (ek pyari kali )
एक प्यारी कली (ek pyari kali )

 

रंग गोरा अभिमानी है,
वो थोड़े से अज्ञानी हैं,
कुदरत ने बनाकर भेजा है,
रंग गोरे और काले का संगम,
सब गुणों से भरपूर आंवला,
मन मंदिर का रंग सांवला,
जो मन को शांत करें हरदम,
माँ-पापा से आज्ञा लेती हूँ,
जब भी घर से बाहर निकली हूँ,
रंग सांवला है तो क्या हुआ,
मैं पापा की लाडली हूँ ,
कद छोटा है तो क्या हुआ,
मैं अपने पापा के बगीचे की,
एक प्यारी कली (ek pyari kali ) हूँ ,
*         *          *          *          *
मेरा बचपन बीता है उनकी बांहों में,
मेरे माँ-पापा की निगाहों में ,
बस मैं ही मैं बस्ती हूँ,
मैं घर में सबकी लाडली हूँ,
रंग की थोड़ी सी सांवली हूँ,
मेरे साथ -साथ हंसते हैं दोनों,
मैं जब भी खिल-खिलाकर हंसती हूँ,
मैं दीया हूँ अपने घर का,
राजकुमारी नाम है मेरे बचपन का,
पिता मेरा रखवाला है माँ ने कैसे पाला है,
मैं अब तक नहीं भूली हूँ,
रंग सांवला है तो क्या हुआ,
मैं पापा की लाडली हूँ ,
कद छोटा है तो क्या हुआ,
मैं अपने पापा के बगीचे की,
एक प्यारी कली (ek pyari kali ) हूँ ,
*         *          *          *          *
मेरे जैसे कोई नहीं दुनिया में,
मैं अकेली सांवली नहीं दुनिया में,
ये बोलते हैं मेरे माँ-पापा,
मैं उनका बेटा बनकर रहती हूँ,
घर में धमाल जमकर करती हूँ,
मुझे पर जान लुटाते हैं मेरे माँ-पापा,
रंग -रूप मेरे बस में नहीं है,
मैं जुबां को बस में रखती हूँ,
जिस माँ-पापा ने जन्म दिया,
मैं उनको अपनी नस-नस में रखतीं हूँ,
वो हैं मेरे जीवनदाता,
जब -जब भी मुश्किलों ने घेरा है,
वो मेरे माँ-पापा की प्रार्थनाओं से ही टली हैं,
रंग सांवला है तो क्या हुआ,
मैं पापा की लाडली हूँ ,
कद छोटा है तो क्या हुआ,
मैं अपने पापा के बगीचे की,
एक प्यारी कली (ek pyari kali ) हूँ ,
*         *          *          *          *

creater-राम सैनी

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