चलो एक मन्नत ( ek mannat ) मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
वो चैन की नींद सोए सदा,
उस से दूर रहें हर बुरी बला,
जो हमें माफ कर देती है,
हमारे हर गुनाह के लिए,
* * * *
चाहे बचपन की नादानी हो या,
बढ़ती उम्र की शैतानी हो ,
माँ पल में हमें माफ कर देती है,
हर पल करते हैं हम एक नया बहाना,
माँ को रूठ कर दिखाना,
एक पल में माँ सब गिले-शिकवे,
हमारे साफ कर देती है,
क्षमा दान माँ का गहना है,
हर घड़ी पीछे-पीछे उसके रहना है,
माँ राजा बनाकर रखती है,
चाहे हालात कैसे भी हों,
बेपरवाह होकर सोते हैं माँ के आंचल में,
चाहे रात कैसी भी हो,
चलो कुछ पल सुकून के मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
चलो एक मन्नत ( ek mannat ) मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
वो चैन की नींद सोए सदा,
उस से दूर रहें हर बुरी बला,
जो हमें माफ कर देती है,
हमारे हर गुनाह के लिए,
* * * *
हमें चैन की नींद सुलाकर माँ,
हर पल करें रखवाली,
पहले हमारा पेट भरती हैं माँ,
चाहे खुद का पेट हो खाली,
हमारी छोटी-छोटी बात को,
बड़े ध्यान से सुनती है,
मन ही मन हमारी सफलता के,
माँ रंगीन सपने भी बुनती है,
चलो दुआओं में जन्नत मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
चलो एक मन्नत ( ek mannat ) मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
वो चैन की नींद सोए सदा,
उस से दूर रहें हर बुरी बला,
जो हमें माफ कर देती है,
हमारे हर गुनाह के लिए,
* * * *
घर में खुशियां ही खुशियां आने लगी है,
जब से मेरी माँ चैन की नींद सोने लगी है,
चमकने लगे हैं मेरी किस्मत के सितारे,
यूं लगता जैसे एक साथ ,
हमारे सत्कर्म जाग गए़ हैं सारे ,
माँ के चेहरे की लकीरें बताती है,
उसकी आँखों की नींद अभी बाकी है,
वो सोना चाहती थी पर सो ना सकी,
ये माँ की आँखों की लाली बताती है,
आधी उम्र गुजर गई हमारी देख-रेख में,
वो माँ नहीं ईश्वर है माँ के भेष में,
चलो बेशुमार खुशियां मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
चलो एक मन्नत ( ek mannat ) मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
वो चैन की नींद सोए सदा,
उस से दूर रहें हर बुरी बला,
जो हमें माफ कर देती है,
हमारे हर गुनाह के लिए
* * * *
एक मन्नत ( ek mannat ) माँ के नाम : सुकून की तस्वीर

काले घने बादलों का एक टुकडा,
आज बरसने को हैं तैयार खड़ा,
धीरे-धीरे बरस आवाज ना कर,
वर्षो बाद माँ चैन की नींद सो रही है ,
इतना ख्याल रखना उसकी नींद ना टूटे जरा,
वो कच्ची नींद में सोई है अब तक,
आँखों की कीमती नींद खोई है अब तक,
उसको रखना अपनी जान बनाकर,
वो सोती रहे चेहरे पर मुस्कान सजाकर,
चलो चेहरे की मुस्कान मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
चलो एक मन्नत ( ek mannat ) मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
वो चैन की नींद सोए सदा,
उस से दूर रहें हर बुरी बला,
जो हमें माफ कर देती है,
हमारे हर गुनाह के लिए,
* * * *
माँ ने हमारे लिए मन्नतें माँग-मांग कर,
हमें बुलंदियों पर पहुंचा दिया है,
इस जहान की हर ख़ुशी को ,
हमारे कदमों में बिछा दिया है,
दिल से दिल का रिश्ता,
यूं ही नहीं जुडा होता है,
सच में माँ का दिल बहुत बड़ा होता है,
हर सांस के साथ एक मन्नत,
हमारे चेहरे की क़ायम रहे रंगत,
ये मांगना उसका हर रोज का काम है,
चेहरे पर उजाला हो माँ के नाम,
घर में पहला निवाला हो माँ के नाम ,
चेहरे पर उजाला हो माँ के नाम,
चलो चेहरे का उजाला माँग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
चलो एक मन्नत ( ek mannat ) मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
वो चैन की नींद सोए सदा,
उस से दूर रहें हर बुरी बला,
जो हमें माफ कर देती है,
हमारे हर गुनाह के लिए,
* * * *
वो एहसान करके जताती नहीं,
वो दिन भर के काम से कितनी थकी हुई है,
कभी हमें बताती नहीं,
आसमान के टुटते तारों को देखकर,
मैं हर रोज मन्नत मांगता हूँ,
एक रोटी माँ का नाम लेकर,
मैं हर रोज घर की छत पर डालता हूँ,
वो हर घड़ी यूं ही हंसतीं रहे,
उसकी सांसों की कश्ती यूं ही चलती रहे,
चलो कुछ और सांसें मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
चलो एक मन्नत ( ek mannat ) मांग लेते हैं,
अपनी-अपनी माँ के लिए,
वो चैन की नींद सोए सदा,
उस से दूर रहें हर बुरी बला,
जो हमें माफ कर देती है,
हमारे हर गुनाह के लिए,
* * * *
creation- राम सैणी
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